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दस दिन शहर की गलियों में नहीं झांकेगा नगर निगम, जानिए Dehradun News

अगले दस दिन तक आपको दिक्‍कत सहनी पड़ेगी। दरअसल शहर में सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहा नगर निगम आजकल वीवीआइपी डयूटी में व्यस्त है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 09:40 AM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 09:40 AM (IST)
दस दिन शहर की गलियों में नहीं झांकेगा नगर निगम, जानिए Dehradun News
दस दिन शहर की गलियों में नहीं झांकेगा नगर निगम, जानिए Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। अगर आपके गली-मोहल्ले में गंदगी पसरी हुई है, कूड़े के ढेर लगे हैं और अवारा पशुओं का जमावड़ा है तो अगले दस दिन आपको यही सब सहना पड़ेगा। दरअसल, शहर में सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहा नगर निगम आजकल वीवीआइपी डयूटी में व्यस्त है। निगम के अधिकारी खुद इसका हवाला दे रहे कि वे 28 जुलाई तक मसूरी में होने जा रहे हिमालयी सम्मेलन में व्यस्त हैं। शिकायतकर्ताओं को भी 28 जुलाई के बाद आने को कहा जा रहा। 

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निगम का यह रवैया शुक्रवार की दोपहर उस वक्त सामने आया जब आवारा पशुओं व गंदगी की शिकायत लेकर नेशविला रोड स्थित नीलकंठ विहार के लोग नगर निगम में पहुंचे। लोगों ने समस्या बताते हुए नगर निगम से कार्रवाई की मांग की तो अफसरों ने सपाट लहजे में अटपटा जवाब दिया कि  हिमालयी सम्मेलन की तैयारियों के चलते पशु पकडऩे वाली गाड़ी दूसरी जगह लगाई गई है, ऐसे में उनके पास वाहन उपलब्ध है न ही कर्मचारी। दरअसल, नीलकंठ विहार में इन दिनों आवारा पशुओं के कारण गंदगी फैली हुई है। गलियों में गोबर की गंदगी है और पैदल चलना मुश्किल हो रहा। सफाई का कार्य तक नहीं हो रहा। इस पर लोगों ने नगर निगम में पहुंच पशु चिकित्साधिकारी को शिकायत की थी कि उनकी कालोनी में आवारा पशु परेशानी का सबब बन रहे हैं। ये कॉलोनी में गंदगी कर रहे हैं और इनकी वजह से आएदिन दुर्घटना हो रही। आरोप है कि पशु चिकित्साधिकारी विवेकानंद सती ने लोगों को टका सा जवाब दे दिया। कहा कि अभी पशु पकडऩे वाली गाड़ी व कर्मी उन रूटों पर लगाई गई है जहां से हिमालयी सम्मेलन में भाग लेने के लिए दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री आ रहे हैं। 28 जुलाई के बाद ही वाहन व कर्मी उपलब्ध हो पाएंगे। उनके इस जवाब के बाद लोगों के पास लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। 

यह अकेले नीलकंठ विहार की समस्या नहीं बल्कि शहर के 100 वार्डों के हर गली मोहल्ले की समस्या है। शहर में सर्वाधिक शिकायत कूड़ा उठान को लेकर है। गाडिय़ां एक-एक हफ्ते तक वार्डों में नहीं जा रही हैं एवं आमजन शिकायतें करते हुए परेशान हो चुका है। निगम अधिकारी सामान्य दिनों में आमजन की नहीं सुनते, तो इस समय कैसे सुनेंगे। क्योंकि, वे इन दिनों वीवीआइपी की 'सेवा' में व्यस्त हैं।

महापौर के घर में ही दुर्दशा

न लकंठ विहार शहर के महापौर सुनील उनियाल गामा के आवास के ठीक पड़ोस में है। ऐसे में सवाल उठ रहा कि महापौर के 'घर' में ही गंदगी का ये हाल है तो पूरे शहर में कैसा होगा। यहां गलियां तक टूटी पड़ी हैं और सड़कों में गड्ढ़े हो रहे। नगर निगम के अधिकारी लोगों की समस्या दूर करना तो दूर, क्षेत्र में झांकने का भी प्रयास नहीं कर रहे।

