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वाहन का जो परमिट आरटीओ से मिलता, वह वाहनों के शोरूम में से बेचा जा रहा

वाहन का जो परमिट सिर्फ आरटीओ दफ्तर से मिलता है वह वाहनों के शोरूम में मनमाफिक रकम लेकर कैसे और किसकी शह पर बेचा जा रहा है यह बड़ा सवाल है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 09:44 AM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 09:44 AM (IST)
वाहन का जो परमिट आरटीओ से मिलता, वह वाहनों के शोरूम में से बेचा जा रहा
वाहन का जो परमिट आरटीओ से मिलता, वह वाहनों के शोरूम में से बेचा जा रहा

देहरादून, जेएनएन। इसे परिवहन विभाग की लापरवाही कहें या फिर सांठगांठ। वाहन का जो परमिट सिर्फ आरटीओ दफ्तर से मिलता है, वह वाहनों के शोरूम में मनमाफिक रकम लेकर कैसे और किसकी शह पर बेचा जा रहा है, यह बड़ा सवाल है। परिवहन विभाग के दफ्तरों में परमिट का 'खेल' नया नहीं है। इस बात से सभी वाकिफ हैं कि सार्वजनिक सवारी वाहन में परमिट की मूल कीमत क्या होती है और बाजारी कीमत क्या, लेकिन परमिट मंजूर होने से पहले ही 100 गुना दाम पर सौदेबाजी होना परिवहन विभाग के आला अफसरों पर भी संदेह जता रहा।

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शहर में विक्रम और ऑटो, दो ही ऐसे सार्वजनिक परिवहन यात्री वाहन हैं, जिनके परमिट को लेकर मारामारी रहती है। विभाग ने पिछले नौ साल से इनके नए परमिटों पर रोक लगाई हुई थी। ऐसे में विक्रम के पुराने परमिट पांच से दस लाख तक बिक रहे हैं, जबकि ऑटो के दो से तीन लाख रुपये में। इसी बीच परिवहन प्राधिकरण ने ये फैसला लिया कि शहर में सीएनजी-हाइब्रिड ईंधन वाले ऑटो ही चलेंगे। डीजल ऑटो चलन से बाहर किए जाएंगे। इसका प्रस्ताव मंजूर होना बाकी है, मगर ऑटो शोरूम मालिकों ने ग्राहकों से सीएनजी के परमिट के नाम पर लूट-खसोट शुरू कर दी।

ट्रेड सर्टिफिकेट होता है निलंबित

ग्राहक सेवा में कोई भी असुविधा और अवैध वसूली आदि की शिकायत पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत संबंधित शोरूम का ट्रेड सर्टिफिकेट सीधे निलंबित करने का नियम है। इस कार्रवाई के बाद उक्त शोरूम संचालक कोई भी वाहन नहीं बेच सकता। अगर वह वाहन बेचता भी है तो वह वाहन आरटीओ में पंजीकृत ही नहीं होगा।

अब बर्दाश्त की सीमा पूरी: आर्य

परिवहन विभाग में एक के बाद लगातार सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामलों के बाद परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने कहा है कि अब बर्दाश्त की सीमा पूरी हो गई है। ऐसी स्थिति किसी विभाग में नहीं हो रही। आर्य ने कहा कि अब एक्शन का समय आ गया है। जांच दर जांच बहुत हो चुकी, अब तो सीधे कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि बीते डेढ़ माह से परिवहन विभाग का विवादों से नाता नहीं छूट रहा। पहले एक अफसर के घर सवा करोड़ रुपये की डकैती से विभाग सुर्खियों में बना रहा, फिर पिछले सप्ताह दो कार्मिकों की अलग-अलग मामलों में घूस लेने के आरोप में विजिलेंस की गिरफ्तारी ने विभाग को चर्चाओं में ला दिया। मुख्यालय से लेकर संभागीय कार्यालयों तक में रिश्वत खुलेआम चल रही। दलालों का सिंडिकेट इतना हावी हो चुका है कि वे कार्यालय के अंदर सरकारी कुर्सी पर बैठकर काम निबटा रहे। विजिलेंस द्वारा बाकायदा इसकी रिपोर्ट तैयार की गई है और इसे जल्द ही शासन को सौंपा जाएगा।

दिनेश चंद्र पठोई (आरटीओ देहरादून) का कहना है कि मामला मेरे संज्ञान में है। अभी सीएनजी ऑटो के लिए परमिट दिए ही नहीं जा रहे तो शोरूम वाले कैसे परमिट की सौदेबाजी कर रहे। परमिट वैसे भी परिवहन कार्यालय से दिया जाता है। ऑटो शोरूम संचालक के ट्रेड सर्टिफिकेट के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है। संचालक को नोटिस भी भेजा गया है।

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आशीष बंसल (संचालक बंसल ऑटोमोटिव) का कहना है कि मोहम्मद सलीम ने हमारे यहां से 25 अक्टूबर से पूर्व ऑटो के लिए दो कोटेशन बनवाई थी। जिसमें मूल कीमत, बीमा एवं पंजीकरण शुल्क जोड़ा गया था। इसके बाद नई कोटेशन में परमिट शुल्क किसने जोड़ा, इसमें हम अपने स्टॉफ की जांच कर रहे।

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