खुशखबरी: उत्तराखंड में इसबार बढ़ सकता है बाघों का कुनबा
उत्तराखंड में लगातार बाघों का कुनबा बढ़ रहा है। इसबार भी बाघो की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: बाघ संरक्षण के मामले में कर्नाटक (403) के बाद दूसरे स्थान पर चल रहे उत्तराखंड (361) में इस मर्तबा इनकी संख्या में इजाफा हो सकता है। 'अखिल भारतीय बाघ आकलन' के फेज-एक के सर्वेक्षण में जिस प्रकार बड़े पैमाने पर राज्य में बाघों के पगचिह्न मिले, उससे महकमा उत्साहित है। इस सर्वेक्षण के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने भी उत्तराखंड की पीठ थपथपाई है। उत्तर भारत के राज्यों में उसका यह कार्य बेहतर आंका गया। उत्तराखंड ने फेज-तीन के तहत कैमरा ट्रैपिंग से गणना कार्य नवंबर तक पूरा करने का वायदा भी किया है।
कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व समेत राज्य के 13 वन प्रभागों में बाघ आकलन के लिए फरवरी में फेज-एक के तहत सर्वेक्षण किया गया। इसमें एक हजार बीटों में बाघों के पगचिह्नों की गणना की गई। साथ ही इन क्षेत्रों में शाकाहारियों की संख्या, वनस्पतियों एवं मानवीय व्यवधान व मल सर्वेक्षण के कार्य किए गए। बाघ बहुल सभी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बाघों के पगचिह्न पाए गए। सर्वेक्षण के आंकड़ों को विशेष रूप से तैयार किए गए 'एम-स्ट्राइप एप' में वन्यजीव विभाग ने फीड भी कर दिया है। वर्तमान में बाघ आकलन के तहत फेज-तीन के अंतर्गत कैमरा ट्रैप से गणना का कार्य चल रहा है।
इस बीच एनटीसीए ने दिल्ली में उत्तर भारत के चार राज्यों बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में बाघ आकलन की समीक्षा की। उत्तराखंड में बाघ गणना के नोडल अधिकारी डॉ.धनंजय मोहन के मुताबिक एनटीसीए ने चारों राज्यों में उत्तराखंड के फेज-एक के कार्य को सराहा है। उन्होंने बताया कि फेज-तीन के तहत कैमरा ट्रैपिंग के जरिए कार्बेट टाइगर रिजर्व के अलावा हरिद्वार वन प्रभाग व तराई पूर्वी प्रभाग में गणना कार्य बाकी है। इसे बरसात के बाद नवंबर में पूरा करा लिया जाएगा।
फेज-एक की खास बातें
-बाघों के पगचिह्न जुटाने को हर बीट में आठ से 10 दिन चला सर्वेक्षण
-पहली बार सर्वेक्षण में किया गया एम-स्ट्राइप मोबाइल एप का प्रयोग
-विश्व प्रकृति निधि दे रहा उत्तराखंड में बाघ गणना में सहयोग
-बाघ बहुल क्षेत्रों में शाकाहारी जीवों का भी किया गया आकलन
-मल सर्वेक्षण के साथ ही बड़े पैमाने पर लिए गए मल के नमूने
-साफ्टवेयर एम-स्ट्राइप में इसे फीड करने से पहली कार्मिकों को तीन बार दी गई ट्रेनिंग
बाघ आकलन
फेज-एक:-पगचिह्नों की गणना के साथ शाकाहारियों की गणना, मल के नमूने, वनस्पतियों व मानवीय दखल के जुटाए जाते हैं आकड़े। फिर इन्हें किया जाता है कंप्यूटरीकृत
फेज-दो:- सेटेलाइट के जरिये बाघ बहुल क्षेत्रों की ली जाती हैं तस्वीरें।
फेज-तीन:- कैमरा ट्रैप के जरिये तस्वीरें लेकर की जाती है बाघ गणना
फेज-चार:- सभी प्रकार के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद जारी किए जाते हैं गणना के परिणाम।
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