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नेत्र चिकित्सालय में लिफ्ट में फंसे तीमारदार, अस्पताल प्रशासन के हाथ पांव फूले

महात्मा गांधी नेत्र चिकित्सालय में कुछ तीमारदार लिफ्ट में फंस गए। जिस पर अस्पताल प्रशासन के हाथ पांव फूल गए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 04:44 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 04:44 PM (IST)
नेत्र चिकित्सालय में लिफ्ट में फंसे तीमारदार, अस्पताल प्रशासन के हाथ पांव फूले
नेत्र चिकित्सालय में लिफ्ट में फंसे तीमारदार, अस्पताल प्रशासन के हाथ पांव फूले

देहरादून, जेएनएन। महात्मा गांधी नेत्र चिकित्सालय में गुरुवार सुबह कुछ तीमारदार लिफ्ट में फंस गए। जिस पर अस्पताल प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। आनन-फानन चिकित्सा अधीक्षक को इसकी जानकारी दी गई। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने मौकेपर पहुंचकर लिफ्ट खुलवाई और इसमें फंसे लोगों को बाहर निकलवाया। जिसके बाद गुस्साए लोगों ने सीएमएस का घेराव किया। 

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दरअसल, अस्पताल में गुरुवार सुबह बिजली अचानक चली गई। जिससे लिफ्ट बीच में ही रुक गई। कुछ तकनीकी दिक्कत के कारण जनरेटर भी नहीं चला। ऐसे में तीमारदार लिफ्ट में कुछ देर के लिए फंस गए। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला को इसकी सूचना दी गई। काफी मशक्कत के बाद उन्होंने लिफ्ट खुलवाई और इसमें फंसे लोगों को बाहर निकाला। गुस्साए लोगों ने डॉ. रमोला का घेराव किया। डॉ. रमोला का कहना है कि अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में महानिदेशालय को लिफ्ट ऑपरेटर व इलेक्ट्रीशियन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भेजा गया है। जब तक स्टाफ नहीं मिलता, लिफ्ट के बाहर नोटिस चस्पा कर दिया गया है। तीमारदारों से अपील की गई है कि वह लिफ्ट के बजाए सीढिय़ों का इस्तेमाल करें। स्टाफ उपलब्ध होते ही वह पुन: इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। 

नशे में मिला ड्राइवर तो दर्ज होगी एफआइआर

वीआइपी-वीवीआइपी ड्यूटी में किसी भी चालक के नशे में मिलने पर अब उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज की जाएगी। कोरोनेशन व महात्मा गांधी नेत्र चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला ने इस बाबत निर्देश जारी कर दिए हैं। समस्त अधिकारी-कर्मचारियों को इस पर तुरंत कार्रवाई को कहा है। अपने आदेश में उन्होंने कहा है कि हाल में ऐसी कुछ शिकायतें मिली हैं। वीआइपी-वीवीआइपी ड्यूटी में चालक के नशे में होने से न केवल चिकित्सा दल बल्कि जनसाधारण को भी जान का जोखिम होता है। ऐसे किसी भी कर्मचारी का तुरंत मेडिकल कराया जाए और मेडिकल में इस बात की पुष्टि होने पर एफआइआर कराई जाए। ताकि उसके खिलाफ राज्य कर्मचारी सेवा नियमावली के तहत भी कार्रवाई की जा सके।

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