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चल फुलारी फूलों को सौदा-सौदा फुल बीरोंला..

तीर्थनगरी सहित यहां से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में ऋतु पर्व फूलदेई पारंपरिक रीति रिवाज के साथ मनाया गया। जिसमें नन्हे-मुन्नें बच्चों ने घर- घर जाकर घर के आंगन में फूल बिखेरे। साथ ही प्रकृति से सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना की।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Mar 2020 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 06:21 AM (IST)
चल फुलारी फूलों को सौदा-सौदा फुल बीरोंला..
चल फुलारी फूलों को सौदा-सौदा फुल बीरोंला..

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश :

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तीर्थनगरी सहित यहां से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में ऋतु पर्व फूलदेई पारंपरिक रीति रिवाज के साथ मनाया गया। जिसमें नन्हे-मुन्नें बच्चों ने घर- घर जाकर घर के आंगन में फूल बिखेरे। साथ ही प्रकृति से सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना की।

उत्तराखंड की अनोखी लोक परंपरा का प्रतीक फुलदेई त्योहार धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर हाथों में आकर्षक फूलों की छोटी-छोटी टोकरियां थामे बच्चों ने फूल देई, फूल-फूल माई बोलते हुए फुलदेई पर्व मनाया। प्रकृति के साथ सुख-शांति और समृद्धि की शुभकामनाएं लेकर छोटे छोटे बच्चों ने घरों की दहलीज पर फूलों की बारिश की। इस संबंध में डॉ. राजे नेगी ने बताया कि प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में चैत्र मास में मनाया जाने वाला फुलदेई पर्व प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है। फुलदेई पर्व उत्तराखंड की एक विशिष्टता है और पूरी दुनिया में इस त्योहार के माध्यम से प्रकृति और लोक जीवन के मजबूत रिश्ते का संदेश देता है। यह देखकर बड़ी खुशी होती है कि फूलों के त्योहार को फूल से बच्चे बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। हमें अपने लोक संस्कृति व लोक परंपराओं से बच्चों को जोड़ना होगा। इससे बच्चों का अपनी संस्कृति, सभ्यता और परंपरा से जुड़ाव होता है। शनिवार सुबह बच्चों ने घरों में जाकर फूल देइ छम्मा देई.गाकर मंगल कामना की, तो बदले में उन्हें गुड़ इत्यादि दिया गया। महापौर अनीता ममगाई ने फूलदेई पर्व की बधाई देते हुए कहा कि इस पर्व के प्रचार-प्रसार के लिए काम करना चाहिए जिससे लोगों को इस प्रकृति के त्योहार के बारे में संपूर्ण जानकारी हो।

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फूलदेई पर रोपे पौधे

डोईवाला : फूलदेई पर्व पर बालिकाओं ने घर के दरवाजों पर प्रातकाल फूल भी डालें। डोईवाला विकासखंड के विभिन्न क्षेत्रों में फूलदेई पर्व को धूमधाम से मनाया गया। छोटी बालिकाओं व बच्चों ने घरों के बाहर दरवाजे पर फूल भी बिखेरे। मिल रोड डोईवाला निवासी ज्योतिषाचार्य लेखराम कोठारी शास्त्री ने बताया कि सर्वे भवंतु सुखिन: की हमारी संस्कृतिक परंपरा को दर्शाता फूलदेई प्रकृति से जुड़ा पर्व भी है। इसलिए पौधारोपण कर अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने व इसे प्रचारित भी करे। मुख्यमंत्री के ओएसडी धीरेंद्र पंवार, नगर पालिका चेयरमैन सुमित्रा मनवाल, सभासद राजेश भट्ट, संस्कार भारती के अध्यक्ष ईश्वर चंद अग्रवाल व शिक्षिका उषा गौड़ ने लोगों को फूलदेई पर्व की बधाई दी है।


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