गुप्ता बंधु की इन 31 संपत्तियों का मालिकाना हक फ्रीज
आयकर विभाग ने गुप्ता बंधुओं की जिन संपत्तियों को फ्रीज किया है उनमें दून के बंगले समेत हरिद्वार, सहारनपुर, पानीपत, फरीदाबाद, दिल्ली, नोएडा की संपत्तियां भी शामिल हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: आयकर विभाग ने दक्षिण अफ्रीका की राजनीति में भूचाल लाने वाले गुप्ता बंधु की 31 संपत्तियों को अटैच कर लिया है। इन संपत्तियों में गुप्ता बंधु के देहरादून के आलीशान बंगले समेत हरिद्वार, सहारनपुर, पानीपत, फरीदाबाद, दिल्ली व नोएडा आदि की संपत्तियां भी शामिल हैं। अटैचमेंट के साथ ही संपत्तियों पर गुप्ता बंधु के मालिकाना हक को भी फ्रीज कर दिया गया है। इसके साथ ही गुप्ता बंधु के देहरादून स्थित बंगले से करीब 95 संपत्तियों का उल्लेख मिला है, हालांकि इनका स्पष्ट ब्योरा अभी नहीं मिल पाया है।
आयकर के प्रधान निदेशक (इन्वेस्टिगेशन) अमरेंद्र कुमार के मुताबिक, जब तक अग्रिम आदेश जारी नहीं कर दिए जाते, तब तक इन संपत्तियों की खरीद-फरोख्त भी नहीं जा सकेगी। रिटर्न फाइल करते समय इन संपत्तियों की कीमत महज 5.66 करोड़ रुपये बताई गई है। हालांकि यह बात आयकर विभाग के गले नहीं उतर रही और माना जा रहा है कि आयकर की आंखों में धूल झोंकने के लिए यह सब किया गया है।
अफसरों ने माना कि संपत्तियों की कीमत सर्किल रेट से भी कहीं कम पर आंकी गई है, जो कि संभव नहीं है। वहीं, जिन 94 अन्य संपत्तियों का ब्योरा मिला है, उनमें गुप्ता बंधु के परिजनों, रिश्तेदारों समेत अन्य लोगों के नाम का उल्लेख हैं और सभी के आगे लैंड या प्लॉट दर्ज है। इसके अलावा उनका क्षेत्रफल या खरीद वर्ष आदि कोई उल्लेख नहीं है। आयकर विभाग इस सूची की अधिकतर संपत्तियों को बेनामी मानकर चल रहा है।
कुल राशि 9.05 करोड़, पांच हजार भी दाम
आयकर विभाग को जिन 94 संपत्तियों की सूची मिली है, उनकी कुल कीमत महज 9.05 करोड़ रुपये आंकी गई है। यहां तक कि कई संपत्तियों के आगे 5000 रुपये, 20 हजार रुपये भी लिखा गया है। कुछ ही संपत्तियां ऐसी हैं, जो लाखों में दिखाई गई हैं। किसी भी संपत्ति की कीमत एक करोड़ रुपये या इससे अधिक नहीं आकी गई है। इसे भी आयकर अधिकारी आयकर चोरी का बड़ा गड़बड़झाला मानकर चल रहे हैं।
सर्वे के दौरान अटैचमेंट का पहला मामला
अब तक आयकर विभाग संपत्ति को तब अटैच करता था, जब उसका असेसमेंट कर लिया जाता था। अटैचमेंट के लिए भी टैक्स रिकवरी ऑफिसर की मदद ली जाती थी। जबकि यह देश का पहला ऐसा मामला है, जिसमें सर्च के दौरान ही न सिर्फ संपत्ति को अटैच कर लिया गया, बल्कि किसी प्रधान निदेशक ने स्वयं संपत्ति को अटैच करने का काम किया। प्रधान निदेशक अमरेंद्र कुमार के अनुसार, आयकर अधिनियम की धारा 132 (9बी) में संशोधन के बाद यह संभव हो पाया है।
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