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लक्षमण झूला पुल पर पैदल चलने वालों को राहत, जल्द तैयार हेगा विकल्प

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सरकार लक्ष्मण झूला पुल का विकल्प जल्द ही तैयार कर लेगी। वहां वैकल्पिक पुल बनाने का निर्णय लिया गया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 08:51 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jul 2019 09:29 PM (IST)
लक्षमण झूला पुल पर पैदल चलने वालों को राहत, जल्द तैयार हेगा विकल्प
लक्षमण झूला पुल पर पैदल चलने वालों को राहत, जल्द तैयार हेगा विकल्प

देहरादून, जेएनएन। ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला पुल को बंद किए जाने के फैसले पर राज्य सरकार अडिग है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जन सुरक्षा सरकार के लिए सवरेपरि है। इसीलिए लक्ष्मण झूला पुल पर किसी भी तरह की आवाजाही तुरंत रोकने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार लक्ष्मण झूला पुल का विकल्प जल्द ही तैयार कर लेगी। वहां वैकल्पिक पुल बनाने का निर्णय लिया गया है। लक्ष्मण झूला पुल को धरोहर के तौर पर संरक्षित रखने की कार्ययोजना भी बनाई जाएगी। वहीं, पुल पर पैदल आवाजाही जारी रखने से आम जन को राहत है। उधर, इस का असर अब रामझूला पुल पर पड़ने वाला है। रामझूला पुल पर अब दोगुना भार पड़ जाएगा, जो सुरक्षा की दृष्टि से इस पुल के लिए भी चिंता का विषय है।

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शासन ने शुक्रवार को लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही रोकने के आदेश जारी किए, लेकिन स्थानीय लोगों के भारी विरोध के कारण आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं लग पाया है। इस बीच शनिवार को यमकेश्वर क्षेत्र की विधायक ऋतु खंडूड़ी ने लक्ष्मण झूला पुल के संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की।

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि छह माह पहले आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञों से लक्ष्मण झूला पुल की फिजिबिलिटी पर अध्ययन कराया गया। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार इस झूला पुल की स्थिति ऐसी नहीं है कि लोगों की आवाजाही को अनुमति दी जा सके। उन्होंने कहा कि कांवड़ मेले में भारी भीड़ को देखते हुए इस पर आवाजाही जारी रखना उचित नहीं होता।

उन्होंने कहा कि जनसुरक्षा के दृष्टिगत लक्ष्मण झूला पुल पर किसी भी तरह की आवाजाही को तुरंत रोकने का निर्णय किया गया है। साथ ही झूलापुल का विकल्प जल्द से जल्द तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लक्ष्मण झूला पुल एक सांस्कृतिक धरोहर है। यह ऋषिकेश का प्रमुख आकर्षण का केंद्र और देश-विदेश में इसकी ख्याति है। कई फिल्मों का फिल्मांकन भी यहां हुआ है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण झूला पुल का समुचित रखरखाव करते हुए इसे धरोहर के तौर पर संरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए विशेषज्ञों की राय से कार्ययोजना बनाई जाएगी।

उधर, शासन ने भले ही लक्ष्मण झूला पुल पर आवाजाही पर रोक लगा दी हो, मगर शनिवार को भी इस पर लगातार आवाजाही होती रही। हालांकि, प्रशासन की ओर से शासन के फैसले का विरोध कर रहे लोगों को समझाने की कोशिशें की गईं, मगर यह परवान नहीं चढ़ पाईं। वहीं, माना जा रहा है कि इस झूला पुल के बंद होने से रामझूला पर अधिक दबाव बढ़ेगा। यही नहीं, तीन दिन बाद कांवड़ यात्र भी शुरू होने जा रही है। ऐसे में कांवड़ में उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के साथ ही लक्ष्मण झूला पुल की सुरक्षा सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी।

लक्ष्मण झूला पुल पर पैदल आवाजाही रहेगी जारी

लक्ष्मण झूला पुल की आयु सीमा समाप्त होने के बाद शासन ने इस पुल को बंद करने के आदेश जारी किए थे। विरोध को देखते हुए प्रशासन पुल बंद नहीं कर पाया था। शासन स्तर पर हुई वार्ता के बाद शनिवार देर रात लक्ष्मण झूला पुल पर दुपहिया वाहनों की आवाजाही रोकने के उपाय कर दिए गए हैं। पुल पर अग्रिम आदेश तक पैदल आवाजाही जारी रहेगी।

