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Reservation in promotion: महामारी के बीच सपरिवार धरने पर बैठे कार्मिक

कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच भी जनरल-ओबीसी कार्मिकों की हड़ताल जारी है। आरक्षण समाप्त करने और अविलंब पदोन्नति पर लगी रोक हटाने को लेकर कार्मिकों के परिवार भी धरने में शामिल हुए।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 12:08 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 12:08 PM (IST)
Reservation in promotion: महामारी के बीच सपरिवार धरने पर बैठे कार्मिक
Reservation in promotion: महामारी के बीच सपरिवार धरने पर बैठे कार्मिक

देहरादून, जेएनएन। कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच भी जनरल-ओबीसी कार्मिकों की हड़ताल जारी है। पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने और अविलंब पदोन्नति पर लगी रोक हटाने की मांग को लेकर जनरल-ओबीसी वर्ग के कार्मिक परेड मैदान में धरने पर डटे हैं। कार्मिकों के परिवार भी धरने में शामिल हुए। हैरानी तो यह कि कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए जहां भीड़ एकत्रित होने पर रोक लगाई गई है, वहीं कार्मिक अपने परिवार को भी भीड़ में शामिल कर रहे हैं।

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परेड ग्राउंड में पूरे जोश के साथ उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के बैनर तले कार्मिक अपने परिवार के साथ पहुंचे। बड़ी संख्या में कार्मिकों ने यहां धरना देते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान कर्मचारी नेताओं ने भी धरने को संबोधित कर अपनी-अपनी बात रखी। इस दौरान कार्मिकों ने एक स्वर में सरकार के खिलाफ हल्ला बोला।

इस दौरान सभा की अध्यक्षता निगम कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय महासचिव सूर्यप्रकाश रणाकोटी और संचालन प्रांतीय कोषाध्यक्ष सीएल असवाल ने किया। धरने में सोहन सिंह माजिला, रामचंद्र रतूड़ी, राजीव शुक्ला, रीता कौल, वीए कलूड़ा, सुनीता उनियाल, विजय खाली, धमेंद्र उनियाल, यशस्वी सेमवाल, वीरेंद्र सिंह गुसाईं, दीपक जोशी, पंचम सिंह बिष्ट आदि ने भी संबोधित किया।

अब सिर्फ 40 कार्मिक देंगे धरना

कार्मियों की बैठक में उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया। इस दौरान प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने बताया कि बैठक में निर्णय लिया गया कि कोरोना संक्रमण के चलते अब परेड मैदान में केवल 30 से 40 कार्मिक ही धरने पर बैठेंगे। इसके अलावा अन्य कर्मचारी अपने-अपने कार्यालयों के बाहर ही धरना देंगे। 

साथ ही विभिन्न वार्डों में जाकर जन जागरण अभियान चलाया जाएगा और लोगों को अपनी जायज मांग से अवगत करा सरकार के खिलाफ समर्थन मांगा जाएगा। यही नहीं, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कार्मिकों के दो घंटे के कार्य बहिष्कार को कोरोना को देखते हुए एक घंटा कर दिया गया है।

स्वास्थ्य सेवाओं के कार्मिकों को मिले जोखिम भत्ता

जनरल-ओबीसी वर्ग के कार्मिकों ने स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कार्मिकों को कोरोना के संक्रमण के खतरे के बावजूद अस्पतालों में सेवाएं देने के लिए जोखिम भत्ता देने की मांग की है। एसोसिएशन के महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि कोरोना के खतरे के बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े सभी वर्गों के कार्मिक पूरी निष्ठा से कार्य कर रहे हैं। 

ऐसे में उनकी सुरक्षा को देखते हुए उन्हें जोखिम भत्ता दिया जाए। वहीं उन्होंने सरकार से यह भी मांग की है कि चारों ओर कोरोना का खौफ है। स्कूल-कॉलेज भी बंद कर दिए गए हैं, लेकिन सरकारी दफ्तरों में अवकाश घोषित नहीं किया जा रहा है। कहा कि दफ्तरों में अभी भी 20 फीसद कार्मिक ड्यूटी कर रहे हैं। जिन्हें कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है। ऐसे में तमाम सरकारी कार्यालयों में भी 31 मार्च तक अवकाश रखा जाए।

मंत्री को सुनाई खरी-खरी

हड़ताली कार्मिकों ने मांगों को लेकर धरने के दौरान जमकर नारेबाजी की। इस मौके पर उन्होंने शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक पर निशाना साधा। कार्मिकों ने कौशिक पर कर्मचारी विरोधी बयानबाजी का आरोप लगाया। उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि काबीना मंत्री मदन कौशिक और मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह इस वक्त कार्मिकों के खिलाफ हैं। 

