होलिका दहन पर राशि के अनुसार चुनें कपड़ों का रंग, ऐसे करें पूजा
उत्तराखंड में लोग होली का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यहां तक कि लोग अपनी राशि के अनुसार रंगों का चयन कर रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। रंगों के त्योहार होली का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। बुधवार शाम होलिका दहन की जाएगी। होलिका दहन को लेकर द्रोणनगरी में लोगों ने तैयारी शुरू कर दी है। वहीं, होली पर पहने जाने वाले कपड़ों के रंगों का भी खास महत्व है। प्रत्येक राशि में एक विशेष रंग शुभ माना जाता है। इसे लेकर लोग ज्योतिषाचार्यों से अपनी-अपनी राशि के अनुसार, शुभ रंग की जानकारी ले रहे हैं।
ज्योतिषाचार्य बंशीधर नौटियाल ने बताया कि होली में कपड़ों के रंग भी महत्व रखते हैं। हर राशि के लिए कोई न कोई रंग शुभ माना जाता है। इन रंगों से होली खेलने पर जीवन में तरक्की होगी, उलझनें समाप्त होंगी और परस्पर प्रेम बढ़ेगा। इसलिए सुख-समृद्धि के इस पर्व पर लोग शुभ रंग के कपड़े पहनना बेहतर समझते हैं।
ऐसे करें पूजा
हल्दी की गांठ, उपले, फलों, सब्जी आदि की माला बनाकर धारण करें। होलिका दहन से पूर्व नारियल, सुपारी, जायफल और आठ गोमति चक्र लेकर गुलाबी रंग से होलिका का पूजन करें। इसके बाद होलिका के चारों तरफ आठ दीये जलाएं और सभी सामग्री को होलिका के ऊपर अर्पण कर दें।
इन रंगों से खेलें होली
मेष: लाल और पीला
वृष: सफेद, नीला
मिथुन: हरा और सफेद
कर्क: पीला, हरा और सफेद
सिंह: गुलाबी, हरा और पीला
कन्या: हरा, पीला और सफेद
तुला: सफेद, हरा और नीला
वृश्चिक: लाल, पीला, नीला
धनु: पीला, हरा, लाल
मकर: सफेद, लाल, नीला
कुंभ: सफेद, लाल, नीला
मीन: पीला, सफेद, हरा
होली में अपनी सेहत का रखें ख्याल
चारों ओर होली का उल्लास छाया है। होली से जुड़ा है रंग, गुलाल और अबीर। लेकिन रंग खेलते हुए अगर थोड़ी सी लापरवाही हो जाए तो आपकी आंखों और त्वचा को नुकसान हो सकता है। त्योहार का मजा किरकिरा न हो और खुशियां बरकरार रहें इसके लिए कुछ एहतियात बरतने की आवश्यकता है। कुछ सुझाव पर ध्यान देकर आप होली के आनंद को दोगुना कर सकते हैं।
वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल आर्य के अनुसार आमतौर पर होली पर्व पर मिलावटी रंग की बिक्री भी शुरू हो जाती है। आम उपभोक्ता इन रंगों की पहचान नहीं कर पाते और संगे-संबंधियों के बीच खुशी मनाते इन्हीं का प्रयोग करते हैं। इससे त्वचा पर विपरीत प्रभाव शुरू हो जाता है। रंग खेलने से पहले कुछ सावधानियां रखकर इनके बुरे असर से बचा जा सकता है।
नेत्र विशेषज्ञ डॉ. सुशील ओझा बताते हैं कि गुलाल में ऐसे छोटे-छोटे कण मौजूद होते हैं, जो यदि आंखों में चले जाएं तो कॉर्निया को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कॉर्नियल एब्रेशन ऐसी ही एक एमरजेंसी होती है, जहां आंखों से निरंतर पानी गिरता रहता है और दर्द भी बना रहता है। यदि ध्यान न दिया जाए तो आंखों में संक्रमण या अल्सर हो सकता है। होली पर गुब्बारों के इस्तेमाल से आंखों में अंदरूनी रक्तस्रव हो सकता है या किसी प्रकार की भी चोट लग सकती है। आंखों को किसी प्रकार का खतरा हो, उससे पहले आप किसी अच्छे नेत्र रोग विशेषज्ञ से अवश्य ही संपर्क करें।
ये बरतें सावधानी
-कोई रंग लगाने आए तो अपनी आंखों को बंद रखें।
-आंखों में चश्मा पहनें, जिससे खतरनाक रंगों के रसायन से आपकी आंखें बच सकें।
-सिर पर टोपी या हैट लगाएं, जिससे बाल रंगों के दुष्प्रभाव से बचे।
-बच्चों को गुब्बारों से खेलने के लिए उत्साहित न करें, क्योंकि गुब्बारे आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
-अपने रंग लगे हाथों को आंखों के पास न ले जाएं। आंखों को मसलने या रगडऩे की गलती भी न करें।
-चेहरे पर कोल्ड क्रीम लगाएं ताकि रंग आसानी से निकल जाए।
-यदि आंखों में कोई रंग चला जाए तो तुरंत पानी के छीटे मारें।
गुलाल से हुआ टपकेश्वर महादेव का श्रृंगार
श्री टपकेश्वर महादेव सेवा दल की ओर से आयोजित होली मिलन समारोह में प्रेम और उल्लास के रंग बिखरे। लोगों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाया और सुख-समृद्धि की कामना की।
सोमवार को श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर (गढ़ी कैंट) में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत पूजा-अर्चना से की गई और इसके बाद टपकेश्वर महादेव का रंग-बिरंगे गुलाल से श्रृंगार किया गया। वहीं, भजन-कीर्तन की प्रस्तुति भी दी गई। इस दौरान श्रद्धालु भगवान की भक्ति में भाव-विभोर हुए। महंत कृष्ण गिरी महाराज ने लोगों को होली पर्व का सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक महत्व बताया और सभी लोगों को आशीर्वाद दिया। इस दौरान महंत कृष्ण गिरी महाराज ने घोषणा की कि 13 अगस्त को शोभायात्रा निकाली जाएगी।
यह भी पढ़ें: सनातन है गढ़वाल की होली, जानिए होली के शुभ मुहूर्त
यह भी पढ़ें: द्रोणनगरी पर चढ़ने लगा होली का रंग, उत्साह चरम पर