लक्ष्मण झूला पुल को फिलहाल पूरी तरह बंद नहीं किया जा रहा है। पुल पर पैदल आवाजाही जारी रखने को लेकर शासन स्तर पर हुए विचार-विमर्श के बाद नरेंद्र नगर पुलिस और प्रशासन सहित लोक निर्माण विभाग को अपनी योजना बदलनी पड़ी है। शनिवार की रात को उपजिलाधिकारी नरेंद्र नगर युक्ता मिश्र की मौजूदगी में लोक निर्माण विभाग विभाग नरेंद्र नगर की टीम ने लक्ष्मण झूला पुल पर दुपहिया वाहनों की आवाजाही रोकने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी। विभाग की ओर से पुल के दोनों छोर पर पोल लगा दिए गए हैं। जिससे सिर्फ पैदल व्यक्ति ही निकल सकता है। विभाग की कार्रवाई का फिलहाल किसी ने भी विरोध दर्ज नहीं कराया।लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता नरेंद्र नगर एसएल गोयल ने बताया कि उच्चाधिकारियों से मिले निर्देश के बाद लक्ष्मण झूला पुल को बंद नहीं किया जा रहा है। पुल पर दुपहिया वाहन और ठेलियों का आवागमन रोकने के लिए प्रबंध किए गए हैं। पुल के दोनों और खंबे लगा दिए गए हैं। भीड़ को रोकने के लिए अलग से रेलिंग बनाई जा रही है। इस आदेश के बाद से अब क्षेत्रवासियों को पुल से पैदल आवाजाही करने में सुविधा मिलेगी खासकार स्कूली बच्चों को बड़ी राहत मिली है।

लक्ष्मणझूला बंद होने से रामझूला पर बढ़ जाएगा दबाव

लक्ष्मणझूला पुल को वाहनों के लिए बंद किए जाने का सीधा असर अब रामझूला पुल पर पड़ने वाला है। रामझूला पुल पर अब दोगुना भार पड़ जाएगा, जो सुरक्षा की दृष्टि से इस पुल के लिए भी चिंता का विषय है। रामझूला पुल का भार कम करने के लिए निर्माणाधीन जानकी सेतु अभी तैयार नहीं हो पाया है, ऐसे में गंगा के दोनों ओर बसी आबादी के साथ यहां आने वाले पर्यटकों व तीर्थयात्रियों के लिए आने वाला समय परेशानी भरा हो सकता है। हालांकि लोक निर्माण विभाग का दावा है कि रामझूला पुल अभी तकनीकी रूप से चुस्त-दुरुस्त स्थिति में है।

उल्लेखनीय है कि डिजाइन ट्रैक स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट की रिपोर्ट पर लोकनिर्माण विभाग की सिफारिश के बाद शासन ने लक्ष्मणझूला पुल को आवाजाही के लिए बंद करने के आदेश दिए हैं। हालांकि अभी भारी जन दबाव के चलते स्थानीय प्रशासन पुल को बंद नहीं कर पाया है और अब रविवार को इसे बंद करने की तैयार की जा रही है। मगर, इसके साथ ही अब बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हो गया है कि लक्ष्मणझूला पुल का आखिर विकल्प क्या होगा। लक्ष्मणझूला-जौंक से लक्ष्मणझूला पुल के अलावा गंगा के दूसरी ओर आने-जाने के लिए रामझूला पुल और गरुड़चट्टी मोटर पुल ही विकल्प हैं। गरुड़चट्टी पुल यहां से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर है, जो सुलभ विकल्प नहीं बन सकता। जबकि लक्ष्मणझूला पुल का भार अब यहां से ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामझूला पुल पर पड़ना तय है। रामझूला पुल पहले से ही अधिक भार ङोल रहा है और कांवड़ मेला, कुंभ और पर्यटन काल के दौरान इस पुल पर और भी विकट स्थिति बन जाती है। अब लक्ष्मणझूला पुल का भार भी यहां आने से तय है कि रामझूला पुल का भार अब दोगुना हो जाएगा। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की माने तो रामझूला पुल अभी यातायात के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है।

रामझूला पुल का निर्माण उत्तर प्रदेश सार्वजनिक निर्माण विभाग ने वर्ष 1985 से 86 के बीच पूरा किया था। 1.02 करोड़ रुपये की लगात से बना यह पुल भार वाहन क्षमता के पैमाने पर 500 किग्रा प्रति वर्गमीटर की क्षमता पर बना है। 220.4 मीटर लंबाई व दो मीटर चौड़ाई वाले इस पुल को 21 मीटर ऊंचे टावर थामे हुए हैं। तब यह पुल उत्तरप्रदेश का सबसे लंबे पुल का तगमा प्राप्त था। जब इस पुल का निर्माण किया गया था तो इस पुल को प्रसिद्ध संत व दिव्य जीवन संघ के संस्थापक स्वामी शिवानंद का नाम दिया गया था। मगर, लक्ष्मणझूला की तर्ज पर इस पुल का नाम रामझूला ही प्रचलित हो गया। जबकि विभागीय दस्तावेजों में यह पुल आज भी शिवानंद सेतु के नाम से पहचान रखता है। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता मो. आरिफ खान ने बताया कि रामझूला पुल का कुछ समय पूर्व ही सर्वे कराया गया था। तकनीकी जांच में यह पुल पूरी तरह से दुरस्त मिला है।

