पीएम मोदी से बात कर गदगद हुए देहरादून में टैक्सी चलाने वाले हरि राम, डिजिटल तरीके से लेते हैैं टैक्सी का किराया
दून में टैक्सी चलाने वाले हरि राम के लिए गुरुवार का दिन यादगार बन गया। डिजिटल इंडिया योजना के छह साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरि राम से बात की। प्रधानमंत्री से बात करने के बाद से हरि राम गदगद हैैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून: दून में टैक्सी चलाने वाले हरि राम के लिए गुरुवार का दिन यादगार बन गया। डिजिटल इंडिया योजना के छह साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरि राम से बात की। प्रधानमंत्री से बात करने के बाद से हरि राम गदगद हैैं। प्रधानमंत्री ने उनसे 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना का फीडबैक लिया। इस पर हरि राम ने योजना की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री को बताया कि कोरोनाकाल में उन्हें इससे काफी लाभ मिला। साथ ही अपील की कि हर किसी को डिजिटल इंडिया मुहिम से जुड़कर जीवन को आसान बनाने की ओर बढ़ना चाहिए।
वन नेशन वन राशन कार्ड योजना उत्तराखंड में गत वर्ष लागू हुई थी, मगर इसे सुचारू होने में करीब एक वर्ष लग गया। हरि राम का परिवार भी इस योजना का लाभ ले रहा है। उनके पास राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सफेद राशन कार्ड है। आनलाइन हुई बातचीत में हरि राम ने प्रधानमंत्री को बताया कि डिजिटल इंडिया योजना ने उनके जीवन को आसान बना दिया है। अब वह देश में कहीं भी स्मार्ट कार्ड से राशन ले सकते हैं। वह टैक्सी का किराया भी डिजिटल तरीके से भीम एप से लेते हैैं। उनकी कोशिश रहती है कि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दें। इसके लिए दूसरों को भी डिजिटल पेमेंट करने के लिए प्रोत्साहित करते हैैं। उनका कहना है कि इससे समय की बचत के साथ छुट्टे पैसे देने का झंझट भी नहीं रहता। हरि राम ने प्रधानमंत्री को बताया कि कोरोनाकाल में करंसी के आदान-प्रदान से बचने के लिहाज से भी डिजिटल इंडिया योजना बेहद कारगर साबित हुई।
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हरदोई के रहने वाले हैैं हरि राम
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से प्रधानमंत्री से बातचीत के लिए चयन होने के बाद से ही हरि राम इस क्षण के लिए बेहद उत्साहित थे। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जनपद हरदोई में बजेहरा गांव के रहने वाले हरि राम दून में वर्ष 2006 से परिवार के साथ निवास कर रहे हैैं। वह यहां चंद्रबनी चोइला में छह भाइयों और माता-पिता के साथ रहते हैैं।
छठी तक पढ़ाई और तकनीक से दोस्ती
खास बात यह है कि परिवार के हालात ठीक नहीं होने के कारण हरि राम को छठी कक्षा के बाद स्कूल छोडऩा पड़ा था। बावजूद इसके उन्होंने तकनीक से दोस्ती की और उससे काफी कुछ सीखा भी। उनका कहना है कि डिजिटल वल्र्ड में जो कुछ उनके दायरे में है, उसे सीखते रहना चाहते हैैं।
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