उत्तराखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्थापित होंगे आक्सीजन बेड
उत्तराखंड सरकार ने सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आक्सीजन बेड की व्यवस्था करना शुरू कर दिया है। लक्ष्य हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के तकरीबन 40 प्रतिशत बेड को आक्सीजन बेड में परिवर्तित करना है ताकि ग्रामीण व पर्वतीय क्षेत्रों में कोरोना संक्रमितों को प्रारंभिक स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त हो सके।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आक्सीजन बेड की व्यवस्था करना शुरू कर दिया है। लक्ष्य हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के तकरीबन 40 प्रतिशत बेड को आक्सीजन बेड में परिवर्तित करना है, ताकि ग्रामीण व पर्वतीय क्षेत्रों में कोरोना संक्रमितों को प्रारंभिक स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त हो सके। प्रदेश में इस समय पर्वतीय क्षेत्रों में कोरोना तेजी से फैल रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रविवार को पर्वतीय सीमांत जिले पिथौरागढ़ में कोरेाना संक्रमण के मामले देहरादून से अधिक रहे।
पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से फैल रहे संक्रमण को लेकर प्रदेश सरकार की पेशानी पर बल पड़े हुए हैं। यही कारण है कि अब स्वास्थ्य सेवाओं को विकेंद्रीकृत किया जा रहा है। जिला अस्पतालों के साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने पर पूरा फोकस है। इसके लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अब चिकित्सकों की तैनाती सुनिश्चित की जा रही है। इसके साथ ही यहां कोरोना की जांच व इलाज में आवश्यक उपकरण भी मुहैया कराए जा रहे हैं।
इस कड़ी में अब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आक्सीजन बेड की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए सभी जिलाधिकारियों को जिला योजना के जरिये यह कार्य करने को कहा गया है। दरअसल, प्रदेश की जिला योजना का बजट तकरीबन 700 करोड़ है। ऐसे में शासन ने सभी जिलाधिकारियों से अपने-अपने जिलों की जिला योजना का 10 फीसद स्वास्थ सेवाओं को मजबूत करने के लिए खर्च करने को मंजूरी दे दी है।
इस तरह पूरे प्रदेश में इस मद से तकरीबन 70 करोड़ रुपये स्वास्थ सेवाओं को मजबूत करने के उपयोग किए जा सकते हैं। सचिव स्वास्थ्य व वित्त अमित नेगी का कहना है कि इस समय फोकस पर्वतीय व ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने पर है। इससे कोरोना संक्रमितों को प्राथमिक इलाज और जरूरत पड़ने पर आक्सीजन मिल सकेगी। इसके लिए सामुदायिक केंद्रों में आक्सीजन सिलिंडर और आक्सीजन कंसन्ट्रेटर की खरीद पर जोर दिया गया है।
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