सुबोध उनियाल (कबीना मंत्री, उत्तराखंड सरकार तथा विधायक नरेंद्रगर) का कहना है कि सर्वप्रथम प्रयास किया जा रहा है कि लक्ष्मणझूला जैसी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया जा सके, बचाया जा सके। उच्चाधिकारियों से विचार विमर्श के उपरांत व्यापक जनहित को देखते हुए लक्ष्मणझूला पुल पर बैरिकेटिंग के माध्यम से सीमित आवाजाही का निष्कर्ष निकाला जा रहा है। एक्सपर्ट की एक टीम को सेकेंड आपेनियन के लिए भेजा जा रहा है। अधिकारियों को जल्द ही नए पुल के निर्माण के लिए कार्ययोजना बनाने के लिए निर्देशित किया जाएगा।

रितु खंडूरी (विधायक, यमकेश्वर) का कहना है कि उम्र पूरी होने के कारण लक्ष्मणझूला पुल का बंद करने का निर्णय लेना पड़ा। इसके बाद उपजे हालात से हम सब को मिलकर समाधान निकालना होगा। मुख्यमंत्री ने शीघ्र नया पुल बनाने की बात कही है। जानकी पुल के कार्य में भी तेजी लाने का कहा है। लक्ष्मणझूला पुल को धरोहर के रूप में संरक्षित किए जाने के संबंध में मुख्यमंत्री से बात की गयी है।

समय पर बनता जानकी सेतु तो न होती परेशानी

रामझूला पुल पर लगातार बढ़ रहे दबाव को देखते हुए प्रशासन ने यहां मुनिकीरती व वेद निकेतन स्वर्गाश्रम के बीच एक और झूला पुल बनाए जाने की योजना बनाई गयी थी। पूर्व में कुंभ मेले में रामझूला पुल का भार कम करने के लिए मुनिकीरेती व वेद निकेतन के बीच विकल्प के तौर पर पैंटूंन ब्रिज लगाया जाता था। मगर, हर बार होने वाली फिजुलखर्ची को रोकने के लिए यहां स्थायी पुल बनाना ही सही समझा गया। वर्ष 2006 में तीन करोड़ की लागत से इस पुल की घोषणा की गई, जिसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी न चार लाख रुपये की टोकन मनी भी जारी की थी। इसके बाद खंडूड़ी सरकार ने इस पुल को झूला पुल की बजाय थ्री लेन ब्रिज में बदलने का मन बनाया और फिर से इसका एस्टिमेट तैयार किया गया। वर्ष 2012 में पुन: इसके लिए शासनादेश जारी हुआ। मगर, इसके बाद तमाम कारणों के चलते यह पुल कभी शासन में तो कभी विभाग में अटका रहा। 2014 में जब इस पुल पर काम शुरू हुआ तो इस पुल का रिवाइज एस्टीमेट 50.79 करोड़ पहुंच गया। इस बीच फिर से बजट न मिलने पर कार्यदायी संस्था ने काम बंद कर दिया। अब पिछले वर्ष से हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी इस पुल का निर्माण कर रही है, जिसके लिए दिसंबर तक की डेडलाइन तय की गई है। 13 साल से अधर में लटके इस पुल का काम यदि आज तक पूरा हो जाता तो आज रामझूला पुल के लिए इतनी चिंता नहीं होती।

लक्ष्मण झूला पुल बंदी के खिलाफ बाजार बंद कर किया प्रदर्शन

लक्ष्मण झूला पुल को आयु सीमा पूर्ण करने के कारण शासन ने इसे आवाजाही के लिए बंद करने के आदेश जारी किए थे। जन आक्रोश के चलते प्रशासन और विभाग पुल को बंद नहीं कर पाया है। लक्ष्मण झूला के व्यापारियों ने विरोध स्वरूप बाजार बंद रखकर पुल के समीप प्रदर्शन किया।

