Move to Jagran APP

पुरानी पेंशन बहाली को लेकर उत्तराखंड में भी चला पौधारोपण अभियान

उत्तराखंड में भी कर्मचारियों ने परिवार के साथ मिलकर पौधारोपण किया। इस अभियान में पूरे देश भर से साठ लाख से अधिक एनपीएस कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2020 02:11 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 02:11 PM (IST)
पुरानी पेंशन बहाली को लेकर उत्तराखंड में भी चला पौधारोपण अभियान
पुरानी पेंशन बहाली को लेकर उत्तराखंड में भी चला पौधारोपण अभियान

देहरादून, जेएनएन। पुरानी पेंशन बहाली के नाम पर देशभर में पौधारोपण अभियान चलाया गया। उत्तराखंड में भी कर्मचारियों ने परिवार के साथ मिलकर पौधारोपण किया। इस दौरान राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत ने बताया कि अभियान में पूरे देश भर से साठ लाख से अधिक एनपीएस कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत स्वच्छ पर्यावरण के साथ कर्मचारियों के लिए बुढ़ापे का सहारा है पुरानी पेंशन। 

loksabha election banner

पुरानी पेंशन बहाली को लेकर देश के सभी कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी, बैंक कर्मी, रेलवे कर्मी, सफाई कर्मी, पुलिस कर्मी, पैरा मिलिट्री के जवानों ने पौधे लगाए। इस दौरान राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत ने कहा कि सभी कार्मिकों की मात्र एक नैतिक मांग है पुरानी पेंशन। इसके लिए राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सयुक्त मोर्चा भी लगातार कोशिशें कर रहा है। 

पौधा लगाने के कार्यक्रम के माध्यम से अपनी आवाज को सरकार और जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए सोचना पड़े। उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ सांसद, विधायकों को पुरानी पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ सरकारी कर्मचारियों को एनपीएस दिया जा रहा है। ये पूरी तरह से शेयर बाजार आधारित योजना है कर्मचारियों के साथ धोखा है।

यह भी पढ़ें: हरेला कार्यक्रम अस्कोट से आराकोट अभियान के तहत किया पौधारोपण 

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सयुक्त मोर्चा पुरानी पेंशन बहाली की आवाज को सड़क से सदन तक ले जाने के लिए प्रयासरत है, जिसमें उत्तराखंड से अनिल बडोनी, सीताराम पोखरियाल, मिलिंद बिष्ट, प्रदीप सरल, क्रांति सिंह, उत्तर प्रदेश से डॉ. अनिल स्वदेशी, दिल्ली विश्वविद्यालय से संजय शर्मा, वीरेंद्र दुबे, छत्तीसगढ़ से डॉ. पंकज, गुजरात से संपत कुमारा स्वामी, डॉ. निर्मला, डॉ. पुरुषोत्तम समेत अन्य राज्यों से तमाम लोगों ने हिस्सा लिया।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के जंगलों में पारिस्थितिकीय तंत्र पर मंडराया संकट, जानिए वजह


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.