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यहां 45 साल तक के लोगों के लिए खुले कौशल विकास के रास्ते, जानिए

कौशल विकास की ट्रेनिंग दे रहे जन शिक्षण संस्थानों की नियमावली में बड़ा परिवर्तन किया गया है। वोकेशनल कोर्सों में दाखिले की आयु सीमा दस साल बढ़ा दी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 02:45 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 02:45 PM (IST)
यहां 45 साल तक के लोगों के लिए खुले कौशल विकास के रास्ते, जानिए
यहां 45 साल तक के लोगों के लिए खुले कौशल विकास के रास्ते, जानिए

देहरादून, जेएनएन। देशभर में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए लोगों को कौशल विकास की ट्रेनिंग दे रहे जन शिक्षण संस्थानों की नियमावली में बड़ा परिवर्तन किया गया है। शिक्षण संस्थानों ने अपने वोकेशनल कोर्सों में दाखिले की आयु सीमा दस साल बढ़ा दी है। अब 45 साल तक के उम्र के लोग दाखिला ले सकेंगे। अब तक यहां 35 साल तक उम्र के लोगों को ट्रेनिंग दी जाती थी। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने गुरुवार को इसके लिए आदेश जारी कर दिए हैं। 

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देशभर से लगातार जन शिक्षण संस्थानों में 35 साल की उम्र के बाद भी शिक्षा दिए जाने की मांग उठ रही थी। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडे ने भी दाखिला देने पर सहमति जताई थी। गुरुवार को संयुक्त सचिव भारत सरकार कैलाश चंद गुप्ता ने आधिकारिक आदेश जारी करते हुए इन शिक्षण संस्थानों में दाखिलों की उम्र बढ़ा दी है।

गुरुवार को जन शिक्षण संस्थानों की समीक्षा के लिए दून पहुंचे अपर सचिव भारत सरकार सनातन ने इस बात की पुष्टि की। देश भर में मौजूदा समय में लगभग 300 जन शिक्षण संस्थान संचालित हो रहे हैं। हर शिक्षण संस्थान के पास साल भर में 1800 लोगों को ट्रेनिंग देने का टारगेट होता है। अब आयु सीमा दस साल बढ़ने के बाद यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है। उत्तराखंड में वर्तमान में छह जिलों में जन शिक्षण संस्थान संचालित हो रहे हैं, जिसमें देहरादून, टिहरी, चमोली, नैनीताल, अल्मोड़ा और बागेश्वर शामिल हैं। वहीं, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ में भी संस्थान प्रस्तावित हैं। 

एससी-एसटी अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ाए दिल्ली 

निरंजनपुर स्थित राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान में गुरुवार को दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड समेत नौ राज्यों में संचालित हो रहे जन शिक्षण संस्थानों की छमाही समीक्षा बैठक आयोजित हुई। बैठक में पहले दिन दिल्ली, पंजाब, चंडीगढ़ और हरियाणा में संचालित हो रहे संस्थानों की समीक्षा की गई। सभी राज्यों में संचालित हो रहे संस्थानों के प्रतिनिधियों ने अपने संस्थानों की छमाही रिपोर्ट यहां पेश की। 

तीन दिवसीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता अपर सचिव भारत सरकार सनातन ने की। समीक्षा में दिल्ली के संस्थानों को एससी और एसटी वर्ग के लोगों के दाखिलों की संख्या बढ़ाने के लिए आदेशित किया गया। दिल्ली में मौजूदा समय में तीन ही जन शिक्षण संस्थान क्रियाशील हैं। इनमें पहले छह महीनों में एससी और एसटी के दाखिलों से समीक्षक खुश नहीं दिखे। वहीं, सामान्य दाखिलों के बात की जाए तो पुरुषों की संख्या भी महिलाओं से काफी कम रही। दोनों ही संवर्गों में दिल्ली के संस्थानों को इस गैप को भरने के आदेश दिए गए। 

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पंजाब के संस्थानों को दाखिलों के टारगेट पूरे करने के आदेश दिए गए। चंडीगढ़ और हरियाणा के शिक्षण संस्थानों को अपने-अपने केंद्रों पर स्वयं सहायता समूहों का गठन करने और इन्हें मजबूती के साथ काम करने के आदेश दिए गए। समीक्षकों ने सभी संस्थानों को साल पूरा होने तक 1800 दाखिलों का टारगेट पूरा करने के पर जोर दिया। समीक्षा बैठक में प्रदेश भर के जन शिक्षण संस्थानों के निदेशकों को ऑनलाइन पोर्टल पर डाटा फीड करना भी सिखाया गया। बैठक में दिल्ली निदेशालय के सह निदेशक अमर जीत सिंह, दून निदेशालय के एचओडी शाजहां एम, दून जन शिक्षण संस्थान के निदेशक इंद्र जय असवाल, डॉ. जितेंद्र तिवारी, गिरीश धवन समेत अन्य लोग मौजूद रहे। 

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मोबाइल रिपेयरिंग और ड्राइविंग कोर्स भी होंगे शामिल 

जन शिक्षण संस्थान अपने पाठ्यक्रमों में मोबाइल रिपेयरिंग और ड्राइविंग के सर्टिफिकेट कोर्स भी शामिल करने पर विचार कर रहा है। गुरुवार को समीक्षा बैठक में इस पर खुल कर चर्चा हुई। अगले छमाही में दोनों ही कोस संस्थानों में शुरू हो सकते हैं। दिल्ली निदेशालय के अपर निदेशक डॉ. रामकृष्ण सूरा ने बताया कि शिक्षण संस्थानों का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार परक शिक्षा देना है। मंत्रालय पारंपरिक पाठ्यक्रमों को भी बढ़ावा दे रहा है, जिससे लोक कला को भी प्रचार मिले। 

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