आरोप लगाया कि मदन कौशिक लगातार कर्मचारियों को नो वर्क नो पे, मुकदमे और अन्य तरीकों से डराने का प्रयास कर रहे हैं। धरने में बैठे कार्मिकों ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को भी कठघरे में खड़ा किया। कहा कि वे हड़ताल समाप्त करने की अपील तो कर रहे हैं, लेकिन सरकार के साथ कोई सकारात्मक पहल करने पर चर्चा नहीं की जा रही है।

सप्लाई निरीक्षकों को रियायत

कोरोना के प्रकोप को देखते हुए सप्लाई इंस्पेक्टरों को हड़ताल से चार घंटे की रियायत दी जा रही है। ताकि वे मास्क और सेनिटाइजर की कालाबाजारी रोक सकें।

प्रशासन ने दिया परेड मैदान खाली करने का नोटिस

परेड मैदान में धरने पर बैठे जनरल-ओबीसी वर्ग के कार्मिकों को प्रशासन ने ग्राउंड खाली करने का नोटिस दिया है। ऐसा न करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। इधर, कार्मिकों ने मैदान खाली करने से इन्कार कर दिया है। उनका कहना है कि वह किसी भी कानूनी कार्रवाई को तैयार हैं।

जनरल-ओबीसी वर्ग के कार्मिकों का धरना परेड मैदान में जारी रहा। कार्मिकों के परिवार भी धरने में शामिल हुए। दोपहर बाद सिटी मजिस्ट्रेट अनुराधा पाल पुलिस बल के साथ परेड ग्राउंड पहुंचीं और उन्हें प्रशासन के नोटिस से अवगत कराया। सिटी मजिस्ट्रेट ने कहा कि खेल विभाग के अधीन परेड मैदान में कर्मचारी बिना अनुमति बैठे हैं। 

इसके साथ ही आरोप है कि कार्मिकों ने मैदान की बाउंड्रीवाल तोड़कर सरकारी संपत्ति को नुकसान भी पहुंचाया है। ऐसे में वे तत्काल परेड मैदान खाली कर दें अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा नोटिस में कहा गया कि परेड ग्राउंड में अराजकता फैलाई जा रही है। कार्मिकों को चिह्नित कर उनके खिलाफ मुकदमा भी किया जा सकता है।

इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने कहा कि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए भी कार्मिकों से अपील की जा रही है कि वह भीड़ एकत्र न करें। धरने में भी 50 से अधिक लोगों के शामिल होने पर पाबंदी है। जन स्वास्थ्य के हित में कार्मिक धरना न दें।

हड़ताल स्थगित करने की अपील

कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए एक जगह भीड़ एकत्रित न होने देने का सरकार का निर्णय स्वागत योग्य है। कार्मिकों को भी जन स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए हड़ताल से 15 दिन के लिए पीछे हट जाना चाहिए। जब तक कोरोना वायरस से छुटकारा नहीं मिल जाता, तब तक घर में रहना चाहिए।

हड़ताल पर सरकार करेगी कर्मचारियों से वार्ता

कोरोना के लगातार बढ़ते खतरे के बाद भी बेमियादी हड़ताल पर अडिग जनरल ओबीसी कर्मचारियों की मांग पर वार्ता के लिए सरकार तैयार हो गई है। अपर सचिव ने कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों से सचिवालय में बुलाया है। अब देखना होगा कि सरकार ऐसे माहौल में हड़ताल वापस कराने के लिए क्या कदम उठाती है। गौरतलब है कि कर्मचारियों ने ऐलान कर रखा है कि बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली के बिना हड़ताल वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता।

बता दें, उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के बैनर तले प्रदेश के डेढ़ लाख से अधिक कर्मचारी दो मार्च से बेमियादी हड़ताल पर हैं। इस बीच उनकी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक से वार्ता भी हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए इस बात पर अडिग हैं कि उन्होंने लंबी कानूनी लड़ाई जीती है और अब हड़ताल तभी वापस होगी, जब बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली का शासनादेश उनके हाथ में होगा। 

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कर्मचारियों के इस रुख से सचिवालय से लेकर पूरे प्रदेश में सरकारी कामकाज ठप है। वहीं, अब कोरोना को लेकर देश और पूरे प्रदेश में अफरातफरी का माहौल है। स्वास्थ्य सेवाओं को एस्मा के दायरे में लाने के बाद अब सरकार हड़ताली कर्मचारियों को वार्ता के लिए बुलाया है। अपर सचिव सुरेश चंद्र जोशी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष व महासचिव राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ से छह पदाधिकारियों के साथ सचिवालय में अपर मुख्य सचिव कार्मिक के कार्यालय में उपस्थित होने को कहा गया है।

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