अब मनरेगा में आएगी पारदर्शिता, जियो टैगिंग के बाद ही काम
अब मनरेगा में पारदर्शिता आएगी। केंद्र सरकार ने इसके लिए जियो टैैगिंग व्यवस्था लागू करने का फैसला ले लिया है।
देहरादून, [जेएनएन]: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में जियो टैगिंग की त्रिस्तरीय व्यवस्था लागू हो गई है। काम शुरू होने से पहले, आधा काम होने और कार्य पूर्ण होने पर जियो टैगिंग होगी। केंद्र सरकार के स्तर से मनरेगा में पारदर्शिता लाने के लिए यह फैसला लिया गया है और इसे एक नवंबर से लागू किया गया है। इससे मनरेगा कार्यों के प्रस्ताव आने में गिरावट भी आई है। जहां जिला विकास अधिकारी कार्यालय को एक-दो दिन में 200 से 250 प्रस्ताव मिलते थे। लेकिन, डेढ़ महीने में करीब 200 प्रस्ताव आए हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि काम थोड़ा तकनीकी है। इसके लिए ब्लॉक स्तर पर कार्यशाला भी आयोजित की जा रही है। जल्द ही गति बढ़ जाएगी।
वर्ष 2008 में मनरेगा देहरादून जिले में शुरू हुई थी। वर्ष 2016 में जियो टैगिंग शुरू की गई थी। अब तक काम पूरा होने के बाद टैगिंग होती थी। जिला विकास अधिकारी पीके पांडेय ने बताया कि ग्राम विकास अधिकारियों के मोबाइल में भुवन एप डाउनलोड कराया गया है। ग्राम पंचायत स्तर से विकास कार्यों के जो प्रस्ताव भेजे जाते हैं, उनका चयन होने के बाद कार्मिक मौके पर जाकर एप में स्थल की कम से कम दो अलग-अलग एंगल से फोटो अपलोड करेंगे। इसके बाद ही कार्य का मस्टरोल जारी होगा। 30 से 60 फीसद तक काम पूरा होने पर दूसरे चरण की जियो टैगिंग होगी। अगर इसमें एक फीसद भी कम या ज्यादा का अंतर आया तो साफ्टवेयर रिजेक्ट कर देगा। अंतिम जियो टैगिंग काम पूरा होने के बाद की जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था से गड़बड़ी नहीं हो पाएगी। मनरेगा में अक्सर शिकायतें मिलती हैं कि जिस कार्य स्थल का चयन हुआ था, कार्य किसी दूसरी जगह करा दिया। ऐसी भी तमाम शिकायतें आती हैं कि काम कराया ही नहीं गया और पैसा जारी हो गया। उन्होंने बताया कि भुवन एप मनरेगा के सॉफ्टवेयर से कनेक्ट है। इस सॉफ्टवेयर में कार्य की डीपीआर की विस्तृत जानकारी अपलोड होगी।
नहीं बढ़ सकेगा एस्टीमेट
मनरेगा कार्यों का एस्टीमेट अब बढ़ाया नहीं जा सकेगा। अब तक निर्माण सामग्री महंगाई और तमाम कारण बताते हुए एस्टीमेट बढ़ा लिया जाता था। जिला विकास अधिकारी ने बताया कि कार्य पूर्ण होने के बाद अगर एस्टीमेट बढ़ाया गया तो सॉफ्टवेयर रिजेक्ट कर देगा। हां, अगर निर्धारित एस्टीमेट से कम खर्च आया है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है।
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