कोरोना महामारी ने दून के खिलाड़ियों का खेल बिगड़ा
कोरोना ने चारों ओर हाहाकार मचा रखा है। देश लॉकडाउन है ऐसे में दून के खिलाड़ियों का खेल बिगड़ गया है। घरों में कैद खिलाड़ी न तो खेल पा रहे हैं और न ही प्रैक्टिस कर पा रहे हैं।
देहरादून, विजय जोशी। कोरोना महामारी ने चारों ओर हाहाकार मचा रखा है। देश लॉकडाउन है, ऐसे में दून के खिलाड़ियों का खेल बिगड़ गया है। घरों में कैद खिलाड़ी न तो खेल पा रहे हैं और न ही प्रैक्टिस कर पा रहे हैं। अब कोरोना महामारी के संकट से कब तक निजात मिलती है, यह कोई नहीं कह सकता। पर यह तय है कि खिलाड़ियों के खेल पर इसका असर जरूर पड़ेगा। कई आयोजन रद होने से तो खिलाड़ियों को नुकसान हुआ है, प्रैक्टिस न हो पाने से भी उनका खेल प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा घर पर जिम न होने के कारण कई खिलाड़ियों की फिटनेस पर भी असर पड़ रहा है। क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी ही नहीं, टेनिस और बैडमिंटन जैसे खेलों के खिलाड़ियों का कॅरियर भी कोरोना ने खतरे में डाल दिया है। कॅरियर के चरम पर चल रहे खिलाड़ियों को इस इस हालात का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
नर्सिंग स्टाफ को आराम
कोरोना की जंग में देवदूत बने स्वास्थ कर्मियों को पूरी दुनिया सलाम कर रही है। लेकिन, दिनरात ड्यूटी करने वाले ये स्वास्थकर्मी भी इन्सान ही हैं। आराम तो उन्हें भी चाहिए। अपनी निष्ठा से चाहे वे कितना भी काम कर लें, लेकिन शारीरिक और मानसिक थकान तो उनके भी बस के बाहर है। दून में क्वारंटाइन सेंटरों से महिला नर्सों को हटा दिया गया है। यह जरूरी भी था। जिस प्रकार महिला स्वास्थ कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं घट रही थीं, उससे उनका मनोबल टूट सकता था। ऐसे में उन्हें भी कुछ राहत देना जरूरी है। हालांकि, अब उन्हें अपने-अपने मूल अस्पतालों में ड्यूटी देनी होगी। लेकिन, यहां उन पर दबाव कम रहेगा। साथ ही वे अपने घर पर भी सुकून से रह सकेंगी। यही नहीं, अस्पतालों को चाहिए कि वे नर्सों की ड्यूटी भी रोटेशन में लगाएं और उन्हें बीच-बीच में छुट्टियां दी जाएं। यह जरूरी भी है।
स्वच्छता सिपाहियों को सलाम
हालात बुरे हैं, दुनिया संकट में है। लॉकडाउन ही एक उपाय बचा है। सभी को घर पर रहना है और अपने साथ-साथ दूसरों को भी बचाना है। पर कुछ वर्ग कोरोना के खिलाफ जंग में अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं। हमारे समाज में स्वच्छता के सिपाही भी हैं, जो अपनी चिंता किए बगैर शहर को साफ और सुरक्षित बनाने में जुटे हैं। गली-मोहल्लों से लेकर मुख्य सड़कों को सेनिटाइज कर रहे सफाई कर्मी खुद की फिक्र छोड़ गंदगी से जंग लड़ रहे हैं। कूड़ा निस्तारण हो या रसायन का छिड़काव, पूरी निष्ठा और ईमानदारी से सफाई कर्मी अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। ऐसे कोरोना योद्धाओं को हर कोई सलाम कर रहा है। संकट की इस घड़ी में ही लोगों को उनकी अहमियत का अहसास हो रहा है। हमें अपने इन हीरो की सलामती को दुआ करनी चाहिए। स्वच्छता के सिपाही स्वस्थ और सुरक्षित रहें, यही कामना सभी को करनी चाहिए।
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यूथ पुलिस की भूमिका
कोरोना महामारी की जंग में स्वास्थ्य महकमे के साथ ही पुलिस विभाग भी अहम भूमिका निभा रहा है। दिनरात शहर की सड़कों पर खड़े और गश्त लगा रहे पुलिस कर्मी लॉकडाउन का पालन कराने में जुटे हैं। इसमें भी युवा पुलिस कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। कोरोना की जंग में पुलिस को दूसरों के साथ ही अपना भी खयाल रखना है। ऐसे में पुलिस कर्मियों की सुरक्षा भी विभाग की जिम्मेदारी है। जिसे ध्यान में रखते हुए उम्रदराज पुलिस कर्मियों को ड्यूटी में रियायत भी दी जा रही है। युवाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है, ऐसे हालात में उनकी जिम्मेदारी और भी बड़ी हो गई है। अब उन्हें ही मुस्तैदी से कोरोना की जंग में भागीदारी निभानी है। लॉकडाउन का पालन कराने के साथ ही उन्हें अपनी सुरक्षा के प्रति भी सचेत रहना होगा। तभी वे अपने परिवार के साथ समाज के प्रति भी जिम्मेदारी निभा सकते हैं।
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