अब नहीं खरीद सकेंगे इस कंपनी की प्रॉपर्टी, सीबीआइ ने लगाई रोक
पर्ल ग्रीन फॉरेस्ट कंपनी की खरीद-फरोख्त पर सीबीआइ ने रोक लगा दी है। सीबीआइ का अंदेशा है कि आपराधिक प्रवृत्ति के लोग जमीन को खुर्द-बुर्द कर रहे हैं।
देहरादून, [संतोष भट्ट]: चिटफंड कंपनी पर्ल ग्रीन फॉरेस्ट लिमिटेड(पीजीएफ)की करोड़ों की जमीन की खरीद-फरोख्त पर सीबीआइ ने रोक लगा दी है। सीबीआइ ने अंदेशा जताया कि जमीन को आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के सहयोग से खुर्द-बुर्द किया जा रहा है। सीबीआइ के पत्र के बाद राजस्व परिषद ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और शासन के अधिकारियों को मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
गोल्डन फॉरेस्ट की तर्ज पर पर्ल ग्रीन फॉरेस्ट लिमिटेड (पीजीएफ) अब पर्ल एग्रोटेक कार्पोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) की उत्तराखंड समेत देशभर में करीब 10 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि है। इन भूमि पर देश के करीब पांच करोड़ 46 लाख कंपनी के अधिकारी, कर्मचारियों व अन्य व्यक्तियों ने करीब 45 हजार 184 करोड़ रुपये निवेश किया था। देनदारी बढऩे पर कंपनी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान ले लिया था।
इस मामले में सीबीआइ को मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दिए थे। तब से इस मामले में सीबीआइ दिल्ली की बीएस एंड एफसी में मुकदमा चल रहा है। जांच के दौरान सीबीआइ को पर्ल की जमीनों के बारे में इनपुट मिले हैं कि देहरादून समेत अन्य जगह करोड़ों की जमीन को कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोग खुर्द-बुर्द कर रहे हैं। इस मामले में सीबीआइ के बीएस एंड एफसी शाखा प्रमुख सुधांशू धर मिश्रा ने प्रदेश के राजस्व परिषद के अध्यक्ष को पत्र भेजा है।
पत्र में साफ कहा गया कि पर्ल ग्रीन फॉरेस्ट की जमीनों की खरीद-फरोख्त न्यायमूर्ति आरएम लोढा समिति के संज्ञान में लाने, पूर्वानुमति और अनापत्ति के बिना न बेचा जाए। सीबीआइ के पत्र के बाद राजस्व परिषद ने गढ़वाल, कुमाऊं कमिश्नर समेत 13 जिलों के जिलाधिकारियों, निबंधक, उप निबंधकों को निर्देश दिए कि मामले में उचित कार्रवाई करें। इधर, सीबीआइ और शासन के इस पत्र से जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। पहले से ही गोल्डन फॉरेस्ट की जमीनों को लेकर टेंशन में चल रहे अफसर अब पर्ल ग्रीन की प्रॉपर्टी को लेकर टेंशन में हैं।
जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन का कहना है कि राजस्व परिषद के आदेश के बाद सभी एसडीएम को मामले से अवगत करा दिया है। आदेशों का सख्ती से पालन कराया जाएगा।
गठित है लोढा समिति
पर्ल ग्रीन में करोड़ों की जमीन के घपले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में रिटायर्ड न्यायमूर्ति आरएम लोढा के नेतृत्व में समिति गठित की गई। यह समिति पीजीएल, पीएसीएल और उसकी 638 एसोसिएट कंपनी के मामलों को सुनेगी। समिति के बिना कोई भी जमीन न तो बेची जाएगी और नहीं खरीदी जाएगी।
दून में यहां पर्ल ग्रीन की जमीन
पर्ल ग्रीन फॉरेस्ट की दून में विकासनगर, सहसपुर, सेलाकुई, प्रेमनगर, राजपुर रोड, सहस्रधारा रोड, रायपुर, डोईवाला, ऋषिकेश, मसूरी समेत प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊं में कई हेक्टेयर जमीन है। इसमें से अधिकांश जमीन बेची गई या फिर कब्जे में हैं।
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