उत्तराखंड: कोरोना काल में आनलाइन या अन्य माध्यम से हुई पढ़ाई का होगा मूल्यांकन
कोरोना संकट काल में आनलाइन या आफलाइन माध्यम से होने वाली पढ़ाई छात्र-छात्राओं के लिए कितनी कारगर रही इसका विधिवत मूल्यांकन किया जाएगा। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने इसका व्यापक मूल्यांकन कराने के निर्देश शिक्षा विभाग को दिए हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। कोरोना संकट काल में आनलाइन या आफलाइन माध्यम से होने वाली पढ़ाई छात्र-छात्राओं के लिए कितनी कारगर रही, इसका विधिवत मूल्यांकन किया जाएगा। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने इसका व्यापक मूल्यांकन कराने के निर्देश शिक्षा विभाग को दिए हैं। सचिव के निर्देश पर एससीईआरटी इस मूल्यांकन के लिए टूल्स विकसित करेगा। कोरोना त्रासदी का सबसे ज्यादा नुकसान शिक्षा को हुआ है। तकरीबन सवा साल से स्कूलों में पढ़ाई ठप है।
पिछले शैक्षिक सत्र में बोर्ड कक्षाओं को छोड़कर स्कूल बंद ही रहे। चालू शैक्षिक सत्र में भी शुरुआती तीन महीने बंदी में ही गुजर रहे हैं। पिछले शैक्षिक सत्र में सरकार की ओर से आनलाइन पढ़ाई के निर्देश जारी किए गए थे। इसके अतिरिक्त जिन ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी समेत अन्य दिक्कतें रहीं, वहां छात्र-छात्राओं को वर्कशीट के माध्यम से पढ़ाने के प्रयास किए गए। बोर्ड और अन्य कक्षाओं के छात्र-छात्राओं की मदद के लिए दूरदर्शन के माध्यम से पढ़ाई का बंदोबस्त किया गया था।
प्राथमिक कक्षाओं के छोटे बच्चों के लिए स्थान विशेष पर कम्युनिटी रेडियो की मदद भी शिक्षा विभाग ने ली थी। इस पूरी कवायद से छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में क्या मदद मिली और कहां पर खामियां रह गईं, इनका विधिवत मूल्यांकन अब तक नहीं किया गया है। तमाम पहलुओं को ध्यान में रखकर हानि-लाभ का आकलन भी नहीं किया जा सका है। ऐसे में आगे व्यवस्था दुरुस्त करने में दिक्कतें पेश आ रही हैं।
हालांकि एससीईआरटी ने आनलाइन पढ़ाई के प्रभाव को लेकर सर्वे कराया था, लेकिन इस सर्वे में आनलाइन पढ़ाई का लाभ ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को अपेक्षा से काफी कम लाभ मिलने का तथ्य सामने आया था। इस सर्वे का दायरा सीमित रहा है। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के मुताबिक यह मूल्यांकन बेहद जरूरी है। एससीईआरटी इस मूल्यांकन के लिए कवायद में जुटेगा। मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर कोरोना काल में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बंदोबस्त किए जाएंगे।
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