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सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर विकसित होगा पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट, एमओयू साइन

पतंजलि रिसर्च इन्स्टीट्यूट को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर विकसित किया जाएगा। इसके लिए एमओयू साइन किया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 16 Mar 2020 07:24 PM (IST)Updated: Mon, 16 Mar 2020 07:24 PM (IST)
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर विकसित होगा पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट, एमओयू साइन
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर विकसित होगा पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट, एमओयू साइन

देहरादून, जेएनएन। पतंजलि रिसर्च इन्स्टीट्यूट को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर विकसित किया जाएगा। इसके लिए ट्राइबल रिसर्च इन्स्टीट्यूट उत्तराखंड और पतंजलि रिसर्च इन्स्टीट्यूट के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की उपस्थिति में सीएम आवास में एमओयू पर उत्तराखंड जनजाति कल्याण के निदेशक सुरेश जोशी और पतंजलि की ओर से आचार्य बालकृष्ण ने हस्ताक्षर किए। यह प्रोजेक्ट भारत सरकार के जनजाति मामलों के मंत्रालय के सहयोग से चलाया जाएगा। इसके अंतर्गत मुख्यतः उत्तराखंड के जनजाति क्षेत्रों में पाए जाने वाले औषधीय पौधों और वहां प्रचलित परंपरागत इलाज पद्धतियों पर शोध कर उनका डाक्यूमेंटेशन किया जाएगा। 

अभी यह कार्य पायलट आधार पर शुरू किया जा रहा है। भारत सरकार ने इसके लिए 3 करोड़ 12 लाख रूपये की राशि स्वीकृत की है। बाद में प्रोजेक्ट का विस्तार अन्य राज्यों में भी किया जाएगा जिसमें नोडल एजेंसी ट्राइबल रिसर्च इन्स्टीट्यूट उत्तराखंड ही रहेगा। 

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि हमारे परंपरागत ज्ञान को संग्रहीत कर उसे पूरी प्रामाणिकता के साथ डाक्यूमेंट किए जाने की जरूरत है। परंपरागत ज्ञान और विज्ञान को साथ लेना होगा। जड़ी-बूटियों के उपयोग के साथ उनके संरक्षण पर भी ध्यान देना होगा।  

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बताया गया कि जनजाति क्षेत्रों में परंपरागत रूप से कार्यरत लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। आपसी ज्ञान को साझा किया जाएगा। औषधीय पौधों को चिह्नित कर उनमें पाए जाने वाले तत्वों का पता लगाया जाएगा। पौधों का विस्तार में मोनोग्राफ तैयार किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार केएस पंवार, सचिव एल फैनई सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। 

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