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Uttarakhand Unlock 01: उत्तराखंड में रंग लाईं कोशिशें, पटरी पर लौटने लगा फार्मा उद्योग

लॉकडाउन के पांचवें चरण अनलॉक 1.0 में रियायतें बढ़ने के साथ फार्मा उद्योग ने भी रफ्तार पकड़ी है। उत्तराखंड में एक माह के भीतर ही फार्मा इकाइयों का उत्पादन बढ़कर दोगुना हो गया है।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Thu, 11 Jun 2020 12:18 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jun 2020 12:18 PM (IST)
Uttarakhand Unlock 01: उत्तराखंड में रंग लाईं कोशिशें, पटरी पर लौटने लगा फार्मा उद्योग
Uttarakhand Unlock 01: उत्तराखंड में रंग लाईं कोशिशें, पटरी पर लौटने लगा फार्मा उद्योग

देहरादून, जेएनएन। लॉकडाउन के पांचवें चरण अनलॉक 1.0 में रियायतें बढ़ने के साथ फार्मा उद्योग ने भी रफ्तार पकड़ी है। उत्तराखंड में एक माह के भीतर ही फार्मा इकाइयों का उत्पादन बढ़कर दोगुना हो गया है। 22 मार्च से पांच मई तक इन इकाइयों में जहां क्षमता के सापेक्ष 35 से 40 फीसद ही उत्पादन हो रहा था। वहीं, छह मई के बाद उत्पादन ने गति पकड़ी और एक महीने में यह आंकड़ा 75 से 80 फीसद पर पहुंच गया।

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उत्तराखंड में सेलाकुई, रुड़की के भगवानपुर, हरिद्वार, काशीपुर, सितारगंज, देहरादून के मोहब्बेवाला, ऋषिकेश आदि क्षेत्रों में 1123 फार्मा उद्योगों में वर्तमान में उत्पादन हो रहा है। फार्मास्युटिकल इकाइयों के मालिकों का कहना है कि भले ही लॉकडाउन में फार्मा उद्योगों को आवश्यक सेवाओं के तहत उत्पादन की छूट दी गई थी। लेकिन, तब कच्चे माल की कमी थी। जिस कारण क्षमता के सापेक्ष 30 से 40 फीसद ही उत्पादन हो रहा था। 

छह मई से उत्तराखंड सरकार ने राज्य में रियायतें बढ़ा दीं। इससे कच्चे माल की आपूर्ति के साथ बाजार में दवाओं की मांग भी बढ़ी। फलस्वरूप फार्मा का उत्पादन बढ़ने के साथ कारोबार में भी इजाफा हुआ है।

भारतीय उद्योग परिसंघ उत्तराखंड परिषद के अध्यक्ष अशोक विंडलास ने बताया कि चीन से दवा बनाने में प्रयोग होने वाले फार्मूलेशन (कच्चे माल) की आपूर्ति अभी भी ठप है। देश के कुछ राज्यों से ही कच्चा माल उत्तराखंड आ रहा है। इससे उत्पादन में सुधार हो रहा है। 

एसोसिएशन ऑफ फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरिंग उत्तराखंड के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि फार्मा इकाइयों में इस वर्ष उत्पादन में कमी आई है। हालांकि, उत्पादन का जो आंकड़ा 30 से 35 फीसद पर सिमट गया था। पिछले एक माह में उसमें सुधार आया है। अब यह 75 फीसद तक पहुंच गया है।

उद्योगपतियों की समस्या का हो रहा निदान 

उद्योग निदेशक, उत्तराखंड सुधीर नौटियाल के अनुसार, लॉकडाउन में सरकार ने फार्मा उद्योगों को विशेष महत्व दिया। दवा उद्योगों के कामगारों को तत्काल पास दिए गए ताकि उत्पादन जारी रहे। उद्योग निदेशालय में सिंगल विंडो सिस्टम के तहत उद्योगपतियों की समस्या का तुरंत निदान हो रहा है।

डिमांड बढ़ने से बढ़ेगा उत्पादन 

केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस मनकोटी के मुताबिक, बाजार खुलने के समय में इजाफे से दवा व कॉस्मेटिक उत्पादों की डिमांड बढ़ रही है। एंटीबायोटिक दवा और सर्जरी उपकरण की बिक्री जो शून्य हो गई थी, उसमें भी सुधार आया है। बाजार में डिमांड बढ़ने से फार्मा उद्योग में उत्पादन भी बढ़ेगा।

पांच हजार उद्योगों से 10 करोड़ नहीं वसूलेगा पीसीबी

उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। इसमें मुख्य रूप से वायु प्रदूषण की दर को कम करने के निर्णय लिए गए। वहीं, कोरोना के संक्रमणकाल में उद्योगों की स्थिति को देखते हुए तय किया गया कि 10 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली इकाइयों से वर्ष 2020-21 का सहमति शुल्क नहीं लिया जाएगा। यह राशि करीब 10 करोड़ है और इसके दायरे में पांच हजार से अधिक उद्योग आ रहे हैं।

बोर्ड अध्यक्ष व प्रमुख सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में बैठक की गई। बैठक में फ्यूल पॉलिसी को पास करते हुए तय किया गया कि प्रदेश में संचालित हो रहे फर्नेस ऑयल व पेट्रो ऑयल से संबंधित 61 उद्योग वर्ष 2024 तक ही संचालित हो पाएंगे। अब ऐसी नई इकाइयों को अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही राज्य में सीएनजी व पीएनजी जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। 

एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग प्रोग्राम शुरू करते हुए सभी जिला मुख्यालय व आठ नगर निगम में सालभर में 104 बार मैनुअली वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जाएगी। इसके अलावा कई अन्य बिंदुओं पर सहमति बनाई गई। बैठक में वित्त सचिव सौजन्या, बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि, अपर सचिव शहरी विकास विनोद कुमार सुमन, उद्योगों के प्रतिनिधि व आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

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वायु प्रदूषण के स्रोत का लगाया जाएगा पता

बोर्ड ने एयर एक्शन प्लान को मंजूरी देते हुए तय किया कि देहरादून व काशीपुर क्षेत्र में निकलने वाले वायु प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों का आकलन किया जाएगा। दून में यह जिम्मा आइआइटी रुड़की व काशीपुर में डाटा इनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट को दिया गया। गंगा, कोसी नदी व विभिन्न झीलों आदि के जल प्रदूषण की मॉनिटरिंग के 56 प्वाइंट को बढ़ाकर 98 किया गया।

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