देवभूमि में हिंसा की शिकार महिलाओं को मिलेगी तुरंत मदद, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में घरेलू या अन्य तमाम तरह की हिंसा का शिकार होने वाली महिलाओं को अब तुरंत राहत मिलेगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। देवभूमि उत्तराखंड में घरेलू या अन्य तमाम तरह की हिंसा का शिकार होने वाली महिलाओं को अब तुरंत राहत मिलेगी। लंबे समय तक चुप्पी साधे रखने के बाद प्रदेश सरकार अब ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई को सभी 13 जिलों में वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) को सक्रिय करेगी। दून में यह सेंटर सक्रिय हो चुका है। शेष जिलों में भी प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
इन सेंटर पर पीड़ित महिला को तुरंत पुलिस सुरक्षा, अस्पताल, विधिक मदद, काउंसलिंग मुहैया कराई जाएगी। जरूरत पड़ी तो पीड़िता इन केंद्रों पर रात्रि में ठहर भी सकेंगी। दिल्ली में निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार की ओर से राज्य को बार-बार ओएससी खोलने की हिदायत बार-बार दी जा रही है। इस मामले में लंबे अरसे बाद राज्य की चुप्पी टूट रही है। बीते दिनों देहरादून में ओएससी अपने भवन में शिफ्ट हो चुकी है। अब इसे अन्य जिलों में भी बड़े स्तर पर सक्रिय किया जा रहा है।
इस सेंटर के खुलने से महिलाएं घरों, सार्वजनिक स्थानों, कार्य स्थलों में शारीरिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक शोषण, उत्पीड़न या हिंसा, एसिड अटैक जैसे मामलों में तुरंत सेंटर से संपर्क साध सकेंगी। सेंटर से संपर्क करने के बाद उन्हें इसी स्थान पर तमाम तरह की सहायता मुहैया कराई जाएगी। पीड़िता को खुद कहीं जाने की आवश्यकता नहीं होगी। सेंटर के जरिये उन्हें हर प्रकार की मदद मिल सकेगी। पीड़िता को विभिन्न स्तर पर मदद हिंसा का शिकार महिलाओं को जरूरत के मुताबिक उपचार मिलेगा।
भय से मुक्ति के साथ में हिंसा करने वालों से निपटने के लिए काउंसलिंग भी दी जाएगी। पुलिस फेसिलिटेशन अफसर यानी पीएफओ सुरक्षा तो फौजदारी अधिवक्ता कानूनी मदद मुहैया कराएंगे। इस कार्य के लिए ओएससी में एक सेंटर एडमिनिस्ट्रेटर समेत 14 कार्मिकों का स्टाफ होगा। अभी देहरादून और ऊधमसिंह नगर जिलों में ही ओएससी में पूरा स्टाफ तैनात है। शेष जिलों में स्टाफ की तैनाती की कार्रवाई तेज की जा रही है। महिला और बाल विकास सचिव सौजन्या ने बताया कि महिला सशक्तीकरण के लिए ओएससी को सक्रिय किया जा रहा है।
उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर जिलों में ओएससी सक्रिय नहीं हैं। वहां काफी कम स्टाफ की तैनाती हो सकी है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद कई ओएससी में स्टाफ की तैनाती हो जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रत्येक सेंटर के लिए केंद्र से 30 लाख रुपये की राशि राज्य को मिलनी है। कई जिलों में इन सेंटर के लिए अस्थायी भवनों की व्यवस्था की गई है।
एक ऐसे काम करेगा ओएससी
हिंसा से पीड़ित महिला की जानकारी मिलने पर इमरजेंसी रिस्पांस के तहत उसे बचाया जाएगा, इसके लिए पुलिस के वाहन या 108 सेवा की मदद ली जा सकेगी। हिंसा का शिकार महिला का नजदीकी अस्पताल में इलाज या चिकित्सा सहायता। ओएससी एफआइआर दर्ज कराने, काउंसलिंग, कानूनी मदद, आश्रय भी दिया जाएगा।
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दो वन स्टॉप सेंटर पर ये मैनपावर रहेगी तैनात
-सेंटर एडमिनिस्ट्रेटर-1, केस वर्कर-दो, पैरा लीगल-1, काउंसलर-1, पैरामेडिकल-2, आइटी स्टाफ-2, पोलिस फेसिलिटेशन अफसर (पीएफओ)-1, एडवोकेट (फौजदारी)-1, मल्टी परपज स्टाफ-दो, सिक्योरिटी गार्ड-2।
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