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आइएएस पंकज के खिलाफ अभियोजन की अनुमति, डीओपीटी जाएगा चंद्रेश के निलंबन का मामला

एनएच 74 चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण में सरकार ने सख्त रूख अपनाते हुए एसआइटी को आइएएस पंकज कुमार पांडेय के खिलाफ अभियोजन की अनुमति दे दी है।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 11:14 AM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 11:14 AM (IST)
आइएएस पंकज के खिलाफ अभियोजन की अनुमति, डीओपीटी जाएगा चंद्रेश के निलंबन का मामला
आइएएस पंकज के खिलाफ अभियोजन की अनुमति, डीओपीटी जाएगा चंद्रेश के निलंबन का मामला

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: एनएच 74 (हरिद्वार-उधमसिंहनगर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग) चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण में सरकार ने सख्त रूख अपनाते हुए एसआइटी को आइएएस पंकज कुमार पांडेय के खिलाफ अभियोजन की अनुमति दे दी है। एसएसपी ऊधमसिंह नगर कृष्ण कुमार वीके ने इसकी पुष्टि की है। 

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इससे आइएएस पंकज कुमार पांडेय पर शिकंजा कसना तय हो गया है। उधर, सूत्रों की मानें तो मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय कार्मिक व प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) ने भी इस मामले में शासन से एसआइटी की जांच का पूरा ब्योरा तलब किया है। माना जा रहा है कि डीओपीटी को रुख को देखते हुए शासन ने अभियोजन की अनुमति देने का कदम उठाया है। हालांकि शासन में संबंधित अधिकारी इस मामले में किसी भी तरह की टिप्पणी से बचते नजर आए। 

एनएच 74 चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण पर एसआइटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में दो आइएएस अधिकारियों को भी आरोपित किया है। आइएएस अधिकारी पंकज कुमार पांडेय पर कृषि भूमि को अकृषि दिखाने तथा तय कीमत से कई गुनाअधिक मुआवजा देने के साथ ही सरकारी जमीनों का मुआवजा देने का आरोप है। 

वहीं, आइएएस चंद्रेश यादव पर भी कृषि भूमि को अकृषि दिखाने और तय कीमत से अधिक मुआवजा देने का आरोप है। शासन ने दोनों अधिकारियों का निलंबन करने के साथ ही उन्हें चार्जशीट भी सौंपी है। 

दोनों अधिकारियों ने इस मामले में जवाब देने से पहले सूचना के अधिकार के तहत एसआइटी की जांच रिपोर्ट मांगी थी, जिसे शासन दे चुका है। इसके अलावा अधिकारियों को जवाब देने का और अधिक समय भी दिया गया है। इसके साथ ही शासन ने आइएएस पंकज कुमार पांडेय पर अभियोजन चलाने के लिए डीओपीटी की अनुमति मांगी थी। इस पर डीओपीटी ने शासन से एसआइटी की जांच का ब्योरा अंग्रेजी अनुवाद में मांगा। जिसे शासन ने एसआइटी को उपलब्ध कराने को कहा है। 

वहीं, सूत्रों की मानें तो इसके साथ ही डीओपीटी के रुख को भांपते हुए शासन ने अब आइएएस अधिकारी डॉ. पंकज कुमार पांडेय पर अभियोजन चलाने की अनुमति दे दी है। इससे उन पर मुकदमा चलाने का रास्ता भी साफ हो गया है। हालांकि फिलहाल उनकी गिरफ्तारी की संभावना काफी कम हैं, क्योंकि निलंबित आइएएस डॉ. पांडेय गिरफ्तारी से बचने के लिए पहले ही हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुके हैं। जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार से 30 अक्टूबर तक अपना पक्ष रखने को कहा है। 

उधमसिंह नगर के एसएसपी कृष्ण कुमार वीके के अनुसार शासन ने निलंबित आईएएस डॉ. पंकज पांडेय के खिलाफ अभियोजन की अनुमति दे दी है। आदेश के अध्ययन के बाद एसआइटी नियमानुसार आगे की कार्रवाई करेगी। डीओपीटी द्वारा एसआइटी की जांच रिपोर्ट मांगने का विषय अलग है।

डीओपीटी ने मांगी एसआइटी की जांच रिपोर्ट

एनएच 74 (हरिद्वार-उधमसिंहनगर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग) चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण पर अब केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) ने भी जांच रिपोर्ट तलब की है। डीओपीटी ने शासन से एसआइटी द्वारा की गई जांच का अंग्रेजी अनुवाद भेजने को कहा है। माना जा रहा है कि पहले डीओपीटी खुद आइएएस पंकज कुमार पांडेय पर लगे आरोपों को देखना चाह रहा है। इसके बाद ही वह आइएएस पंकज कुमार पांडेय पर अभियोजन चलाने के संबंध में शासन द्वारा मांगी गई स्वीकृति के संबंध में कोई निर्णय लेगा। 

एनएच 74 चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण पर एसआइटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में दो आइएएस अधिकारियों को भी आरोपित किया है। आइएएस अधिकारी पंकज कुमार पांडेय पर कृषि भूमि को अकृषि दिखाने तथा तय कीमत से कई गुना अधिक मुआवजा देने के साथ ही सरकारी जमीनों का मुआवजा देने का आरोप है। 

वहीं, आइएएस चंद्रेश यादव पर भी कृषि भूमि को अकृषि दिखाने और तय कीमत से अधिक मुआवजा देने का आरोप है। शासन ने दोनों अधिकारियों का निलंबन करने के साथ ही उन्हें चार्जशीट भी सौंपी है। दोनों अधिकारियों ने इस मामले में जवाब देने से पहले सूचना के अधिकार के तहत एसआइटी की जांच रिपोर्ट मांगी थी, जिसे शासन दे चुका है। 

