'वन नेशन, वन इलेक्शन के साथ शुरू हो वन पेंशन', उत्तराखंड में मुखर हुए कर्मचारी
One Pension एक समान पेंशन व्यवस्था की मांग को लेकर उत्तराखंड के कर्मचारियों ने आवाज उठाई है। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन ने वन नेशन वन इलेक्शन के साथ ही वन नेशन वन पेंशन शुरू किए जाने की मांग की है। कर्मचारियों का कहना है कि देशभर में सभी कर्मचारियों को एक समान पेंशन व्यवस्था का लाभ मिलना चाहिए।
जागरण संवाददाता, देहरादून। One Pension: राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन ने वन नेशन, वन इलेक्शन के साथ ही वन नेशन, वन पेंशन शुरू किए जाने की मांग की। एक समान रूप से सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने पर जोर दिया।
एनएमओपीएस के प्रदेश अध्यक्ष जीतमणि पैन्यूली ने कहा कि केंद्र सरकार का वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रयास सराहनीय है। उम्मीद है सरकार इस मुहिम को वन नेशन, वन पेंशन से भी जोड़ेगी। देशभर के सभी कर्मचारियों को एक समान पेंशन व्यवस्था का लाभ दिया जाए।
2005 से पहले के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ
कहा कि अभी देश में वर्ष 2005 से पहले के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। इसके बाद आए कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम से जोड़ा गया है। अब केंद्र सरकार एक नई पेंशन योजना यूपीएस ले आई है।
महामंत्री मुकेश रतूड़ी ने कहा कि बेहतर यही होगा कि केंद्र और राज्य सरकारें अब वन नेशन, वन पेंशन कीमुहिम पर आगे बढ़ते हुए पूरे देश में पुरानी पेंशन बहाली का फैसला लें। एनपीएस, यूपीएस की बजाय सिर्फ ओपीएस को ही लागू किया जाए। कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली से कम पर अब कुछ भी स्वीकार करने वाले नहीं हैं।
निगम महासंघ को शासन ने वार्ता के लिए बुलाया
राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ की लंबित मांगों के निस्तारण को कार्मिक विभाग की ओर से वार्ता का समय दे दिया गया है। 23 सितंबर को महासंघ पदाधिकारियों की अपर मुख्य सचिव कार्मिक आनंद बर्द्धन से वार्ता होगी।
महासंघ के अध्यक्ष दिनेश गोसाईं ने कहा कि लंबे समय से महासंघ की ओर से वार्ता का समय मांगा जा रहा था। महासंघ की ओर से मांग की जा रही है कि जनवरी 2024 से लंबित बढ़े हुए महंगाई भत्ते का लाभ कर्मचारियों को सुनिश्चित कराया जाए। जब राज्य कर्मियों को बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता मिल चुका है, तो निगमों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है।
महासचिव बीएस रावत ने कहा कि संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर भी सरकार जल्द फैसला ले। नियमितीकरण होने तक कर्मचारियों को समान काम का समान वेतन दिया जाए। वार्ता में मजबूती के साथ कर्मचारी मुद्दों को उठाने के साथ ही उनका निस्तारण सुनिश्चित कराया जाएगा।