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उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के बोर्डिंग स्कूलों की जांच के दिए आदेश

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के सभी बोर्डिंग स्कूलों की जांच के आदेश दिए हैं। जांच के लिए आयोग ने 15 दिनों का समय दिया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 09:52 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 09:52 AM (IST)
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के बोर्डिंग स्कूलों की जांच के दिए आदेश
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के बोर्डिंग स्कूलों की जांच के दिए आदेश

देहरादून, [जेएनएन]: बोर्डिंग स्कूलों में हो रही नियमों की अनदेखी को लेकर उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के सभी बोर्डिंग स्कूलों की जांच के आदेश दिए हैं। आयोग की ओर से शिक्षा महानिदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी को भेजे गए पत्र में जिला स्तर पर स्कूलों की जांच को कहा गया है। स्कूलों में सीबीएसई और किशोर न्याय बोर्ड की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं होने पर संबंधित स्कूल की एनओसी निरस्त करने के सख्त निर्देश आयोग ने दिए हैं। जांच के लिए आयोग ने 15 दिनों का समय दिया है।

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बुधवार को भेजे पत्र में आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने शिक्षा विभाग की उदासीनता को लेकर नाराजगी जताई। कहा गया कि बोर्डिंग स्कूलों में लगातार गंभीर मामले प्रकाश में आ रहे हैं, जिसमें अधिकांश में प्रबंधन को जिम्मेदार पाया गया। जांच में भी पता चल रहा कि स्कूलों में नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। छात्र-छात्राओं की सुरक्षा से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। इससे स्पष्ट है कि शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को बिना जांच के एनओसी जारी कर दी जाती है। उन्होंने डीजी शिक्षा से कहा कि जिला स्तर पर जांच कमेटी गठित की जाए और नियमों का पालन नहीं करने वाले स्कूलों की एनओसी निरस्त की जाए। साथ ही स्कूलों को आयकर से मिलने वाले कर छूट की भी समीक्षा की जाए। 15 दिन के भीतर सभी जिलों की जांच व कार्रवाई से आयोग को अवगत कराने को भी कहा है।

दुष्कर्म पीड़िता की जान भी जोखिम में डाली

भाऊवाला स्थित जीआरडी व‌र्ल्ड स्कूल प्रबंधन की एक और करतूत सामने आई है। प्रबंधन ने सामूहिक दुष्कर्म की पीड़ित नाबालिग छात्रा को चुप्पी साधे रखने के लिए न केवल धमकाया, बल्कि देशी नुस्खे से उसका गर्भपात कराने की कोशिश कर उसकी जान भी जोखिम में डाली। ज्यादा रक्तस्राव होने पर वह उसे नर्सिग होम में लाए, जहां पीड़िता को उपचार दिया गया। तीन रोज बाद नर्सिग होम की डाक्टर से पुलिस का आमना-सामना हुआ तो स्कूल प्रबंधन का कारनामा पता चला।

सहसपुर थानाध्यक्ष नरेश राठौर के मुताबिक पूछताछ में डाक्टर ने छात्रा के अस्पताल में पहुंचने के वक्त के हालात और उसके बाद दिए गए उपचार के बाबत सिलसिलेवार जानकारी दी। इस बीच, पुलिस ने बुधवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पीड़िता और उसके पिता के बयान दर्ज कराए। दूसरी तरफ, बोर्डिग स्कूल में शर्मनाक घटना सामने आने के बाद अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को हॉस्टल से ले गए। प्रबंधन के खिलाफ कुछ संस्थाओं ने प्रदर्शन भी किया। 14 अगस्त, 2018 को नाबालिग छात्रा के साथ स्कूल परिसर में ही वहीं के चार छात्रो ने सामूहिक दुष्कर्म किया था।

