मजदूर का शव रख मकान मालिक के घर पर दिया धरना, मुकदमा होने पर माने
फव्वारा चौक के पास मकान के लिंटर के मलबे में दब कर मजदूर की मौत मामले में मकान मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
By Edited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 08:58 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 02:26 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। फव्वारा चौक के पास मकान के लेंटर के मलबे में दबकर मजदूर की मौत के मामले में आक्रोशित परिजनों ने शव के साथ मकान मालिक के घर के पास धरना-प्रदर्शन किया। परिजन मुआवजा देने की मांग कर रहे थे। मौके पर पहुंचे चौकी इंचार्ज नेहरू कॉलोनी ने परिजनों को किसी तरह शांत कराया। मकान मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार किया।
दरअसल, नेहरू कॉलोनी के फव्वारा चौक के पास स्थित सुनीता जुयाल पत्नी स्व. विजय लाल के मकान का कुछ हिस्सा अतिक्रमण की जद में आने पर पिछले दिनों उसे गिराने की हिदायत दी गई थी। सुनीता ने रविवार को हीरा लाल (45 वर्ष) पुत्र जीत राय निवासी ग्राम धनोरा थाना बेकटपुर जिला गोपालगंज, बिहार हाल निवासी रिस्पना नगर, नेहरू कॉलोनी को इस हिस्से को गिराने के लिए बुलाया था।
हीरा लाल ने सुबह से काम करने के दौरान शाम तक काफी हिस्सा तोड़ दिया था। एक तरफ की दीवार पूरी तरह से टूट जाने के कारण लेंटर शाम पांच बजे के करीब अचानक भरभरा कर ढह गया। जिस समय लेंटर गिरा हीरा वहीं काम कर रहा था। आवाज सुन आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और मलबा हटाकर हीरा को बाहर निकाला, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
सोमवार को शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजन शाम चार बजे के करीब उसी मकान के सामने पहुंच गए, जहां यह घटना हुई थी। परिजनों का कहना था हीरा के चार लड़की और एक लड़का है। घर का वह इकलौता कमाने वाला सदस्य था। उसकी मौत से परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। लिहाजा उसे आर्थिक मदद दिलाई जाए।
मौके पर पहुंचे प्रभारी चौकी इंचार्ज नेहरू कॉलोनी कमलेश शर्मा ने परिजनों को किसी तरह समझाकर शांत कराया। मामले में मृतक हीरा के भाई उमेश की तहरीर पर मकान मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इंस्पेक्टर राजेश शाह ने बताया कि विवेचना के दौरान जो तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
नहीं हो सकी बेटी की सगाई
हीरा की बड़ी बेटी की शादी तय हो रखी थी। सोमवार को उसकी सगाई थी, जिसके बाद शादी की तारीख तय होनी थी। इसलिए हीरा लगातार काम कर चार पैसे जोड़ने की जुगत में लगा था, ताकि बेटी की शादी में कोई कमी न रहने पाए। लेकिन यहां नियति को तो कुछ और ही मंजूर था।
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