बाल भिक्षावृति पर अंकुश लगाने के लिए चलेगा ऑपरेशन मुक्ति
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की बोर्ड बैठक में बाल भिक्षावृति पर अंकुश लगाने के लिए ऑपरेशन मुक्ति चलाने सहित 19 प्रस्ताव सर्व सहमति से पारित किए गए।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की बोर्ड बैठक में बाल भिक्षावृति पर अंकुश लगाने के लिए ऑपरेशन मुक्ति चलाने सहित 19 प्रस्ताव सर्व सहमति से पारित किए गए। बोर्ड बैठक में अन्य मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।
उत्तराखंड बाल संरक्षण अधिकार आयोग कार्यालय में आयोग अध्यक्ष ऊषा नेगी की अध्यक्षता में बोर्ड बैठक आयोजित की गई। बैठक में आयोग के कर्मचारियों की समस्याओं और बाल अधिकार के लिए पारित किए जाने वाले विभिन्न प्रस्तावों पर चर्चा की गई। बैठक में बोर्ड के सदस्यों ने चर्चा के बाद सर्व सम्मति से 19 प्रस्ताव को पारित किए। आयोग अध्यक्ष ने कहा कि पारित प्रस्ताव को लेकर अभी से काम करने की जरूरत है इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बैठक में महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास की निदेशक झरना कमठान, आयोग की सदस्य शारदा त्रिपाठी, सीमा डोरा, वाचस्पति सेमवाल, वित्त नियंत्रक जीवन चंद्र जोशी सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।
बोर्ड बैठक में पारित प्रस्ताव
- नेशनल चाइल्ड लेबर स्कीम के तहत श्रम विभाग उत्तराखंड की ओर से मजदूरी करने वाले बालक- बालिकाओं को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाए।
- देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर के अलावा अन्य जिलों में बाल भिक्षा पर रोक लगाने के लिए ऑपरेशन मुक्ति चलाया जाए।
- गुमशुदा बच्चों की तलाश में सहायता के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से एफआरएस सॉफ्टवेयर डेवलप किया जाए।
- प्रदेश के विभिन्न स्कूलों की मरम्मत के लिए विधायकों को लिखा जाएगा पत्र
आयोग में रिक्त पदों को लेकर शासन को भेजेंगे प्रस्ताव
बाल आयोग में वर्तमान समय में कुल 31 पद खाली है। जिनमें महिला उपनिरीक्षक, निजी सचिव, कनिष्ठ सहायक, डाटा एंट्री ऑपरेटर, विधि अधिकारी, बाल मनोवैज्ञानिक जैसे पद शामिल है। जिनका बाल आयोग को सुचारू रूप से चलाने में अहम भूमिका है। इसके अलावा कार्यालय में नियुक्त पदों के हिसाब से केबिन की संख्या बढ़ाई जाएगी। बोर्ड बैठक में रिक्त पदों पर भर्ती और केबिन की संख्या बढ़ाने को लेकर शासन को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया गया।
फंड के अभाव में अधर में चाइल्ड फ्रेंडली रूम
विदित हो कि दून के डालनवाला थाने में प्रदेश का पहला चाइल्ड फ्रेंडली थाना बनने वाला था जिसके लिए डिजाइन भी बन चुका है। साथ ही प्रत्येक जनपद के एक थाने में एक चाइल्ड फ्रेंडली रूम बनाया जाना है। लेकिन वित्तीय संसाधन के अभाव में यह दोनो योजना अधर पर है। बैठक में सभी जिलों को चाइल्ड फ्रेंडली रूम निर्माण के लिए दो लाख रुपये की धनराशि उपलब्ध करवाएं जाने के आदेश दिए गए।
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हेल्पलाइन का सुचारू चलाने के लिए केंद्र से मांगेंगे बजट
राइट टू ऐजुकेशन एक्ट के तहत मिलने वाली शिकायतों के निस्तारण में विलंब पर केंद्र सरकार ने भी आपत्ति जताई थी। आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि आयोग के पास कर्मचारियों की संख्या कम है। जिस कारण समय पर न तो शिकायतें मिल पाती हैं और न ही उन शिकायतों का निस्तारण हो पाता हैं। इसलिए बैठक में फैसला लिया कि केंद्र सरकार से 24 घंटे हेल्पलाइन को सुचारू रुप से चलाने के लिए पर्याप्त बजट और कर्मचारी की नियुक्ति करने की मांग की जाएगी। इसके अलावा बैठक में महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास की निदेशक झरना कमठान ने महिला हेल्पलाइन को बाल हेल्पलाइन से जोड़े जाने का प्रस्ताव रखा गया। ताकि 181 पर आने वाली बाल उत्पीड़न संबंधी शिकायतों को बाल आयोग में स्थानांतरित किया जाए।
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