उत्तराखंड में रिजर्व फॉरेस्ट में एंगलिंग की अनुमति, दरें तय
एंगलिंग के शौकीनों के लिए अच्छी खबर। राज्य में संरक्षित क्षेत्रों के बाहर रिजर्व फॉरेस्ट (आरक्षित वन क्षेत्र) के अंतर्गत आने वाली नदियों व जलाशयों में एंगलिंग (मछली पकड़ना और छोड़ना) की अनुमति के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
देहरादून, केदार दत्त। एंगलिंग के शौकीनों के लिए अच्छी खबर। राज्य में संरक्षित क्षेत्रों के बाहर रिजर्व फॉरेस्ट (आरक्षित वन क्षेत्र) के अंतर्गत आने वाली नदियों व जलाशयों में एंगलिंग (मछली पकड़ना और छोड़ना) की अनुमति के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसके साथ ही आठ नदियों और एक जलाशय के लिए शुल्क की दरें भी तय कर दी गई हैं। एंगलिंग की सशर्त अनुमति संबंधित क्षेत्रों के प्रभागीय वनाधिकारी जारी करेंगे। इस पहल से जहां पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, वहीं स्थानीय युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
संरक्षित क्षेत्रों (नेशनल पार्क, सेंचुरी व कंजर्वेशन रिजर्व) के बाहर रिजर्व फॉरेस्ट में स्थित जलाशयों और नदियों में एंगलिंग के दरवाजे खोलने की मांग लंबे समय से उठ रही थी। गत वर्ष 31 अगस्त को हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रिजर्व फॉरेस्ट में एंगलिंग की अनुमति देने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई थी। लंबे इंतजार के बाद अब एंगलिंग की अनुमति देने का निर्णय लिया गया। इस संबंध में राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक एंगलिंग के लिए 15 सितंबर से 31 मई तक की अवधि रखी गई है।
रिजर्व फॉरेस्ट में एंगलिंग शुल्क
नदी व जलाशय, दर
- शारदा, नयार, टौंस, अस्सीगंगा, गंगा, व्यासघाट व डोडीताल - सौ रुपये प्रतिदिन प्रति रॉड
- कोसी, कोटड़ी - डेढ़ सौ रुपये प्रतिदिन प्रति रॉड
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यह होंगी शर्तें
- फिशिंग रॉड से होगी एंगलिंग, पकड़ी गई मछलियां तुरंत छोड़नी होंगी
- सूर्याेदय से लेकर सूर्यास्त तक ही होगी एंगलिंग
- एंगलर के साथ सिर्फ एक सहायक व गाइड को ही अनुमति
- एक पूल पर एंगलिंग को केवल एक ही फिशिंग रॉड का होगा प्रयोग
- एंगलिंग वाले क्षेत्र में शोर नहीं किया जाएगा
- वन कानूनों का सभी को कड़ाई से करना होगा पालन
- एंगलिंग के बाद वन विभाग को लौटाना होगा परमिट
- किसी हादसे के लिए वन महकमा नहीं होगा जिम्मेदार
- प्रभागीय वनाधिकारी को परमिट देने व निरस्त करने का अधिकार
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