वाहन की प्रदूषण जांच में लोगों की लग रही भीड़, वसूल रहे दोगुना शुल्क Dehradun News
नया मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद सबसे ज्यादा भीड़ बीमा कंपनियों के दफ्तर एवं प्रदूषण जांच कराने वाले केंद्रों पर जुट रही है। इसका फायदाजांच केंद्र संचालक अवैध वसूली कर रहे।
देहरादून, जेएनएन। नया मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद सबसे ज्यादा भीड़ बीमा कंपनियों के दफ्तर एवं प्रदूषण जांच कराने वाले केंद्रों पर जुट रही है। इसका फायदा प्रदूषण जांच केंद्र संचालक जमकर उठा रहे और चालकों से अवैध वसूली कर रहे।
शहर के ज्यादातर जांच केंद्रों पर यही स्थिति रही और 100 रुपये के बजाए 200 रुपये शुल्क लिया गया। वहीं, एआरटीओ अरविंद पांडे ने बताया कि अवैध वसूली करने वाले केंद्र संचालकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, एक सितंबर से नया मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद सभी वाहनों के लिए प्रदूषण प्रमाण पत्र अनिवार्य हो गया है। पहले प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र न होने पर एक हजार रुपये जुर्माना लगता था, जो नए अधिनियम में दस गुना बढ़ाकर दस हजार रुपये कर दिया गया है।
बीमा न होने पर पहले एक हजार रुपये जुर्माना था, जिसे दोगुना कर दो हजार रुपये किया गया है। अमूमन लोग, पुराने दुपहिया का न तो बीमा कराते हैं, न ही प्रदूषण जांच कराने में रूचि लेते हैं। ऐसे लोगों की चिंता अब बढ़ गई है। भले अभी उत्तराखंड में नया जुर्माना लागू नहीं हुआ है, लेकिन लोग तगड़े जुर्माने से बचने के लिए अब बीमा व प्रदूषण जांच कराने लगे हैं।
चूंकि, शहर में जांच केंद्र की संख्या सीमित है, लिहाजा कर केंद्र पर इन दिनों भीड़ जुट रही। पंडितवाड़ी जांच केंद्र पर शाम को सौ से ज्यादा वाहन कतार में खड़े दिखाई दिए। सरकार ने जांच के लिए 70 से 100 रुपये शुल्क तय किया हुआ है, लेकिन आरोप है कि संचालक की ओर से वाहनों से 200 रुपये शुल्क लिया गया। दुपहिया से 100 रुपये, चौपहिया से 150 रुपये व बस-ट्रक से 200 रुपये तक शुल्क लेकर अवैध वसूली की गई।
शहर में केवल 19 केंद्र
प्रदूषण जांच के लिए शहर में आरटीओ ने सिर्फ 19 जांच केंद्रों को ही मान्यता दी हुई है, जबकि शहर में वाहनों की संख्या करीब दस लाख है। सभी वाहनों को छह माह के लिए प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र दिया जाता है और हर छह माह में दोबारा जांच करा यह प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होता है। सीमित केंद्र होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा।
कोर्ट गया चालान तो देनी होगी बढ़ी दर
उत्तराखंड में फिलहाल नए अधिनियम की जुर्माना दरें अभी लागू नहीं की हुई हैं और पुरानी दरों पर ही चालान हो रहे, मगर यहां एक शर्त है। अगर आपने मौके पर चालान भुगतकर राशि जमा करा दी तो पुराने जुर्माने के अनुसार राशि देनी होगी, लेकिन चालान अगर कोर्ट भेज दिया गया तो आपको नए जुर्माने के अनुसार ही राशि देनी पड़ेगी। यह व्यवस्था प्रदेश में नया एक्ट लागू होने तक रहेगी।
अंग्रेजों के कानून की याद दिलाता है नया एमवी एक्ट
उत्तराखंड क्रांति दल ने नए मोटर व्हीकल एक्ट-2019 का विरोध किया है। इसे लेकर उक्रांद कार्यकर्ताओं ने बुधवार को जिला मुख्यालय पर सांकेतिक प्रदर्शन कर जिलाधिकारी के मार्फत राज्यपाल को ज्ञापन भेजा। कहा कि यदि राज्य में अंग्रेजी कानून को याद दिलाने वाले एक्ट में नियम शिथिल नहीं किए जाते तो इसके विरोध में सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा।
महानगर अध्यक्ष सुनील ध्यानी के नेतृत्व में जिला मुख्यालय पहुंचे कार्यकर्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में नया मोटर व्हीकल एक्ट बनाया है। इसको एक सितंबर से लागू कर दिया गया है। इसमें ट्रैफिक नियमों में बदलाव के साथ ही जुर्माने की राशि को कई गुणा बढ़ा दिया गया है। यही नहीं सजा का प्रावधान भी इसमें किया गया है। जिसमें नाबालिग बच्चों के वाहन चलाते हुए पकड़े जाने पर माता-पिता को सजा का प्रावधान भी किया गया है।
कहा कि ट्रैफिक सुधार के लिए जारी किए गए यह नियम अंग्रेजी हूकूमत के कानूनों की याद दिलाते हैं। कहा कि अनुशासित होना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। लेकिन, ट्रैफिक नियम तोड़ने पर भारी भरकम जुर्माना वसूलना व सजा का प्रावधान करना सही नहीं है। उक्रांद इसका पुरजोर विरोध करता है।
उन्होंने मांग की है कि नियमों को लागू करने से पहले आमजन को जागरूक किया जाना चाहिए। नियमों के अनुपालन के लिए पुलिस के साथ ही सामाजिक संगठनों को अभियानों की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। यदि नए मोटर व्हीकल एक्ट की आड़ में आमजन को पीड़ित किया जाता है दल इसके विरोध में सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगी।
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ज्ञापन देने वालों में दल के महानगर अध्यक्ष सुनील ध्यानी, लताफत हुसैन, समीर मुखर्जी, फुरकान अहमद, दीपक गौनियाल, कमल राणा, अजीत चौहान, प्रमिला रावत आदि कार्यकर्ता शामिल रहे।
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