मसूरी में है गोस्वामी तुलसीदास के शिष्य का रचा पंचांग
मसूरी में इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने गोस्वामी तुलसीदास के जीवनकाल में रचे पंचांग की पांडुलिपि श्रीराम की 300 साल पुरानी जन्मकुंडली की पांडुलिपि का प्रदर्शन किया।
मसूरी, जेएनएन। अयोध्या में श्रीराम मंदिर भूमि पूजन के मौके पर मसूरी में इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने गोस्वामी तुलसीदास के जीवनकाल में रचे पंचांग की पांडुलिपि, श्रीराम की 300 साल पुरानी जन्मकुंडली की पांडुलिपि और वर्ष 1683 के सिक्के का प्रदर्शन किया। सिक्के के एक ओर श्रीराम-लक्ष्मण के वन गमन का दृश्य अंकित है और दूसरी ओर राम दरबार का।
इतिहासकार भारद्वाज ने कहा कि वर्तमान में कोरोना संक्रमण के चलते हर व्यक्ति स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहा है। ऐसे समय में श्रीराम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होने से देशवासियों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। बताया कि उनके पूर्वज बीते 400 वर्षों से ज्योतिषी का कार्य कर रहे हैं। उनके पिता ऋषि भारद्वाज भी प्रसिद्ध ज्योतिषी थे।
यह धरोहर उनके पूर्वजों को भी कहीं से हासिल हुई होगी, जो आज उनके पास सुरक्षित है। भारद्वाज ने बताया कि पंचांग की यह पांडुलिपि उसी दौर का है, जब तुलसीदास रामचरित मानस की रचना कर रहे थे। तुलसीदास के ही एक शिष्य विश्वनाथ ने यह पांडुलिपि तैयार की है। जबकि, जन्म कुंडली में श्रीराम के जन्म समय, लग्न, ग्रह-नक्षत्र व राशि का विवरण है। बताया कि सिक्के पर संवत 1740 और ईस्वी सन् 1683 अंकित है। उन्होंने मसूरी विधायक गणेश जोशी से इस धरोहर को संरक्षित करने के लिए मदद की गुहार लगाई है।
अयोध्या में भूमि पूजन से राममय हुए चारों धाम
अयोध्या में श्रीराम मंदिर भूमि पूजन के उल्लास में बुधवार को उत्तराखंड के चारों धाम भी डूबे रहे। इस दौरान चारों धाम में अखंड रामायण, सुंदकांड, हनुमान चालीसा व गंगा सहस्रनाम पाठ हुए और दीपोत्सव मनाया गया। धर्मनगरी हरिद्वार व तीर्थनगरी ऋषिकेश के मठ-मंदिर भी दीपों से जगमग रहे।
बदरीनाथ धाम में मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के सानिध्य में सुंदरकांड व हनुमान चालीसा पाठ के साथ रामभजन हुए। इसमें धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, अपर धर्माधिकारी राधेकृष्ण थपलियाल ने भाग लिया। केदारपुरी भी श्रीराम के जयघोष से गुंजायमान रही। केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने बताया कि मंदिर परिसर में भगवान श्रीराम की पूजा के साथ 101 दीप प्रज्वलित कर अयोध्या में श्रीराम मंदिर शिला पूजन की खुशी में उत्सव मनाया गया। गंगोत्री धाम में सुंदरकांड व गंगा सहस्त्रनाम पाठ का आयोजन हुआ तो यमुनोत्री धाम स्थित हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ भंडारे का भोग लगा। देवी यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली गांव में भी अखंड रामायण पाठ का आयोजन हुआ। गंगोत्री, यमुनोत्री व खरसाली में तीर्थ पुरोहितों ने दीपोत्सव भी मनाया।