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काला दिवस मनाकर किया नई पेंशन योजना का विरोध

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर आंदोलन जारी है। संयुक्त मोर्चा की ओर से इस मांग को लेकर आज काला दिवस मनाया जाएगा। मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा नई पेंशन योजना में कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद गुजारे लायक भी पेंशन प्राप्त नहीं कर पा रहे।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 10:20 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2021 10:20 PM (IST)
काला दिवस मनाकर किया नई पेंशन योजना का विरोध
उत्तराखंड में पुरानी पेंशन बहाली की मांग को आंदोलन जारी, आज मनाया जाएगा काला दिवस।

जागरण संवाददाता, देहरादून। नई पेंशन योजना के विरोध में कर्मचारियों ने काली फीती बांधकर काला दिवस मनाया। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर इंटरनेट मीडिया पर भी अभियान चलाकर विरोध दर्ज कराया गया।

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संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर राज्य के कर्मचारियों ने अपने कार्यालयों में काली पट्टी व काला मास्क लगाकर विरोध जताया। सभी कर्मचारियों ने अपने इंटरनेट मीडिया पर प्रोफाइल पिक्चर काली रखी। एक साथ 80 हजार कर्मचारियों ने शाम तीन से छह बजे के बीच ट्वीट किए। कर्मचारियों ने कहा कि एक जनवरी 2004 को तत्कालीन सरकार ने नई पेंशन योजना को लागू कर कर्मचारियों के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया। मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल बडोनी ने कहा कि वर्तमान समय में मोर्चा राज्य में पुरानी पेंशन की लड़ाई मजबूती से लड़ रहा है। 

राज्य के इतिहास में पहली बार पूरी कैबिनेट कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की पक्षधर हो गई है। प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि प्रत्येक मांग आग्रह से शुरू होती है और आंदोलन पर खत्म। लेकिन, यह मांग तब तक खत्म नहीं होगी जब तक यह लागू नहीं हो जाती। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत के नेतृत्व में लगातार कई राज्यों में इस लड़ाई को लड़ रहा है। प्रदेश महिला उपाध्यक्ष योगिता पंत ने कहा कि पुरानी पेंशन की बहाली के लिए महिला कार्मिक घरों से निकल कर सड़कों पर आने के लिए तैयार हैं।

प्रदेश स्तर से देवेंद्र बिष्ट, प्रवीण भट्ट, भवान सिंह नेगी आदि ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। कुमाऊं से कपिल पांडे, राजीव कुमार, रेणु डांगला, सुबोध कांडपाल, राजेंद्र शर्मा, अशोक पंत, आलोक पांडे, अनिल जोशी, शंकर सिंह नायक, गढ़वाल से जयदीप रावत, सोहन सिंह नेगी, प्रेमचंद ध्यानी, राकेश रावत, श्रीकृष्ण उनियाल, जसपाल रावत आदि विरोध में शामिल रहे।

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