उत्तराखंड: पीडीएफ के तेवर से मुश्किल में सरकार
उत्तराखंड में पिछले चार साल से कांग्रेस सरकार को समर्थन देते आ रहे पीडीएफ के बदले तेवरों ने हरीश रावत सरकार को मुश्किल में डाल दिया है।
देहरादून। उत्तराखंड में पिछले चार साल से कांग्रेस सरकार को समर्थन देते आ रहे पीडीएफ के बदले तेवरों ने हरीश रावत सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। राज्यसभा की रिक्त हो रही सीट के चुनाव में पीडीएफ ने भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। पीडीएफ ने काबीना मंत्री दिनेश धनै को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। पीडीएफ के इस कदम से मुख्यमंत्री हरीश रावत व कांग्रेस सकते है, तो भाजपा दूर से यह सियासी तमाशा देख रही है। पीडीएफ के इस कदम को मंत्रिमंडल में रिक्त दो पदों समेत कुछ सरकारी ओहदों को लेकर दबाव की रणनीति भी माना जा रहा है।
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उत्तराखंड में राज्यसभा की रिक्त हो रही सीट का चुनाव रोचक दौर में पहुंच गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने जहां शनिवार शाम को पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को अपना प्रत्याशी घोषित किया, वहीं कांग्रेस सरकार को समर्थन देते आ रहे पीडीएफ ने भी देर रात राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिया। शनिवार देर रात कैबिनेट मंत्री हरीश दुर्गापाल के आवास पर हुई बैठक में पीडीएफ ने यह फैसला लिया। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में पीडीएफ प्रमुख मंत्री प्रसाद नैथानी ने दिनेश धनै को अपना प्रत्याशी बनाने की विधिवत घोषणा की।
उन्होंने कहा कि पीडीएफ संकट के दौर में हमेशा सरकार व कांग्रेस के साथ पूरी मजबूती से खड़ा रहा है।
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ऐसे में राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार की घोषणा करने से पहले कांग्रेस ने पीडीएफ को विश्वास में नहीं लिया, जबकि पीडीएफ पहले से ही राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर चुका था। बहरहाल, पीडीएफ पहले राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस से ही समर्थन मांगेगा। गौरतलब है कि राज्य की हरीश रावत सरकार पीडीएफ के छह विधायकों के समर्थन की बैसाखी पर ही टिकी है। ऐसे में पीडीएफ के ताजा तेवरों से रावत सरकार मुश्किल में खड़ी नजर आ रही है।
इस नए 'खतरे' की आशंका से सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में बेचैनी का आलम नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री हरीश रावत भी देर रात पौड़ी के पैठाणी में प्रस्तावित रात्रि विश्राम का कार्यक्रम रद्द कर सड़क मार्ग से देहरादून वापस लौट गए। पीडीएफ का यह कदम कुछ शर्तों को लेकर मुख्यमंत्री पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। रावत मंत्रिमंडल में वर्तमान में दो पद खाली हैं, जिसमें से एक पद पर बसपा का स्वाभाविक दावा भी माना जा रहा था।
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सूत्रों के अनुसार दो मंत्री पदों के अलावा कुछ लालबत्तियों को लेकर पीडीएफ गत कुछ समय से मांग कर रहा था। माना जा रहा है कि कांग्रेस व पीडीएफ के बीच बने इस गतिरोध के मामले में उक्त शर्तों पर भी बात सुलझने के आसार बन सकते हैं। उधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का कहना है कि पीडीएफ की ओर से अब तक राज्यसभा चुनाव में समर्थन के लिए कोई प्रस्ताव नहीं आया है। यदि पीडीएफ भाजपा से समर्थन मांगता है, तो उस पर विचार किया जाएगा। पीडीएफ से भाजपा की कभी मत विभिन्नता नहीं रही है।
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