पिथौरागढ़ का लैंडस्केप यूनेस्को की अनंतिम सूची में शामिल
पिथौरागढ़ में स्थित भूदृश्य (लैंडस्केप) को यूनेस्को ने भारतीय विश्व धरोहरों की अनंतिम सूची में शामिल किया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: पिथौरागढ़ में स्थित भूदृश्य (लैंडस्केप) को यूनेस्को ने भारतीय विश्व धरोहरों की अनंतिम सूची में शामिल किया है। इस भूदृश्य को पवित्र पर्वतीय भूदृश्य और विरासत मार्ग के नाम से नामांकन का प्रस्ताव यूनेस्को को भेजा गया था। यूनेस्को के हेरिटेज सेंटर, पेरिस ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए भारतीय विश्व धरोहरों की अनंतिम सूची में शामिल किया है। अब जल्द ही यूनेस्को का एक दल क्षेत्र के भ्रमण को आएगा। इस दल की रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय होगा कि इसे भारतीय विश्व धरोहर के रूप में चिह्नित किया जाए अथवा नहीं।
गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्लूआइआइ) के निदेशक डॉ. विनोद बी माथुर ने मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि पिथौरागढ़ के कैलाश मानसरोवर मार्ग पर स्थित भूदृश्य को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की अनंतिम सूची में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक, पारिस्थितिकीय एवं ऐतिहासिक महत्व का क्षेत्र है। इन विशेषताओं के कारण इस क्षेत्र की भारतीय विश्व धरोहर में स्थान पाने की अच्छी संभावनाएं हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि यदि यह क्षेत्र विश्व धरोहर में शामिल होता है तो देश व दुनिया में पर्यटन के क्षेत्र में भी उत्तराखंड को विशेष पहचान मिलेगी। उन्होंने इस संबंध में वन, पर्यटन व संस्कृति विभाग को भी डब्लूआइआइ के साथ आपसी समन्वय बनाते हुए संबंधित प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाने में सहयोगी बनाया जाएगा। इसके लिए उन्होंने संस्कृति विभाग को नोडल विभाग बनाने के निर्देश भी दिए।
इस दौरान डब्लूआइआइ के निदेशक ने बताया कि 2016 से संस्थान इस प्रक्रिया में जुड़ा है। इस अवसर पर सचिव वित्त अमित नेगी, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर और हार्क के निदेशक महेंद्र सिंह कुंवर भी उपस्थित थे।