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पुलिस के ट्रैफिक मंथन में 'अमृत' कम 'विष' ज्यादा निकला Dehradun News

पुलिस ने शहर के ट्रैफिक पर चार दिन तक जो मंथन किया उसमें अमृत कम लेकिन विष ज्यादा निकला। गोल-गोल घुमाकर पुलिस ने सिर्फ पब्लिक का तेल निकाला।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 09:05 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 09:05 AM (IST)
पुलिस के ट्रैफिक मंथन में 'अमृत' कम 'विष' ज्यादा निकला Dehradun News
पुलिस के ट्रैफिक मंथन में 'अमृत' कम 'विष' ज्यादा निकला Dehradun News

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। स्मार्ट सिटी के निर्माण कार्यों के नाम पर पुलिस ने शहर के ट्रैफिक पर चार दिन तक जो मंथन किया, उसमें 'अमृत' कम लेकिन 'विष' ज्यादा निकला। गोल-गोल घुमाकर पुलिस ने न सिर्फ पब्लिक का तेल निकाला बल्कि हर वर्ग को आर्थिक चोट पहुंचाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। वक्त की बर्बादी अलग हुई। हालांकि, पुलिस कप्तान अरुण मोहन जोशी इस ट्रायल को सफल मान रहे व उनका मानना है कि स्मार्ट सिटी के तहत किए जाने वाले निर्माण कार्य के वक्त इससे बेहतर दूसरा विकल्प नहीं होगा। यह दीगर बात है कि, तमाम विरोध और पब्लिक की चक्कर-घिन्नी बनाने के बाद पुलिस ने यह ट्रायल पूरा कर लिया। अब देखना होगा कि जब शहर में निर्माण कार्य शुरू होंगे, पुलिस तब ट्रैफिक को कितना सुगम संचालित कर पाएगी। फिलहाल, इन चार दिनों में ट्रैफिक प्लान की पड़ताल में जो सामने आया, चंद केस आपके सामने हैं।

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केस-एक: शिमला बाइपास निवासी डा. सरिता मलिक रायपुर स्थित एनडब्लूटी में प्रोफेसर हैं। सुबह वह अपने घर से कालेज के लिए निकलीं। शिमला बाइपास तिराहे से पांच नंबर का विक्रम सर्वे चौक तक पकड़ा मगर पुलिस ने विक्रम तहसील चौक से ही वापस मोड दिया। रायपुर रूट के विक्रम भी आजकल सर्वे चौक से चल रहे हैं, इसलिए डा. सरिता ने तहसील से सर्वे चौक तक के लिए ऑटो करना चाहा। ऑटो वाले ने ढाई सौ रुपये मांगे। जिस पर डा. सरिता करीब दो किमी पैदल चलकर सर्वे चौक पहुंची व वहां से विक्रम पकड़कर रायपुर गईं। उनका कहना है कि अगर स्मार्ट सिटी के नाम पर पुलिस को लोगों को परेशान ही करना है तो नहीं चाहिए ऐसी स्मार्ट सिटी। 

केस-दो: नेशविला रोड निवासी प्रथम पंत रोजाना अपनी कार से जाखन में स्थित एक संस्थान जाते हैं। दोपहर में वह वापस आते हैं तो हमेशा एस्लेहाल तिराहे से यू-टर्न लेते हैं और सीधे नेशविला रोड निकल जाते हैं। ..लेकिन पिछले चार दिनों से वह एस्लेहाल से मुडने के बजाए कनक चौक से लैंसडोन चौक, दर्शनलाल चौक, घंटाघर, राजपुर रोड का करीब ढाई किमी लंबा चक्कर नेशविला रोड जा रहे। प्रथम ने बताया कि अगर इसी तरह रोजाना जाना पड़े तो उनका सिर्फ वक्त ही खराब नहीं हो रहा, बल्कि पेट्रोल दोगुना खर्च होगा। 

केस-तीन: राजपुर रोड निवासी यशपाल शर्मा हमेशा अपनी कार में यूनिवर्सल पेट्रोल पंप से ही पेट्रोल भराते हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार को जब वे पेट्रोल भराने आए तो पुलिस ने सेंट जोजेफ्स कट भी बंद कर रखा था। वहां से जीजीआइसी राजपुर रोड से वे यू-टर्न लेकर एस्लेहाल आए व वहां से पुलिस ने उन्हें कनक चौक की ओर भेज दिया। फिर लैंसडोन चौक, दर्शनलाल चौक से घंटाघर होते हुए वे यूनिवर्सल पेट्रोल पंप पहुंचे। इस दौरान एक घंटे जाम में फंसे रहे वो अलग। यानी, 500 रुपये का तेल भराने के उनका 100 रुपये का तेल अलग खर्च हो गया। 

केस-चार: कनाट प्लेस निवासी अधिवक्ता गौरव शर्मा रोजाना अपनी कार से कोर्ट जाते हैं। वे घंटाघर से सीधे दर्शनलाल चौक होते हुए कोर्ट रोड से जाते हैं। यह दूरी सामान्य दिनों में महज एक किमी है, लेकिन उन्होंने बताया कि पुलिस के ट्रायल में वह ढाई से तीन किमी लंबा चक्कर लगा लैंसडोन चौक होकर जा रहे। जाम में भी फंस रहे व वक्त भी बर्बाद कर रहे। उन्होंने बताया कि प्लान बिना व्यवहारिकता के लागू किया गया था। घंटाघर से दर्शनलाल चौक की सौ मीटर की दूरी को पुलिस ने तीन किमी की दूरी बना दिया, जो बिलकुल समझ से परे था। 

केस-पांच: पौड़ी निवासी गुणानंद चमोली सोमवार को मैक्सी कैब से परिवार के साथ दून पहुंचे। रिश्तेदार के घर यमुना कालोनी जाना था। रिस्पना पुल से विक्रम में बैठकर आ तो गए, मगर पुलिस ने विक्रम तहसील चौक से वापस घुमा दिया।

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गुणानंद पहले केवल एक बार दून आए थे, लिहाजा उन्हें यही पता था कि दर्शनलाल चौक पर उतर जाना है। परिवार व सामान के साथ परेशान गुणानंद पूछते-ताछते पैदल दर्शनलाल चौक पहुंचे, लेकिन वहां से चकराता रोड वाली सिटी बस नहीं मिली। फिर, जैसे-जैसे वह पैदल प्रभात सिनेमा तक पहुंचे और विक्रम पकड़कर यमुना कालोनी गए। उन्होंने कान पकड़ लिए कि अब देहरादून नहीं आएंगे। 

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