इसके अलावा अधिकारियों को जवाब देने का और अधिक समय भी दिया गया है। इसके साथ ही शासन ने आइएएस पंकज कुमार पांडेय पर अभियोजन चलाने के लिए डीओपीटी की अनुमति मांगी थी। सूत्रों की मानें तो डीओपीटी ने फिलहाल अनुमति तो नहीं दी है लेकिन शासन को पहले एसआइटी की रिपोर्ट का अंग्रेजी अनुवाद मुहैया कराने को कहा है। सूत्रों की मानें तो शासन ने भी अब एसआइटी को इसका अंग्रेजी अनुवाद भेजने को कहा है। 

माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद ही डीओपीटी अभियोजन की अनुमति देने अथवा न देने के संबंध में अपना निर्णय देगा। बहाली के पत्र पर शासन कर रहा परीक्षण एनएच 74 मुआवजा प्रकरण मामले में निलंबित आइएएस चंद्रेश कुमार यादव द्वारा बहाली का पत्र लिखे जाने के मामले का शासन परीक्षण कर रहा है। 

दरअसल, कुछ दिनों पूर्व निलंबित आइएएस चंद्रेश यादव ने शासन को अपनी बहाली के लिए पत्र लिखा था। इसमें यह तर्क दिया गया था कि अखिल भारतीय सेवा नियमावली के तहत निलंबन आदेश 30 दिनों तक ही वैध होता है। यह अवधि पूरी हो चुकी है ऐसे में उनकी बहाली की जानी चाहिए। 

सूत्रों के अनुसार शासन कहने को इसका परीक्षण कर रहा है लेकिन फिलहाल वह निलंबित आइएएस को जल्द बहाल करने के मूड में नहीं है। सूत्रों का कहना है कि कुछ मामलों में अधिकारियों के निलंबन की अवधि छह माह या उससे अधिक की भी हो सकती है। हालांकि, इन नियमों का परीक्षण भी न्याय विभाग से कराया जा रहा है ताकि जल्द ही अधिकारी को स्पष्ट जवाब दिया जा सके।

निलंबित अभियंताओं को चार्जशीट जल्द

रायपुर-थानो मार्ग पर भोपालपानी स्थित पुल के निर्माण में निलंबित अभियंताओं ने नियमों को ताक पर रखा हुआ था। बड़ी बात यह है कि पुल बिना डिजाइन के ही बन कर तैयार हो गया था। इतना ही नहीं इसमें तकनीकी मानकों का भी पालन नहीं किया गया। जांच रिपोर्ट में मिली इन खामियों के बाद शासन ने अधिशासी अभियंता समेत चार को निलंबित करने के आदेश जारी किए। अब इन्हें जल्द चार्जशीट सौंपी जाएगी। 

सरकार इस मामले में मुकदमा भी दर्ज करने की भी तैयारी कर रही है। थानो रायपुर मार्ग पर भोपालपानी में बन रहे पुल के निर्माण को लेकर लंबे समय से शिकायत चल रही थी। इस पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वयं इसका मौका मुआयना कर जांच के निर्देश दिए थे। 

अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि मामले की दो लोगों को सौंपी गई। तकनीकी जांच श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग और डिजाइन की जांच पौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज को सौंपी गई थी। इस मामले में कुरुक्षेत्र इंजीनियरिंग कालेज से भी पूछताछ की गई। इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि उन्होंने केवल पुल का बाहरी आवरण डिजाइन किया था। ढांचे का कोई डिजाइन नहीं बनाया गया। यहां संबंधित ठेकेदार ने बिना डिजाइन के ही पुल तैयार कर दिया। 

यहां तक कि पुल की भार क्षमता भी मानकों से कहीं कम थी। यह पुल सुरक्षित भी नहीं था। इस रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। वहीं अब शासन स्तर से इन अधिकारियों को चार्जशीट देने की तैयारी चल रही है। 

इस मामले में भारी अनियमितता को देखते हुए मुकदमा दर्ज करने की भी तैयारी है। 11 अभियंताओं के तबादले शासन ने लोक निर्माण विभाग में 11 अभियंताओं के तबादले किए हैं। अपर सचिव प्रदीप सिंह रावत द्वारा जारी आदेश के तहत लोनिवि देहरादून के विभागाध्यक्ष जय प्रकाश गुप्त को उत्तरकाशी तैनात किया है। 

उनके स्थान पर अधीक्षण अभियंता अशोक कुमार को लाया गया है। अधिशासी सुनील कुमार गर्ग को हरिद्वार से बड़कोट भेजा गया है, दीपक कुमार को उनके स्थान पर हरिद्वार भेजा गया है। प्रभारी अधिशासी अभियंता जीत सिंह रावत को कीर्तिनगर से रुड़की भेजा गया है। उनके स्थान पर जगदंबा प्रसाद रतूड़ी को भेजा गया है। 

सहायक अभियंता उमेश चंद्र पंत को भवाली से बागेश्वर भेजा गया है। सहायक अभियंता सत्यवीर सिंह को कोटद्वार से गौचर भेजा गया है। सहायक अभियंता पंकज बर्तवाल को गोपेश्वर से देहरादून भेजा गया है। संजय सिंह नयाल को लोहाघाट से अल्मोड़ा भेजा गया है। सहायक अभियंता देवेंद्र सिंह बोरा को पिथौरागढ़ से काठगोदाम में तैनाती दी गई है।

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