जनपद पौड़ी और टिहरी को जोडऩे वाले लक्ष्मण झूला पुल को लेकर तकनीशियन की रिपोर्ट के आधार पर लोक निर्माण विभाग नरेंद्र नगर के द्वारा शासन को रिपोर्ट भेजी गई थी। जिस में पुल को बंद करने की संस्तुति की गई। शुक्रवार को अपर सचिव शासन ओमप्रकाश ने आदेश जारी कर पुल को आवाजाही के लिए बंद करने के आदेश जारी कर दिए थे। प्रशासन की योजना शुक्रवार की मध्यरात्रि पुल के दोनों छोर को एंगिल लगाकर बंद करने की थी। जिसके लिए सारी तैयारी पूरी कर ली गई थी। लक्ष्मण झूला क्षेत्र के व्यापारी और आम नागरिक रात में ही लक्ष्मण झूला पुल पर आकर जम गए। देर रात तक प्रशासन और विभाग के खिलाफ प्रदर्शन चलता रहा। रात्रि करीब 1:30 बजे सहायक अभियंता एसएल गोयल वार्ता के लिए वहां पहुंचे थे। लोगों ने उनका घेराव कर दिया। इस दौरान उपजिलाधिकारी नरेंद्र नगर और यमकेश्वर सहित पुलिस उपाधीक्षक नरेंद्र नगर थाना मुनिकीरेती में मौके पर थे। विरोध को देखते हुए प्रशासन पुल को बंद नहीं कर पाया था। शनिवार की अलसुबह 2:30 बजे प्रदर्शनकारी पुल से हटे। इस दौरान नगर पंचायत अध्यक्ष माधव अग्रवाल, भाजपा नेता गुरु पाल बत्रा, अश्वनी गुप्ता, देवेंद्र राणा आदि की सहायक अभियंता के साथ बहस भी हुई। बाद में पुलिस वहां से लौट गई। पुल को बंद करने संबंधी आदेश के खिलाफ तमाम व्यापारियों ने शनिवार को बाजार बंद करने की घोषणा की थी। क्षेत्र का बाजार लोगों ने स्वेच्छा  से बंद रखा। स्थानीय लोगों ने बारिश के बावजूद शिव चौक लक्ष्मण झूला पुल के समीप विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों में शामिल गुरु पाल बत्रा, अश्वनी गुप्ता, गोपाल अग्रवाल ,अरङ्क्षवद नेगी, उदय ङ्क्षसह नेगी, शंकर दादा, भरत लाल, त्रिवेंद्र नेगी आदि ने कहा कि जब तक शासन अपने निर्णय को वापस नहीं लेता आंदोलन जारी रहेगा।

आवाजाही जारी रखने से पुलिस को भी राहत

ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला पुल पर कांवड़ यात्र से ठीक पहले आवाजाही रोकने के फैसले से पुलिस के माथे पर बल पड़ गए थे। पुलिस मुख्यालय ने लोनिवि के इस निर्णय को गलत बताते हुए शासन को पत्र लिखा। कहा कि बिना विकल्प के पुल पर आवाजाही बंद कराना गलत है। इससे कांवड़ यात्र के संचालन में दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसे में अब लक्ष्मणझूला में पैदल आवाजाही जारी रखने का निर्ण लिया गया है, जिससे पुलिस की चिंताएं भी कम हो गई हैं।

लक्ष्मण झूला पुल 50 साल की मियाद के लिए डिजाइन किया गया था। पुल की मियाद पूरी होने के बावजूद पिछले 30 सालों से ज्यादा समय से सुरक्षा के मानकों को दरकिनार कर आवाजाही कराई जा रही थी। इस कांवड़ यात्र से पहले लोक निर्माण विभाग ने इस पुल पर आवाजाही रोकने की संस्तुति शासन को भेजी। शासन ने भी कांवड़ यात्र के चार दिन पहले इस पर आवाजाही रोकने के आदेश जारी कर दिए। इस आदेश से न केवल स्थानीय लोग, बल्कि पुलिस भी परेशान हो गई थी। पुलिस मुख्यालय ने इस आदेश को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि जिस पुल की मियाद 30 साल पहले खत्म हो चुकी है, उसको अचानक बिना छह माह का नोटिस दिए बंद करना व्यवहारिक नहीं है। पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि पुल पर आवाजाही रोकने से कांवड़ यात्र के संचालन में दिक्कतें आ सकती थीं। ऐसे में शासन को पुल पर पैदल आवाजाही जारी रखने के लिए पत्र लिखकर गुहार लगाई गई थी।

सोमवार तक तैयार होगा नए पुल का डिजाइन

लोनिवि के प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा ने बताया कि लोनिवि ने नए पुल के डिजाइन पर काम शुरू कर दिया है। सोमवार तक नए पुल का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।

लोनिवि को 10 जुलाई को मिली रिपोर्ट

प्रमुख अभियंता शर्मा ने बताया कि पुल की मियाद पूरी होने पर छह माह से अध्ययन किया जा रहा था। 10 जुलाई को कंसलटेंट ने यह रिपोर्ट दी। इसके बाद खतरों को देखते हुए रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। यह पुल 1930 में बनाया गया था।

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