पीड़िता और इसी स्कूल में पढ़ रही उसकी बहन ने स्कूल आया से लेकर निदेशक तक से इसकी शिकायत की, लेकिन किसी स्तर सुनवाई नहीं हुई। उल्टा दोनों बहनों को मुंह खोलने पर स्कूल से बर्खास्त करने की धमकी दी गई। महीनेभर से उन्हें धमकाया जा रहा था। तीन रोज पहले तबीयत बिगड़ने पर प्रबंधन ने उसका गर्भपात कराने का प्रयास किया तो मामला सबके सामने आया। पीड़िता के एक रिश्तेदार की तत्परता और एसएसपी निवेदिता कुकरेती की संवेदनशीलता के चलते प्रबंधन को ऐसा करते रंगेहाथों पकड़ लिया गया। बुधवार को पुलिस जांच में चौंकाने वाला पहलू सामने आया। सहसपुर थानाध्यक्ष नरेश राठौर के मुताबिक दोपहर बच्ची को उपचार देने वाले नर्सिग होम की डाक्टर से पूछताछ की गई। पुलिस के अनुसार जांच में सामने आया कि मासिक धर्म न आने पर 16 सितंबर को छात्रा को गर्भवती होने का अहसास हुआ तो उसने यह बात स्कूल की आया मंजू को बताई। हालांकि, दुष्कर्म की बात वह घटना वाले ही दिन प्रबंधन को बता चुकी थी, लेकिन उसे धमकाकर चुप करा दिया गया था। उसके गर्भवती होने की बात प्रबंधन तक पहुंची तो प्रशासनिक अधिकारी दीपक मल्होत्रा और उसकी पत्‍‌नी को पीड़िता का गर्भपात कराने की जिम्मेदारी दी गई। इसके लिए देशी नुस्खा अपनाया गया। इस दवा को खाने के बाद छात्रा को रक्तस्राव होने लगा और देखते ही देखते उसकी तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद उसे किसी को भी यह बात न बताने की धमकी देकर स्कूल की राजपुर रोड स्थित शाखा में शिफ्ट कर दिया। रक्तस्राव नहीं रुकने पर प्रबंधन ने नई साजिश रची। स्कूल प्रबंधन के लोग फर्जी अभिभावक तैयार कर उसे राजपुर रोड स्थित नर्सिग होम में ले गए।

थानाध्यक्ष राठौड़ ने बताया कि नर्सिग होम की डाक्टर ने पूछताछ में बताया कि छात्रा के साथ एक महिला और एक पुरुष थे। दोनों ने खुद को छात्रा का अभिभावक बताया था। डाक्टर ने पूछताछ में बताया कि छात्रा को तेज रक्तस्राव हो रहा था, कारण पूछने पर छात्रा के साथ आए लोगों ने उसे कुछ घरेलू दवाएं देने की बात कही और बताया कि इसी के बाद से उसे रक्तस्राव होने लगा था। थानाध्यक्ष ने बताया कि डाक्टर का कहना कि बच्ची की स्थिति को देखते हुए अस्पताल में उसे मल्टीविटामिन और इन्फेक्शन रोकने की दवा दी गई।

उन्होंने बताया कि डाक्टर के बयान क्रॉस चेक किए जा रहे हैं। बता दें कि गर्भपात कराने की कोशिश और साक्ष्य मिटाने के साथ ही पोक्सो एक्ट में स्कूल की निदेशक, प्रधानाचार्य, प्रशासनिक अधिकारी, उसकी पत्‍‌नी और आया समेत नौ की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें तीन नाबालिग आरोपी छात्र बाल सुधार गृह में हैं।

