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सावन का दूसरा सोमवार, शिवालयों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

सोमवार के दूसरे दिन शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुट रही। उन्होंने भगवान शिव की पूजा कर उनका जलाभिषेक किया।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 11:01 AM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 07:51 PM (IST)
सावन का दूसरा सोमवार, शिवालयों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
सावन का दूसरा सोमवार, शिवालयों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

देहरादून, [जेएनएन]: हिंदुओं के विशेष धार्मिक महत्व के माह सावन के दूसरे दिन सोमवार को मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। शिवभक्तों ने शिवालय पहुंचकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया और उनसे आशीर्वाद लिया।  

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उत्तराखंड में सावन के दूसरे सोमवार पर शिव मंदिरों में व्रतियों और भक्तों की भीड़ लगी रही। चारों तरफ बस भोले बाबा के जयकारे सुनार्इ दे रहे थे। लोगों ने मंदिर पहुंच भोले बाबा का जल से अभिषेक पूजन किया। धूप, दीप, अक्षत, रोली, चंदन का तिलक लगाकर फूल बेलपत्र से बाबा का पूजन किया गया। 

राजधानी देहरादून के साथ ही अन्य जिलों में भी सुबह से ही शिवालयों में भीड़ जुटनी शुरू हो गर्इ थी। हर कोर्इ बाबा के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेना चाहता था। 

वहीं, हल्द्वानी के पटेल चौक स्थित पिपलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया गया। भैरव बाबा मंदिर में भोले का विशेष श्रृंगार कर पूजन किया गया। वहीं, रामपुर रोड स्थित बेल बाबा मंदिर एवं शहर के अन्य शिवालयों में भी भक्त पहुंचे। लोगों ने भगवान शिव का पूजन कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। आपको बता दें कि अन्य राज्यों में सावन हिंदू पंचांग के अनुसार 28 जुलाई से शुरू होगा। मगर पर्वतीय क्षेत्रों में कर्क संक्रांति से इसकी शुरुआत होती है।

 

शिव को सावन में मिलती है शीतलता

सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है। ऐसी मान्यता है कि सावन में चारों ओर मेघवर्षा होती है और तापमान में गिरावट आती है, जिससे शिव का चित्त शांत रहता है और उन्हें शीतलता प्राप्त होती है। 

ऐसे करें भोले को प्रसन्न

आचार्य कन्हैया चमोली ने बताया कि भगवान शिव का गंगाजल या दूध से अभिषेक कर विल्व पत्र के साथ ही पंच फल व पंच फूल चढ़ाएं। विशेष मनोकामना के लिए दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, तिल आदि कई सामग्रियों से भी अभिषेक की विधि प्रचलित है। 

तिल के तेल का दीपक जलाकर भोले की आराधना करें। पंचाक्षरी और गायत्री मंत्र का पाठ भी कर सकते हैं। शिव चालीसा और महामृत्युंजय का पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है। 

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