अब पायलट भी बताएंगे जंगल में कहां लगी है आग
हेलीकॉप्टर पायलट उड़ान के दौरान जंगल में कहीं भी धुंआ नजर आने पर इसकी सूचना नागरिक उड्डयन के कंट्रोल रूम के जरिए वन विभाग को भेजेंगे, ताकि आग पर काबू पाने को प्रयास किए जा सकें।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान उड़ान भरने वाले हेलीकॉप्टरों के पायलट अब जंगलों की आग पर नजर रखेंगे। अपर सचिव वन रणवीर सिंह की अध्यक्षता में हुई वन विभाग और नागरिक उड्डयन विभाग की बैठक में इस पर सहमति बन गई। तय हुआ कि हेलीकॉप्टर पायलट उड़ान के दौरान जंगल में कहीं भी धुंआ नजर आने पर तुरंत इसकी सूचना नागरिक उड्डयन के कंट्रोल रूम के जरिए वन विभाग को भेजेंगे, ताकि आग पर काबू पाने को प्रयास किए जा सकें।
दावानल पर नियंत्रण में नागरिक उड्डयन विभाग का सहयोग लेने के मद्देनजर वन विभाग ने फरवरी में मुख्य सचिव को प्रस्ताव भेजा। मुख्य सचिव ने अपर सचिव वन को नागरिक उड्डयन व वन विभाग की संयुक्त बैठक करने के निर्देश दिए। शुक्रवार को हुई इस बैठक में निर्णय हुआ कि चारधाम के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं संचालित करने वाली कंपनियों के पायलट उड़ान के दौरान कहीं भी धुंआ या आग दिखाई पडऩे पर इसकी सूचना विभाग को देंगे।
वन विभाग के मुखिया जय राज ने इसकी पुष्टि की। उनके मुताबिक चारधाम के लिए करीब डेढ़ दर्जन कंपनियां हेलीकॉप्टर सेवाएं मुहैया कराती हैं। हेलीकॉप्टर में जीपीएस सिस्टम होता है। आसमान से कहीं भी जंगल में धुंआ दिखने पर पायलट जीपीएस के आधार पर इसकी सूचना नागरिक उड्डयन के कंट्रोल रूम को देंगे और फिर कंट्रोल रूम से यह वन विभाग को मिलेगी। इसके आधार पर संबंधित क्षेत्र में आग पर काबू पाने को तुरंत कदम उठाए जा सकेंगे।
हवाई जहाज का मसला अटका
विभाग की ओर से दिल्ली-देहरादून के बीच नियमित रूप से संचालित 12 हवाई उड़ानों के संबंध में दिए गए प्रस्ताव को झंडी नहीं मिल पाई। बताया गया कि इन उड़ानों के दौरान केवल राजाजी टाइगर रिजर्व का ही कुछ ही हिस्सा पड़ता है। लिहाजा, प्रस्ताव के इस बिंदु को छोड़ दिया गया।
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