उत्तराखंड के सवा लाख अधिकारी और कर्मचारी रहेंगे हड़ताल पर, ये हैं मांगें
उत्तराखंड के करीब सवा लाख अधिकारी और कर्मचारी बुधवार को हड़ताल पर रहेंगे। हड़ताली कर्मचारी अपने अपने जिला मुख्यालय में धरना प्रदर्शन भी करेंगे।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच से जुड़े गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के करीब सवा लाख कार्मिक बुधवार को हड़ताल पर रहेंगे। इसके लिए कर्मचारी और अधिकारियों ने व्यक्तिगत अवकाश ले लिया है। हड़ताल के चलते विभागों में कोई भी काम नहीं हो पाएगा। हड़ताली कर्मचारी अपने-अपने जिला मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन भी करेंगे। दोपहर बाद मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा जाएगा।
अटल आयुष्मान योजना के तहत जारी यू-हेल्थ कार्ड में कर्मचारियों का पैसा काटने के बाद दून अस्पताल की शर्त का मंच विरोध कर रहा है। इस संबंध में जारी हुए शासनादेश में संशोधन की मांग समेत अन्य मांगों को लेकर अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच आंदोलनरत हैं। 21 दिसंबर को प्रमुख सचिव चिकित्सा को मंच ने दो जनवरी को हड़ताल की चेतावनी दी थी। इसके अलावा आंदोलन की उग्र रणनीति भी तय की गई।
समन्वय मंच के मुख्य संयोजक नवीन कांडपाल और प्रांतीय प्रवक्ता पूर्णानंद नौटियाल ने बताया कि करीब सवा लाख कर्मचारी अवकाश लेकर हड़ताल पर रहेंगे। सभी जिला मुख्यालयों में कर्मचारी और अधिकारी धरना-प्रदर्शन कर सरकार से अपनी जायज मांगों पर कार्रवाई की मांग करेंगे। हड़ताल में आठ मान्यता प्राप्त राजकीय कर्मचारी संगठनों से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी शामिल होंगे। हालांकि निगम, शिक्षक और सेवाकर, समेत संयुक्त मोर्चा इस हड़ताल से दूर रहेंगे।
चार को दून में रैली
मंच ने धरना-प्रदर्शन के साथ ही उग्र आंदोलन की रणनीति तय कर दी है। इसके तहत 15 जनवरी से 31 जनवरी तक जन जागरण अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान जनप्रतिनिधियों को मांग पत्र सौंपा जाएगा। इसके बाद भी कार्रवाई न हुई तो चार फरवरी को दून में प्रदेश स्तरीय रैली आयोजित होगी। रैली के बाद आंदोलन की अगली रणनीति बनेगी।
ये है मंच की प्रमुख मांगें
-अटल आयुष्मान योजना के शासनादेश को संशोधित किया जाए।
-केंद्र के समान समस्त कार्मिकों को भत्ते दिए जाएं।
-सातवें वेतन आयोग के तहत प्रमोशन और वेतनमान की समस्या निस्तारित की जाए।
-पुरानी पेंशन व्यवस्था को तत्काल बहाल किया जाए।
-सेवानिवृत्ति के समय गृह जनपद में तैनाती दी जाए।
-अर्हकारी सेवा में शिथिलीकरण की व्यवस्था यथावत रखी जाए।
-वेतन विसंगति समिति की कर्मचारी विरोधी निर्णयों को लागू न किया जाए।
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