लॉकडाउन के बीच सड़कों पर उमड़ा पैदल यात्रियों का हुजूम
लॉकडाउन के बीच सड़कों पर पैदल यात्रियों का हुजूम उमड़ पड़ा है। क्या इन्हें कोरोना से डर नहीं लगता। डर तो बेशक लगता होगा मगर उतना नहीं जितना भूख का है।
देहरादून, सुमन सेमवाल। लॉकडाउन के बीच सड़कों पर पैदल यात्रियों का हुजूम उमड़ पड़ा है। क्या इन्हें कोरोना से डर नहीं लगता। डर तो बेशक लगता होगा, मगर उतना नहीं जितना भूख का है। फैक्टियां बंद हैं, ठेकेदारों ने मुख मोड़ लिया है और सरकार न जाने कहां व्यस्त है। दिहाड़ी मजदूर और श्रमिकों की इस भीड़ की जब किसी ने सुध नहीं ली तो यह चले पड़े हैं अपने गांव की तरफ। पुलिस भी इन्हें यहां से वहां हांक रही। वाहन भी नहीं जो झट से उस पर चढ़कर पार पा लें। इनके मन में कोरोना से अधिक रोजी-रोटी की चिंता है। जो अब इस दरम्यान मिलती नहीं दिख रही। तो चल पड़े हैं पैदल ही। क्या दिन और क्या रात। इनके लिए तो वह तस्सली भी नहीं, जो करोड़ों लोगों में है। कि लॉकडाउन के बाद हालात सामान्य होंगे। फिर वही दिन और रात होंगे। सरकार! क्या आप लोगे इनकी सुध?
तो जमाखोरी और कालाबाजारी का
पहले सरकार ने लॉकडाउन से डराया। तीन घंटे में जो खरीदना है खरीद लो। बाजार में रैला फूट पड़ा। बदहवाश लोगों ने पहले जरूरत का सामान खरीदा, फिर जमाखोरी करने लगे। कारोबारियों ने भी आव देखा न ताव लगे कालाबाजारी करने। चलो कई दिनों का सामान इकठ्ठा हो गया तो लगा कि अब होगा असली लॉकडाउन। ये क्या अब तो तीन घंटे की और छूट मिल गई। फिर सोशल मीडिया पर उड़ने लगा कि जून तक जाएगा ये लॉकडाउन। अब लोग फिर घरों से निकल पड़े। फिर स्टॉकिंग करने लगे। कुछ होम डिलीवरी करा रहे, जो नहीं हो रही, उसके लिए बाजार की दौड़ लगा रहे। अधिकारी भी इंतजार में है कि भीड़ अब थमेगी, तब थमेगी। जिनके पास खरीद के लिए धन है, वह दना-दन बाजार दौड़ रहे हैं। अब सुना है कि जमाखोरी में आटा बाजार से उड़ गया। अब भी नहीं चेते तो आगे-आगे जाने क्या होगा।
शारीरिक दूरी छू, वाट्सएप का खौफ
सोशल मीडिया पर चल रहे मैसेज देखकर लग रहा है कि कोरोना को लेकर लोग वाकई सतर्क हैं। पर बाजार का आलम देखता हूं तो लगता ही नहीं कि ये वही लोग हैं, जो कोरोना वायरस पर आंधी-तूफान की तरह मैसेज को यहां से वहां वायरल कर रहे हैं। दूसरों को विशेषज्ञ की भांति सलाह दे रहे हैं। कह रहे हैं कि घर पर रहो। कोरोना योद्धाओं को भी सलाम भेजा रहा है। पर यही लोग जब सड़क पर आ रहे हैं तो लग रहा है किसी दूसरी दुनिया में कोरोना फैला है। शारीरिक दूरी पालन गायब दिख रहा है। जब लोग आवश्यक वस्तुओं की जरूरत के नाम पर बाहर निकल रहे हैं तो भीड़ में ऐसे घुस रहे हैं, जैसे सामान खरीदने का कोई खेल चल रहा हो। अधिकारी ऐसी भीड़ देखकर भगवान को याद कर रहे हैं। कृपया जो सोशल मीडिया में दिख रहे हो, वही बने रहें।
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घर में कहीं जंग न लगे
यह सलाह सरकारी कार्मिकों के लिए है। पहले ही ज्यादातर काम से जी चुराते थे। अब तो घर में ही बैठे हैं। नाम का वर्क फ्रॉम है और पूरा दिन आराम ही आराम। क्योंकि हमारा सिस्टम ऐसा भी तेज नहीं कि इनसे घर से काम ले सके। तो सभी के लिए नेक सलाह है। ऐसा न हो कि जब लॉकडाउन खुले तो उनका काम में मन ही न लगे। तो इसके लिए अपने मन को ऑफिस में ही विचरण कराते रहें। भविष्य की तैयारी करें और कुछ प्लान भी बना लें। ठीक है समाज की सुरक्षा के लिए घर पर बने रहना जरूरी है, मगर घर में भी अपने काम से जुड़ा कुछ न कुछ रचनात्मक करते रहें। और यदि आप जबरन रिटायरमेंट वाले फेज में हैं, तब ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। कहीं ऐसा न हो कि बड़े साहब की लिस्ट में आपका भी नाम शामिल हो जाए।
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