Move to Jagran APP

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन बढ़ी, अब प्रतिमाह मिलेगी इतनी पेंशन

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को नए साल पर सरकार ने तोहफा दिया है। उनकी पेंशन में एक हजार रुपये से 1400 रुपये प्रतिमाह की वृद्धि की गई है। अब राज्य आंदोलनकारियों को उनकी श्रेणीवार क्रमश 4500 रुपये और 6000 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलेगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 17 Dec 2021 10:31 PM (IST)Updated: Fri, 17 Dec 2021 10:31 PM (IST)
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन बढ़ी, अब प्रतिमाह मिलेगी इतनी पेंशन
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को नए साल पर सरकार ने तोहफा दिया है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को नए साल पर सरकार ने तोहफा दिया है। उनकी पेंशन में एक हजार रुपये से 1400 रुपये प्रतिमाह की वृद्धि की गई है। अब राज्य आंदोलनकारियों को उनकी श्रेणीवार क्रमश: 4500 रुपये और 6000 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलेगी।

prime article banner

गृह अपर सचिव रिद्धिम अग्रवाल ने शुक्रवार को इस संबंध में अलग-अलग आदेश जारी किए। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान सात दिए जेल गए अथवा घायल हुए आंदोलनकारियों को प्रतिमाह 5000 रुपये पेंशन स्वीकृत की गई थी। अब इसे एक हजार बढ़ाकर 6000 रुपये किया गया है। अन्य आदेश सात दिन जेल अथवा घायल हुए आंदोलनकारियों की श्रेणी से अलग राज्य आंदोलनकारियों के लिए प्रतिमाह 3100 रुपये पेंशन लागू की गई थी। इस पेंशन राशि में 1400 रुपये की वृद्धि की गई है। इन राज्य आंदोलनकारियों को अब प्रतिमाह 4500 रुपये बतौर पेंशन मिलेंगे। सरकार के इस निर्णय से राज्य में 7200 से ज्यादा राज्य आंदोलनकारियों को लाभ मिलेगा।

नवाचार में पर्वतीय राज्यों में उत्तराखंड का दूसरा स्थान

उत्तराखंड ने विकास एवं अन्य सरकारी क्रियाकलापों में नवाचार में बेहतर प्रदर्शन कर पर्वतीय राज्यों में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इन राज्यों में नंबर-एक पायदान पर हिमाचल प्रदेश है।

नीति आयोग की ओर से वर्ष 2020 के लिए नवाचार रिपोर्ट कार्ड की रैंकिंग जारी की गई है। इसमें पर्वतीय राज्यों में तीसरे स्थान पर मणिपुर, चौथे स्थान पर सिक्किम और पांचवें स्थान पर मिजोरम है। सामान्य राज्यों की श्रेणी में प्रथम 10 स्थानों में उत्तराखंड शामिल नहीं है।

शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी न लगाने पर डीएम लेंगे निर्णय

राज्य में एक सरकारी विद्यालय से 50 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षकों या स्टाफ की चुनाव ड्यूटी नहीं लगाने के बारे में जिलाधिकारी एवं जिला निर्वाचन अधिकारी निर्णय लेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रोहित डंडरियाल के पत्र पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र भेजकर सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों व स्टाफ के निर्वाचन ड्यूटी से पढ़ाई को होने वाले नुकसान का जिक्र किया है। उन्होंने 50 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षकों व स्टाफ की चुनाव में ड्यूटी नहीं लगाने पर जोर दिया है। सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी मस्तू दास ने रोहित डंडरियाल से मिले पत्र के आधार पर नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही को कहा है।

यह भी पढ़ें: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा- दिव्य काशी की तरह ही भव्य होगा बदरीनाथ धाम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.