उत्तराखंड में अनुदान हिस्सेदारी पर त्रिस्तरीय पंचायतों में बवाल, पढ़िए पूरी खबर
प्रदेश में ग्राम पंचायतों के अनुदान में 40 फीसद इजाफा और क्षेत्र पंचायतों व जिला पंचायतों की हिस्सेदारी घटने से त्रिस्तरीय पंचायतों की सियासत में नया बवाल खड़ा हो गया है।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। प्रदेश में ग्राम पंचायतों के अनुदान में 40 फीसद इजाफा और क्षेत्र पंचायतों व जिला पंचायतों की हिस्सेदारी घटने से त्रिस्तरीय पंचायतों की सियासत में नया बवाल खड़ा हो गया है। ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष व सदस्य इस फैसले के विरोध में उतर आए हैं। वहीं ग्राम प्रधान इसे फैसले से खुश हैं। उत्तराखंड ब्लॉक प्रमुख संगठन के अध्यक्ष दर्शन दानू ने कहा कि ब्लॉक प्रमुखों ने शुक्रवार को काली पट्टी बांधकर सरकार के फैसले का विरोध किया। साथ ही फैसला वापस नहीं होने पर सामूहिक इस्तीफा देने की चेतावनी दी है। वहीं जिला पंचायत सदस्य संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने राज्य के सभी जिला पंचायत अध्यक्षों व सदस्यों के साथ मिलकर आगे की रणनीति तय की जाएगी। जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय मांगा जाएगा।
इसे सियासत का अजीब इत्तेफाक ही मानेंगे कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने पंचायतों और निकायों की हिस्सेदारी के बारे में जिस दिन फैसला लिया, उसी दिन कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की पुण्य तिथि मना रही थी। राजीव गांधी को ही पंचायतों और निकायों के सशक्तीकरण के लिए 73वें व 74वें संविधान संशोधन लागू करने का श्रेय जाता है। कोरोना संकट के मौके पर जब प्रदेश में ग्राम प्रधानों को क्वारंटाइन केंद्रों का जिम्मा देने का कांग्रेस विरोध कर रही है, माना जा रहा है कि सरकार ने प्रधानों को तोहफा देकर कांग्रेस को जवाब दिया है। कोरोना संकट के मौके पर उत्तराखंड लौट रहे प्रवासियों के लिए क्वारंटाइन केंद्रों के बंदोबस्त में जुटी 7791 ग्राम पंचायतों को सरकार ने तोहफा थमा दिया है।
यही वजह है कि कांग्रेस इस फैसले को लेकर सरकार की नीयत और टाइमिंग पर सवाल उठा रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायतों को नई हिस्सेदारी के बावजूद पर्याप्त धन नहीं मिलेगा। राज्य को ग्राम प्रधानों को अतिरिक्त मदद देनी चाहिए। वहीं प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारें जानबूझकर पंचायतों को दी जाने वाली मदद में छेड़छाड़ कर रही हैं। इसके जरिए पंचायतों को गुमराह किया जा रहा है।
15वें वित्त आयोग से मिलने वाले अनुदान में ग्राम पंचायतों की हिस्सेदारी 35 फीसद से बढ़ाकर 75 फीसद करने के फैसले पर मंत्रिमंडल मुहर लगा चुका है। क्षेत्र पंचायतों व जिला पंचायतों की हिस्सेदारी घटाकर क्रमश: 10 फीसद और 15 फीसद करने का निर्णय लिया गया है। सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक के मुताबिक इससे पहले यह हिस्सेदारी क्रमश: 30 फीसद व 35 फीसद थी।
दर्शन दानू (अध्यक्ष उत्तराखंड ब्लॉक प्रमुख संगठन) का कहना है कि राज्य सरकार को त्रिस्तरीय पंचायतों की नई अनुदान हिस्सेदारी के फैसले को लागू नहीं करना चाहिए, क्षेत्र पंचायतों को विकास कार्यों के लिए ज्यादा धन मिलना चाहिए, उक्त फैसले का पुरजोर विरोध किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो सामूहिक इस्तीफा देंगे।
प्रदीप भट्ट (अध्यक्ष जिला पंचायत सदस्य संगठन उत्तराखंड) का कहना है कि जिला पंचायतों की जिम्मेदारी बढ़ी है, अनुदान में हिस्सेदारी 25 फीसद होनी चाहिए, जिला पंचायत अध्यक्षों व सदस्यों की ओर से संयुक्त रणनीति जल्द तय की जाएगी, मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करेंगे।
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प्रताप रावत (अध्यक्ष ग्राम प्रधान संगठन उत्तरकाशी) का कहना है कि 15वें वित्त आयोग के अनुदान में हिस्सेदारी बढ़ने से ग्राम पंचायतों में खुशी की लहर है, गांवों की संख्या के मुताबिक इसमें और इजाफा होना चाहिए।
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