Move to Jagran APP

उत्तराखंड में मंत्रियों को जेब से नहीं चुकाना पड़ता है आयकर, सरकार करती है भुगतान

मुख्यमंत्री समेत उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों को आय कर के रूप में कोई धनराशि नहीं चुकानी पड़ती। इनके आयकर का भुगतान प्रदेश सरकार ही करती है।

By Edited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 10:44 AM (IST)
उत्तराखंड में मंत्रियों को जेब से नहीं चुकाना पड़ता है आयकर, सरकार करती है भुगतान
उत्तराखंड में मंत्रियों को जेब से नहीं चुकाना पड़ता है आयकर, सरकार करती है भुगतान

देहरादून, विकास धूलिया। आप शायद यकीन न करें लेकिन यह सौ फीसद सच है कि मुख्यमंत्री समेत उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों को आय कर के रूप में कोई धनराशि नहीं चुकानी पड़ती। अविभाजित उत्तर प्रदेश में वर्ष 1981 से शुरू यह व्यवस्था अलग राज्य बनने के बाद पिछले लगभग 19 सालों से उत्तराखंड में भी बदस्तूर जारी है। 

loksabha election banner

विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के अलावा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को भी इस सुविधा का लाभ मिल रहा है। उत्तराखंड नौ नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर देश का 27 वां राज्य बना। स्वाभाविक रूप से जो भी नियम कायदे उत्तर प्रदेश में उस वक्त विद्यमान थे, उन्हें उत्तराखंड ने लगभग पूरी तरह अंगीकार किया। 

ऐसी ही एक व्यवस्था मंत्रिमंडल के सदस्यों के आयकर भुगतान की है, जिसे वर्ष 1981 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के कार्यकाल के दौरान शुरू किया गया था। अब उत्तराखंड बने 19 साल होने जा रहे हैं और यह व्यवस्था उसी तरह कायम है। यह स्थिति तब है जबकि मंत्रियों को वर्तमान में प्रति माह लगभग 4.40 लाख रुपये वेतन और भत्तों के रूप में मिल रहे हैं।

जहां तक विधायकों का सवाल है उन्हें कुछ भत्तों में आयकर की धारा 10 (सी) के अंतर्गत छूट मिलती है। संपर्क करने पर सचिव विधानसभा जगदीश चंद ने कहा कि उत्तर प्रदेश के समय से ही यह व्यवस्था चली आ रही है। मंत्रियों का आयकर सरकार चुकाती है। 

विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी विधानसभा की होती है। पिछले साल ही बढ़े वेतन-भत्ते उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल उत्तराखंड राज्य विधानसभा विविध (संशोधन) विधेयक पारित कर विधायकों और मंत्रियों के वेतन-भत्तों में बढ़ोतरी की। विधायकों के वेतन में तीन गुना व भत्तों में दो से छह गुना वृद्धि की गई। 

विधायक का वेतन 10 हजार से बढ़ाकर 30 हजार रुपये, जबकि मंत्री का वेतन 45 हजार से बढ़ाकर 90 हजार रुपये किया गया। विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का वेतन 54 हजार से बढ़ाकर 1.10 लाख रुपये किया गया।

विधायकों का निर्वाचन भत्ता 60 हजार से बढ़ाकर 1.50 लाख रुपये, फोन का बिल तीन हजार से बढ़ाकर 12 हजार रुपये, विधानसभा आने के लिए प्रतिदिन मिलने वाला भत्ता दो हजार से तीन हजार और मेडिकल दो हजार से बढ़ाकर 12 हजार रुपये किया गया। कुछ अन्य भत्ते 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये किए गए। 

इस प्रकार विधायकों को प्रतिमाह लगभग 2.75 लाख रुपये वेतन-भत्तों के रूप में मिल रहे हैं। मंत्रियों के वेतन भत्तों में भी भारी बढ़ोतरी की गई। उनका वेतन 45 हजार से बढ़ाकर 90 हजार किया गया और मंत्री के रूप में मिलने वाले उनके अन्य भत्ते भी बढ़ाए गए। 

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड की सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती को आरक्षण का रोस्टर लागू

अलग-अलग मदों में मिलने वाले भत्ते 42 हजार से बढ़ाकर 84 हजार, 36 हजार रुपये से बढ़ाकर 72 हजार और 30 हजार रुपये से बढ़ाकर 40 हजार रुपये किए गए। चिकित्सा व ऋण आदि की सुविधाएं विधायकों के समान ही हैं। मंत्री को कुल लगभग 4.40 लाख रुपये प्रति माह वेतन और भत्तों के रूप में मिल रहे हैं।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड सरकार ने एमवी एक्ट के तहत जुर्माने में दी राहत 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.