नए वार्डों में अब नहीं व्यवस्था

शहरी क्षेत्र से भी ज्यादा बुरा हाल नए वार्र्डों का है। सरकार ने शहरी सीमा से सटे 72 गांवों को पिछले साल नगर निगम क्षेत्र में शामिल तो कर लिया लेकिन अभी तक मूलभूत सुविधाओं से ये लोग वंचित ही हैं। न वहां सफाई की कोई व्यवस्था है, न कूड़े का उठान हो रहा। ग्रामीण खुद ही सड़कों पर झाड़ू लगाने को मजबूर हैं। नालियों की सफाई भी खुद कर रहे। न पथ प्रकाश की सुविधा है, न ही शहरी क्षेत्र की योजनाओं का लाभ मिल रहा।

डेंगू का डंक, फॉगिंग नदारद

शहर में डेंगू का डंक पांव पसार चुका है लेकिन नगर निगम की फॉगिंग का इस बार कुछ अता-पता नहीं। हालात ये हैं कि एक भी वार्ड में फॉगिंग नहीं कराई जा रही। हर वार्ड में गलियों में गंदगी व पानी जमा है व डेंगू के प्रबल आसार बने हुए, लेकिन नगर निगम को इसकी भी परवाह नहीं।

सुनील उनियाल गामा (महापौर) का कहना है कि हिमालयी राज्यों का सम्मेलन प्रदेश के लिए गौरव की बात है। व्यवस्थाएं चौकस रखना हर किसी का दायित्व है। निगम की ओर से कुछ कर्मचारियों, नाला गैंग आदि को वीवीआइपी के मार्गों पर सफाई दुरुस्त रखने को लगाया गया है। वार्डों में सफाई कार्य प्रभावित नहीं होगा। मैं रोजाना सुबह दस बजे तक घर रहता हूं, नीलकंठ विहार मेरे पड़ोस में है। लोग मेरे पास भी घर पर आ सकते थे। वे निगम में भी मुझसे नहीं मिले।

विनोद चमोली (विधायक धर्मपुर एवं पूर्व महापौर) का कहना है कि हिमालयी सम्मेलन बड़ा कार्यक्रम है। इसमें सफाई व्यवस्था के लिए जितने भी कर्मचारी लगाए जाने हैं, वे आउट-सोर्स किए जा सकते थे। वार्डों से कर्मियों को हटाना गलत है, वो भी बरसात के समय, जब डेंगू का खतरा बना हुआ है। हमारे समय में ऐसे अनगिनत कार्यक्रम हुए पर हमने वार्डों से कर्मी नहीं हटाए। आयोजन के लिए अलग से कर्मी हॉयर किए।

अनूप नौटियाल (संस्थापक गति फाउंडेशन) का कहना है कि इसे विडंबना की कहेंगे कि देहरादून जैसे शहर में एक आयोजन के लिए आमजन की मूलभूत सुविधाओं में कटौती करनी पड़ रही है। दून स्मार्ट सिटी में शामिल है और काम भी जोरों पर चलने का दावा किया जा रहा। इस तरह की परिस्थिति में क्या हम खुद को स्मार्ट मान सकते हैं जब दस-दस दिन तक आम इंसान को गंदगी के बीच जीना पड़े।

केजी बहल (सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर एवं सामाजिक कार्यकर्ता) का कहना है कि दून शहर की सफाई व्यवस्था लंबे वक्त से पेटरी है। यहां अधिकारी ख्वाब तो लंबे लंबे देख रहे, लेकिन धरातल की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा। दावे रोड स्वीपिंग मशीन लाने के हो रहे, जबकि आमजन के घर के बाहर से रोजाना कूड़ा तक नहीं उठ रहा है। कहने को हम स्वच्छ दून-सुंदर दून में सांस ले रहे हैं।

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