सामूहिक दुष्कर्म मामले को लेकर किशोर न्याय बोर्ड भी हुआ सख्त

जीआरडी व‌र्ल्ड स्कूल में सामूहिक दुष्कर्म मामले को लेकर किशोर न्याय बोर्ड ने जिलाधिकारी से लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर 15 दिन के भीतर जवाब मांगा है। पत्र में स्कूलों में सीबीएसई की गाइडलाइन का अनुपालन नहीं होने को लेकर सवाल पूछा गया है। वहीं बोर्ड ने स्कूलों की मौजूदा हकीकत देखने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में समिति गठन को कहा है। गौरतलब है कि जीआरडी व‌र्ल्ड स्कूल में न तो सीसीटीवी कैमरे लगे मिले और न ही हॉस्टल में रहने वाले छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के लिए कोई बंदोबस्त देखने को मिला। किशोर न्याय बोर्ड ने इसके लिए जिला शिक्षाधिकारी और सीबीएसई बोर्ड को लापरवाह माना है। बोर्ड के अध्यक्ष भवदीप रावते ने बताया कि अभिभावकों से शिकायतें मिली हैं कि दून समेत सूबे के कई स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर अनदेखी की जा रही है। बोर्ड का प्रयास है कि दोबारा इस तरह की वारदात न हो, इसके लिए डीएम, जिला शिक्षाधिकारी व सीबीएसई के कार्यालय को पत्र भेजा है। जिन स्कूलों में नियमों की अनदेखी हो रही है, उनकी मान्यता रद करने को कहा गया है। राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी ने की निंदा राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी ने सामूहिक दुष्कर्म की घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए स्कूल प्रबंधन की विस्तृत जांच कराने की मांग की है। पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष नवनीत गुसाई ने कहा कि दून के अन्य स्कूलों की भी जांच कराई जाए ताकि इस तरह की घटना दोबारा न हो। सभी स्कूलों व हॉस्टलों की हो जांच मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन ने प्रदेश के सभी स्कूलों और हॉस्टलों की जांच कराने की मांग की है। प्रदेशध्यक्ष मधु जैन ने कहा कि सामूहिक दुष्कर्म की वारदात से पूरा प्रदेश कलंकित हुआ है। इस बारे में मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि वह सभी स्कूलों की जांच कराएं और जहां भी नियमों की अनदेखी हो रही हो, उन स्कूलों की मान्यता रद की जाए।

मनोचिकित्सक पैनल करेगा नाबालिग आरोपितों का परीक्षण

सामूहिक दुष्कर्म के आरोपित छात्र हाईस्कूल और इंटर के भले ही हैं, लेकिन उनकी करतूत ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। आरोपित छात्रों ने जिस तरह से छात्रा को अपनी साजिश में फंसा कर उससे शारीरिक संबंध बनाए, उससे उनकी आपराधिक मानसिकता का पता चलता है। इसकी पुष्टि करने के लिए किशोर न्याय बोर्ड सभी आरोपित छात्रों का मनोचिकित्सक पैनल से मेडिकल कराएगा। इसमें छात्रों की मनोस्थिति का पता चलने के बाद तय होगा कि नाबालिग छात्रों पर बालिगों की तरह पोक्सो कोर्ट में केस चले या फिर बोर्ड में ही सुनवाई की जाए। दरअसल, छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले हाईस्कूल के दो छात्रों की उम्र 14 वर्ष से ऊपर और इंटर के एक छात्र की उम्र साढ़े सत्रह वर्ष तथा एक आरोपित की उम्र 18 वर्ष से अधिक है। इसी के चलते तीनों नाबालिग आरोपितों को बाल सुधार गृह भेजा गया। मगर वारदात की गंभीरता को देखते हुए हर कोई इसलिए दंग है कि नाबालिग छात्रों ने किसी बालिग की तरह छात्रा को अपने हवस का शिकार बनाया। मंगलवार को किशोर न्याय बोर्ड के सामने छात्रों के बयान में यह सामने आया था कि बोर्डिग स्कूल में दिन हो रात छात्र-छात्राओं को मिलने-जुलने पर कोई रोकटोक नहीं थी। यही नहीं सभी स्कूल में पोर्न फिल्में भी देखते थे। ऐसे में बोर्ड भी मानता है कि नाबालिग छात्रों ने गंभीर अपराध किया है। छात्रों की शारीरिक और मानसिक स्थिति के परीक्षण को मेडिकल बोर्ड गठित करने के लिए संबंधित विभाग को पत्र भेजा जा रहा है।

