सीएचसी में लगी लंबी लाइने, ओपीडी हुई दोगुनी
जागरण संवाददाता, विकासनगर: क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में सोमवार को चौथे दिन भी
जागरण संवाददाता, विकासनगर: क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में सोमवार को चौथे दिन भी निजी अस्पताल व क्लीनिक बंद रहे। जिस कारण सीएचसी में इलाज के लिए मरीजों को लंबी लाइन लगानी पड़ी। ओपीडी में दोगुने होने पर चिकित्सकों ने भी अतिरिक्त समय देकर मरीजों का उपचार किया।
बतादें कि आइएमए, आइडीए, नीमा, आइएमपीए से जुड़े चिकित्सक व मेडिकल प्रेक्टिनर्स क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में हैं। पिछले चार दिन से निजी क्लीनिक व अस्पताल बंद किए हुए हैं। जिसके चलते मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। सरकारी अस्पतालों की लैब में टेस्ट करने की सीमित सुविधा के चलते मरीजों को निजी लैब में ही जाना पड़ता है, लेकिन निजी अस्पताल बंद होने के कारण सोमवार को सीएचसी विकासनगर में मरीजों की भारी भीड़ रही। पर्चा बनवाने को भी महिला व पुरुषों की अलग-अलग दो लंबी लाइनें लगी रही। ओपीडी में अन्य दिनों की अपेक्षा मरीजों की संख्या दोगुने से भी अधिक रही। सामान्य दिनों में भी सीएचसी विकासनगर में तीन सौ से ऊपर की ओपीडी हो जाती है। चिकित्सकों ने भीड़ ज्यादा देखते हुए ओपीडी के निर्धारित समय के बाद तक भी उपचार किया। डॉ. विजय ¨सह के अनुसार सामान्य दिनों की अपेक्षा सोमवार को ओपीडी में भारी भीड़ रही। सभी का उपचार किया गया। हरियाणा की तर्ज पर लागू हो एक्ट
जागरण संवाददाता, विकासनगर: आइएमए, आइडीए, नीमा, आइएमपीए से जुड़े चिकित्सकों ने सोमवार को एक होटल में बैठक कर आगे की रणनीति पर मंथन किया। चिकित्सकों ने कहा कि क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के बजाय हरियाणा की तर्ज पर एक्ट को लागू किया जाए, जिससे मरीजों को भी सहुलियत हो सके।
बैठक में चिकित्सकों ने कहा कि एक्ट के लागू होने से अस्पताल का संचालन व रखरखाव बहुत महंगा हो जाएगा। अस्पताल में सारे कार्यरत पुराने अनुभवी कर्मचारियों को कार्य से वंचित होना पड़ेगा। चिकित्सकों ने कहा कि दूनघाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण व एमडीडीए के कड़े नियमों के कारण स्वास्थ्य चिकित्सा सेवा प्रदान करने वाले छोटे अस्पताल को बंद करना पड़ेगा और मरी•ाों को महंगे एवं बड़े अस्पतालों से मजबूरी में इलाज करवाना पड़ेगा। चिकित्सकों ने कहा कि हरियाणा सरकार ने एक्ट में बदलाव कर उसे लागू किया है, उत्तराखंड में भी हरियाणा की तर्ज पर एक्ट लागू होना चाहिए। जेनेरिक व ब्रांडेड दवाओं का लाइसेंस एवं विक्रय मूल्य सरकार द्वारा ही निर्धारित किया जाता है। इसमें चिकित्सकों की कोई भूमिका नहीं होती है। कहा कि जब तक मांग पूरी नहीं होती है तब तक हड़ताल जारी रहेगी। बैठक में आइएमए अध्यक्ष डॉ. जगवीर चंद, डॉ. हसंराज अरोडा, डॉ. यशवीर तोमर, डॉ. अनिल वर्मा, डॉ. लोकेश शर्मा, डा. दिनेश भंडारी, डॉ. विरेन्द्र ¨सह चौहान, डॉ. मयंक शर्मा आदि मौजूद रहे।