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विरासत 2019: तबले की संगत और कथक की प्रस्तुति से जम गया रंग Dehradun News

कथक नृत्यांगना गरिमा चतरुलाल ने विरासत समारोह में शिव वंदना की प्रस्तुति दी तो पंडाल तालियों से गूंज उठा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 04:21 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 07:13 AM (IST)
विरासत 2019: तबले की संगत और कथक की प्रस्तुति से जम गया रंग Dehradun News
विरासत 2019: तबले की संगत और कथक की प्रस्तुति से जम गया रंग Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। नृत्य के विभिन्न भाव से कथक नृत्यांगना गरिमा चतरुलाल ने विरासत समारोह में शिव वंदना की प्रस्तुति दी, तो पंडाल तालियों से गूंज उठा। नृत्य के दौरान उनके पति प्रांशु ने तबले में संगत देकर माहौल में रंग जमा दिया। विदित हो कि गरिमा रियलिटी शो वूगी-वूगी की विजेता रह चुकी हैं। 

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कौलागढ़ रोड स्थित बीआर आंबेडकर स्टेडियम में चल रहे 23वें विरासत समारोह के दूसरे दिन कथक नृत्यांगना गरिमा और उनके प्रति प्रांशु ने अपनी प्रस्तुति दी। गरिमा ने कथक नृत्य के माध्यम से तीन ताल में तीन मुद्राएं प्रस्तुत कर दर्शकों का दिल जीत लिया। उनके पति प्रांशु ने तबले में अपना हुनर दिखाया। नृत्य के विभिन्न भाव के साथ तबले की संगत ने दर्शकों को बांधे रखा। दर्शकों ने उनकी प्रस्तुति का तालियों से स्वागत किया।

कव्वाल शाहिद नियाजी और समी नियाज ने बांधा समा

गरिमा की प्रस्तुति के बाद रामपुर के प्रसिद्ध कव्वाल उस्ताद शाहिद नियाजी और समी नियाज ने कव्वाली सुनाकर विरासत में रंग जमा दिया। उन्होंने काबे में घर तेरा, काशी में नजारा है, यह घर भी हमारा, वह घर भी हमारा.. कव्वाली सुनाई तो श्रोता गदगद हो उठे। इसके बाद उन्होंने कोई मदीना बुलाए में वारी जाऊं, चांद सा मुखड़ा दिखाए में वारी जाऊं.. कव्वाली के माध्यम से दर्शकों को अंत तक बांधे रखा। मंच पर उनके साथ उनके भांजे मुकरम नियाजी, छोटे भाई माजिद नियाजी, भतीजे फैज अली खान ने भी उनका साथ दिया। उसके बाद श्रोताओं की मांग पर उन्होंने कई कलाम पेश किए। 

सामंती सोच पर कटाक्ष करती कहानी है मूंछ 

कला मंच की ओर से नगर निगम टाउन हाल में शनिवार को मूंछ नाटक का मंचन किया। मूंछ नाटक सामंती व्यवहार पर कटाक्ष करता है। इस नाटक को मशहूर कथाकार सृंजय ने लिखा है। यह नाटक सामंती व्यवहार और नए दौर में पूंजीवादी गठजोड़ पर चोट करता है। नाटक में ठाकुर का किरदार अहम है। इस पात्र में सामंती परंपरा की झलक दिखती है। मूंछ से ठाकुर का आशय दौलत है, वह पैसों के आधार पर समाज का वर्गीकरण करता है। नाटक के जरिए समाज को ऐसे लोगों से दूर रहने का संदेश दिया गया।

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नाटक का निर्देशन विजय गौड़ ने किया। मुख्य कलाकारों में संजय बड़थ्वाल, कमल उप्रेती, मीनाक्षी गौड़, एमसी श्रीवास्तव, मनोहर जोशी, ललित शर्मा, कुलदीप, गौरव चौहान, गिरीश ध्यानी, रुद्राक्ष बड़थ्वाल, पीयूष कुकरेती आदि शामिल रहे। इस दौरान एके अग्रवाल, राजीव जैन, नरेंद्र शाह, नवीन गुप्ता, डॉ. विशाल शर्मा, डॉ. गरिमा शर्मा, कार्तिकेय पांडे, प्रदीप शर्मा आदि मौजूद थे। 

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