पीड़िता और पिता के मजिस्ट्रेटी बयान दर्ज

सामूहिक दुष्कर्म की वारदात सामने आने के चौथे दिन पीड़िता छात्रा और उसके पिता के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज हुए। दोनों के बयान में घटना की पुष्टि होने के साथ पुलिस ने मामले की विवेचना भी आरंभ कर दी है। बता दें कि भाऊवाला स्थित बोर्डिग स्कूल की छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म का मामला प्रकाश में आने के बाद हड़कंप मच गया था। इस वारदात में पुलिस ने मुकदमा दर्ज होने के चंद घंटे के ही भीतर सोमवार को स्कूल की निदेशक लता गुप्ता, प्रधानाचार्य जितेंद्र शर्मा, प्रशासनिक अधिकारी दीपक मल्होत्रा व उसकी पत्नी तन्नू व आया मंजू तथा छात्र सर्वजीत को गिरफ्तार कर लिया था। मंगलवार को छात्रा का मेडिकल कराने के बाद आरोपितों को कोर्ट में पेश करने और जेल भेजने में ही दिन गुजर गया। ऐसे में मंगलवार को छात्रा का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज नहीं हो सके थे। ऐसे में बुधवार को सहसपुर पुलिस एक बार फिर कोर्ट पहुंची। यहां सीजेएम ने न्यायिक मजिस्ट्रेट मंजू सिंह को छात्रा का बयान लेने के लिए नामित किया। दोपहर तीन बजे से बंद कमरे में छात्रा के बयान शुरू हुए, जो शाम पांच बजे तक चला। इस दौरान छात्रा ने 14 अगस्त से लेकर बीते रविवार तक हुए घटनाक्रम के बारे में सिलेसिलेवार बताया। वहीं छात्रा के पिता ने भी मजिस्ट्रेट को बताया कि किस तरह उन्हें घटना का पता चला और फिर मामले में मुकदमा दर्ज कराया।

मुलाहिजा बैरक में रखे गए हैं सामूहिक दुष्कर्म के आरोपित

सामूहिक दुष्कर्म के आरोपितों का मंगलवार शाम जेल की कोठरी से सामना हुआ तो सभी के चेहरे से रंगत गायब थी। सभी को फिलहाल मुलाहिजा बैरक में रखा गया है। यहां मेडिकल परीक्षण से लेकर तमाम औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद सभी को अलग-अलग बैरक आवंटित कर दी जाएगी।

सामूहिक दुष्कर्म के एक आरोपित छात्र सर्वजीत समेत साजिश में शामिल निदेशक, प्रधानाचार्य, प्रशासनिक अधिकारी व उसकी पत्नी और आया को मंगलवार देर शाम सहसपुर पुलिस ने सुद्धोवाला जिला कारागार में दाखिल कर दिया। जेल में घुसते समय सभी के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी। जेल कर्मियों ने आरोपित को  मुलाहिजा बैरक में रख दिया गया। इस बैरक में नए आने वाले विचाराधीन बंदियों को रखा जाता है। सूत्रों के अनुसार जेल की बैरक में आरोपित देर रात तक गुमसुम से बैठे रहे। जेल कर्मियों ने जब उन्हें खाने के लिए कहा तो पहले तो सब एकदूसरे का मुंह ताकते रहे। इसके बाद मन मसोस कर खाना खाया। जेलर एमएस ग्वाल ने बताया कि मुलाहिजा बैरक में सभी आरोपितों का मेडिकल परीक्षण कराने समेत अन्य औपचारिकता पूरी कराने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। इसके पूरा होने के बाद पुरुष बंदियों को अलग और महिला बंदियों को अलग-अलग बैरकों में भेज दिया जाएगा।

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