तीन साल से गलत खाते में जाती रही वृद्ध की पेंशन, ऐसे हुआ खुलासा
करीब 34 महीनों से 67 वर्षीय वृद्ध की पेंशन दूसरे के बैंक खाते में जाती रही, लेकिन विभागीय अधिकारी पीड़ित की शिकायत पर अमल करने को राजी नहीं हुए।
देहरादून, जेएनएन। समाज कल्याण विभाग की वृद्ध पेंशन योजना में एक और गडबड़झाला सामने आया है। 34 महीनों से 67 वर्षीय वृद्ध की पेंशन दूसरे के बैंक खाते में जा रही, लेकिन विभागीय अधिकारी पीड़ित की शिकायत पर अमल करने को राजी नहीं हुए।
विभाग का यह कारनामा तब उजागर हुआ जब पीड़ित वृद्ध न्याय के लिए सेवा का अधिकार आयोग में पहुंचा। इस गड़बड़झाले में पीड़ित की करीब 34 हजार रुपये पेंशन डकार ली गई। अब आयोग की सख्ती के बाद विभाग ने भी गड़बड़ी स्वीकार कर ली है और आयोग की सख्ती के बाद पीड़ित को पेंशन का भुगतान करने को विभाग राजी हो गया है।
दरअसल, अल्मोड़ा के वृद्ध पेंशनर देशपाल सिंह (67 वर्ष) की सितंबर 2015 से पेंशन बैंक खाते में ही नहीं आई। शुरू में तीन-चार महीने तक पेंशन नहीं आई तो लगा कि शायद बजट जारी नहीं हुआ होगा। लेकिन, जब लगातार सात-आठ माह तक पेंशन खाते में नहीं पहुंची तो पीड़ित ने जिला समाज कल्याण कार्यालय में शिकायत की, लेकिन विभागीय अधिकारी-कर्मचारी उम्र के इस पड़ाव में भी वृद्ध को चक्कर पे चक्कर कटवाते रहे।
हद तो तब हो गई जब करीब 30 महीने से ज्यादा गुजर गए, लेकिन एक भी महीने की पेंशन नहीं मिली। इसके बाद पीड़ित ने इसी नवंबर माह में उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग में लिखित शिकायत दी, जिसके बाद मामले का आयोग ने संज्ञान लिया और विस्तृत जांच कराई।
अब जो हकीकत सामने आई उससे हर कोई हैरान रह गया। 34 महीने से पीड़ित की पेंशन अन्य किसी व्यक्ति के खाते में जाती रही और विभाग ने शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया।
ये भी रहे गड़बड़झाले:
- वर्ष 2017 में देहरादून में 1927 दिव्यांग पेंशनों का फर्जीवाड़ा।
- 237 पेंशनरों के नाम पर दो-दो बार पेंशन का भुगतान।
आयोग में पीड़ित पेंशनर ने दी लिखित शिकायत
पंकज नैथानी, (सचिव, उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग) का कहना है कि आयोग में पीड़ित पेंशनर ने लिखित शिकायत दी थी। जिसका संज्ञान लेते हुए आयोग ने जांच कराई। इसमें बड़ी गड़बड़ी सामने आई। आयोग ने पीड़ित को तत्काल बकाया पेंशन की समस्त राशि का भुगतान करने के आदेश दिए थे, जिसके भुगतान शुरू हो चुका है।
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