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कूड़े से 'रोशन' होंगे देहरादून के एक हजार भवन, जानिए कैसे बनेगी बिजली

देहरादून शहर में जल्‍द ही एक हजार भवन कूड़े से रोशन होंगे। देहरादून नगर निगम को राज्य सरकार ने कूड़े से बिजली बनाने का संयंत्र लगाने की मंजूरी दी है। निगम अधिकारियों का कहना है कूड़े से करीब सात मेगावाट बिजली बनाने का संयंत्र लग सकता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 01:04 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 01:04 PM (IST)
कूड़े से 'रोशन' होंगे देहरादून के एक हजार भवन, जानिए कैसे बनेगी बिजली
दून शहर के करीब एक हजार भवन जल्द ही कूड़े से बनी बिजली से रोशन होंगे।

अंकुर अग्रवाल, देहरादून। दून शहर के करीब एक हजार भवन या यूं कहें कि एक हजार टू-बीएचके जल्द ही कूड़े से बनी बिजली से रोशन होंगे। करीब दो साल की कवायद के बाद राज्य सरकार ने देहरादून नगर निगम को कूड़े से बिजली बनाने का संयंत्र लगाने की मंजूरी दे दी है। खास बात यह है कि इस संयंत्र में कूड़े के एकत्रीकरण और उससे उठने वाली दुर्गंध से भी निजात मिल जाएगी। सरकार की मंजूरी के बाद अब नगर निगम जल्द इसका टेंडर निकालने की तैयारी कर रहा है। अभी यह तय नहीं हुआ है कि प्लांट कहां पर बनेगा, लेकिन शीशमबाड़ा में चल रहा विरोध शांत करने के लिए प्लांट वहीं लगाया जा सकता है।

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कूड़ा प्रबंधन व निस्तारीकरण परियोजना के अंतर्गत नगर निगम ने जनवरी-2018 में कूड़े से खाद बनाने की परियोजना शुरू की थी, लेकिन यह शुरुआत से विवादों में है। शीशमबाड़ा में लगाए गए प्लांट से उठ रही दुर्गंध के कारण हजारों की आबादी परेशान है। इस समस्या से निजात पाने को निगम ने राज्य सरकार से कूड़े से बिजली बनाने की परियोजना शुरू करने की मांग की थी। बीते दो साल से इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर शासन की अनुमति मिलने का इंतजार किया जा रहा था। निगम अधिकारियों की मानें तो दून में कूड़े से करीब सात मेगावाट बिजली बनाने का संयंत्र लग सकता है। इससे एक हजार डबल बेडरूम मकान या टू-बीएचके रोशन हो सकते हैं।

100 करोड़ रुपये की है परियोजना

निगम अधिकारियों के मुताबिक कूड़े से बिजली बनाने की परियोजना पर तकरीबन सौ करोड़ रुपये तक का खर्च आएगा। यह परियोजना पीपीपी मोड में बनेगी। शहर के कूड़े का प्रबंधन व निस्तारीकरण इस समय शीशमबाड़ा में रैमकी कंपनी के पास है पर कंपनी की कार्यशैली अभी तक उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है। जो हाल शीशमबाड़ा में हैं, उसके लिए निगम कंपनी को जिम्मेदार मान रहा और हर महीने उसके भुगतान से कटौती भी की जा रही। ऐसे में निगम ऐसी कंपनी की तलाश कर रहा, जो विवादित न हो और काम भी जिम्मेदारी से करे।

सीधे बायलर में जाएगा कूड़ा

ऊर्जा संयंत्र में कूड़े को पृथ्कीकरण और एकत्रीकरण करने की समस्या नहीं है। इस संयंत्र में कूड़े को बायलर में डाला जाता है और उसके बाद सिर्फ राख बचती है। अभी निगम कूड़े का एकत्रीकरण एवं पृथकीकरण करता है और शीशमबाड़ा में करीब 20 दिन बाद उसका निरस्तारीकरण हो पाता है। कूड़े के सड़ने के कारण उससे दुर्गंध तो उठती ही है, साथ ही जहरीला पानी भी रिसता रहता है। यह जहरीला पानी जमीन में मिलता है, जिससे भू-जल भी दूषित हो रहा। ग्रामीणों के लगातार विरोध को देखते हुए निगम की ओर से कूड़े से ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए सरकार को 2019 में डीपीआर भेजी थी जो अब तक लंबित थी।

खाद बेचने की समस्या होगी दूर

शीशमबाड़ा में कूड़े से बनाई जा रही खाद को बेचने के लिए नगर निगम को राजस्थान तक धक्के खाने पड़ रहे थे। कोई इस खाद को खरीदने को राजी नहीं था। दो वर्ष तक यह खाद शीशमबाड़ा में ही पड़ रही। नगर निगम अधिकारियों ने दौड़भाग कर खाद के खरीददार तलाशे व खाद पहुंचाने का खर्च भी खुद वहन कर रहा। ऊर्जा संयंत्र लगाने के बाद यह समस्या भी दूर हो जाएगी। इस परियोजना में निगम को आय भी होगी।

महापौर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि राज्य सरकार ने कूड़े से बिजली बनाने का संयंत्र लगाने की मंजूरी दे दी है। जल्द इस पर काम शुरू करने की तैयारी की जा रही। टेंडर के जरिये कंपनी का चयन होगा और आमजन को कूड़े की दुर्गंध से निजात मिलेगी।

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