उत्तराखंड में सवा लाख कर्मचारी करेंगे कार्य बहिष्कार, पढ़िए पूरी खबर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के छह दिन बाद भी बिना आरक्षण पदोन्नति प्रक्रिया बहाल नहीं होने से नाराज जनरल-ओबीसी वर्ग के करीब सवा लाख कर्मचारी शुक्रवार को कार्य बहिष्कार करेंगे।
देहरादून, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के छह दिन बाद भी बिना आरक्षण पदोन्नति प्रक्रिया बहाल नहीं होने से नाराज जनरल-ओबीसी वर्ग के करीब सवा लाख कर्मचारी शुक्रवार को कार्य बहिष्कार करेंगे। वहीं, देहरादून में कार्य बहिष्कार के साथ कर्मचारी रैली निकालकर सचिवालय कूच कर विरोध दर्ज कराएंगे। इसके बाद भी सरकार ने कर्मचारियों के हक में फैसला नहीं किया तो 20 फरवरी को देहरादून में महारैली होगी और फिर से परिवार सहित सचिवालय कूच करेंगे।
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर बीती सात फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इसे राज्य सरकार का विषय बताया और कहा कि इस पर राज्य सरकार को निर्णय लेना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि पदोन्नति में आरक्षण लेना मौलिक अधिकार नहीं है।
जनरल-ओबीसी वर्ग के कर्मचारियों ने इसे बड़ी जीत माना। इस फैसले के बाद उन्हें उम्मीद थी कि सरकार अब बिना आरक्षण पदोन्नति प्रक्रिया बहाल कर देगी। उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक से मुलाकात भी गई। लेकिन, सरकार के रवैये से लगा कि वह कर्मचारियों के हित से जुड़े मुद्दे में राजनीतिक नफा-नुकसान तलाश रही है।
कांग्रेस ने भी एससी-एसटी कर्मचारियों के समर्थन में राग अलापा है। इससे जनरल-ओबीसी कर्मचारी वर्ग बेहद आहत है। लिहाजा, विवश होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा। अगर हम अभी कमजोर पड़ गए तो भविष्य की पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी। शुक्रवार को प्रदेश के सभी जिलों में करीब सवा लाख कर्मचारी सामूहिक कार्य बहिष्कार करेंगे। वहीं, देहरादून में परेड ग्राउंड से रैली निकालने के बाद सचिवालय कूच किया जाएगा।
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आरक्षण पर मिली जीत के बाद अब रोस्टर को लेकर होगा संघर्ष
सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को लेकर आए फैसले को उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने ऐतिहाहासिक बताते हुए कहा कि यह दूसरे राज्यों के लिए भी नजीर बनेगा। एसोसिएशन और उसके साथ जुड़े संगठनों ने इस बड़ी जीत बताते हुए एलान किया कि नवीन रोस्टर प्रणाली को लेकर उनका संघर्ष जारी रहेगा।
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