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लोग सड़कों पर दौड़ा रहे हैं वाहन, घर रहने में क्या है हर्ज

कोरोना वायरस महामारी घोषित हो चुकी है कई देशों में फैल चुकी यह बीमारी 22 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है। बचाव ही इसका एकमात्र इलाज बताया जा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 11:44 AM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 11:44 AM (IST)
लोग सड़कों पर दौड़ा रहे हैं वाहन, घर रहने में क्या है हर्ज
लोग सड़कों पर दौड़ा रहे हैं वाहन, घर रहने में क्या है हर्ज

देहरादून, आयुष शर्मा। कोरोना वायरस महामारी घोषित हो चुकी है, कई देशों में फैल चुकी यह बीमारी 22 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है। बचाव ही इसका एकमात्र इलाज बताया जा रहा है। बचाव के लिए तमाम देशों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश में 21 दिन का लॉक डाउन लागू कर दिया। उत्तराखंड सरकार पहले ही प्रदेश को लॉक डाउन कर चुकी है। बावजूद इसके लॉक डाउन के पहले दिन से ही लोग बेतरतीब सड़कों पर वाहन दौड़ा रहे हैं। राशन, सब्जी, घरेलू गैस लेने के लिए भीड़ में लोग बाहर निकल रहे हैं। मेडिकल की दुकानों पर भी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। लोगों को समझना होगा की जिस बीमारी का इलाज घर में ही रहकर किया जा सकता है तो फिर घर से बाहर जाने की क्या जरूरत है। इसलिए अगर जरूरी ना हो तो घर से बाहर न निकले।

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कालाबाजारी पर लगे लगाम

कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर देश दुनिया में अफरा-तफरी मची है। संक्रमण के रोकथाम और इलाज के लिए हर स्तर पर प्रयास हो रहे हैं। कई लोगों ने मदद के हाथ भी आगे बढ़ाएं हैं। व्यक्तिगत स्तर और संगठन के तौर पर भी लोग इस समय एकजुट होकर इस बीमारी के खिलाफ लड़ रहे हैं। लेकिन इन विकट परिस्थितियों में भी कई लोग इस समय भी पैसा बनाने की सोच रहे हैं। राशन- सब्जी से लेकर मेडिकल स्टोर मनमाने दामों पर सामान बेचे जा रहे हैं। उन्हें न तो लोगों के स्वास्थ की चिंता है न ही कोई संवेदनशीलता। प्रशासन भी कालाबाजारी और ओवर रेटिंग पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। इस महामारी के दौर में प्रशासन को चाहिए की कालाबाजारी और ओवर रेटिंग पर लगाम लगाए। चाहे इसके लिए सख्ती बरतनी पड़े। इससे लोगों को राहत तो मिलेगी ही साथ ही प्रशासन पर भरोसा बढ़ेगा।

अफवाहों से रहें सतर्क

संकट की घड़ी में जहां एक ओर सभी इस मुश्किल दौर से पार पाने के लिए जी जान जुटे हैं। तो दूसरी ओर समाज के शरारती तत्व इस समय भी बाज नहीं आ रहे। दहशत पैदा करने के लिए कुछ लोग लगातार अफवाह फैलाने का काम कर रहे हैं। तरह-तरह की अफवाहें फैलाकर आम लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। इस तरह ऋषिकेश में भी कुछ लोगों ने लॉकडाउन के दौरान दस दिनों से भूखे होने का वीडियो सोशल मीडिया में डालकर वायरल किया। पुलिस ने सत्यता जांची तो मामला झूठा निकला। पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज कर लिया है। यह तो एक मामला है। ऐसे मामले सोशल मीडिया में छाए हैं। इनके खिलाफ ऐसी ही कार्रवाई की उम्मीद है। हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम दूसरे को जागरूक करें और अफवाहों के प्रति सतर्क रहें। तभी इस मुश्किल दौर से निकलने में आसानी होगी।

समझदारी से जीतना तय

दुनिया की हर बड़ी समस्या का हल शिक्षा और जागरूकता से निकल सकता है। अगर आप शिक्षित और जागरूक हैं तो विकट से विकट परिस्थितियों में भी अपने विवेक का इस्तेमाल कर संकट से पार पा सकते हैं। अबकी बार पूरी दुनिया पर जो संकट बना है वह अदृश्य है। इस छोटे से वायरस ने सारी दुनिया में आतंक मचा रखा है। इसका एकमात्र उपाय बचाव बताया जा रहा है।

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देश में भी 21 दिन का लॉकडाउन लगाया जा चुका है। लेकिन लगभग 80 फीसद साक्षरता दर वाले प्रदेश के लोगों को लॉकडाउन का मतलब समझने में समस्या हो रही है। सोशल डिस्टेंसिंग तो मानो मजाक बनकर रह गई हो। इस कोरोना महामारी को हल्के में ले रहे साक्षर लोगों का क्या फायदा। इससे अच्छा तो साक्षरता की दर कम भी होती लेकिन समझदारी से हम निर्णय लेते तो ऐसी विकट परिस्थितियों से हम आसानी से बाहर निकल सकते हैं।

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