अब सहायक किताबों के नाम पर अभिभावकों को लूट रहे स्कूल
निजी स्कूल अब सहायक किताबों के नाम पर अभिभावकों का बजट बिगाड़ रहे हैं। उस पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनाया गया कंट्रोल रूम भी खानापूर्ति बनकर रह गया है।
देहरादून, [जेएनएन]: निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें लगाने के पीछे मंशा यह थी कि अभिभावकों की जेब पर भार कम पड़े। लेकिन, स्कूल अब सहायक किताबों के नाम पर अभिभावकों का बजट बिगाड़ रहे हैं। उस पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनाया गया कंट्रोल रूम भी खानापूर्ति बनकर रह गया है। फीस बढ़ोत्तरी समेत अन्य शिकायतों पर स्कूलों को नोटिस जरूर भेजे गए। लेकिन, विभाग की सुई इसी पर अटक गई। ऐसे में अभिभावकों ने फिर मोर्चाबंदी तेज कर दी है।
नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स ने रविवार को द्रोण होटल में विभिन्न संगठनों के साथ बैठक आयोजित की। जिसमें मुख्यत: दो विषयों पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि कोई भी स्कूल यदि एनसीईआरटी के साथ सहायक किताबें लगाना चाहता तो उसकी कीमत एनसीईआरटी से अधिक न हो।लेकिन, निजी स्कूल जो सहायक किताबें और कापियां लगा रहे हैं वह अत्यंत महंगी हैं। स्कूल न केवल कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं बल्कि सरकारी आदेशों को भी धता बता रहे हैं। जब से नया सत्र शुरू हुआ है तब से लेकर अभी तक अभिभावकों ने विभिन्न स्कूलों की लिखित शिकायत शिक्षा विभाग के कंट्रोल रूम व मुख्य शिक्षा अधिकारी से की है, लेकिन सिर्फ जांच और नोटिस के नाम पर अभिभावकों को गुमराह किया जा रहा है। शिक्षा मंत्री के निर्देश थे कि यदि कोई स्कूल आदेशों की अवहेलना करेगा उसकी एनओसी रद कर दी जाएगी। पर सरकार या शिक्षा विभाग किसी भी स्कूल पर लगाम नहीं लगा पाया है। फीस के अलावा भी स्कूल अन्य तमाम शुल्क ले रहे हैं।
अभिभावकों ने इस बात पर रोष प्रकट किया कि यदि सरकार ने कोई कानून बनाया है तो उसका पालन क्यों नहीं कराया जाताकराने मे गुरेज क्यूं कर रही है। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि यदि फीस एक्ट और नियामक आयोग को जल्द अमल में नही लाया गया तो मजबूरन सभी संगठन एक होकर एक बड़ा जन आंदोलन करेंगे।
चर्चा में रविंद्र जुगरान, जगमोहन मेंदीरत्ता, ब्रिगेडियर केजी बहल, संयुक्त नागरिक संगठन से सुशील त्यागी, नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स से आरिफ खान, नवीन लिंगवाल , विशाल चौहान, व्यू ऑफ न्यू विजन से कविता खान, बीना शर्मा, सिख वेलफेयर एसोसिएशन से जीडी जस्सल, मैड से शरद माहेश्वरी एके कंबोज, जीपी सिंह, बीपी नौटियाल, बीएम थापा, डॉ. मुकुल शर्मा, मुकेश अग्रवाल, निर्भया सोसायटी से विशंभर नाथ बजाज आदि शामिल रहे।
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