अब स्कूल बसों में सहायक का होना अनिवार्य, जानिए क्यों
अब सभी स्कूल बसों में बच्चों को चढ़ाने और उतारने के लिए सहायक का होना अनिवार्य कर दिया गया है।
देहरादून, [जेएनएन]: उच्च न्यायालय के आदेश पर परिवहन विभाग ने सभी स्कूल बसों में बच्चों को चढ़ाने और उतारने के लिए सहायक का होना अनिवार्य कर दिया है। आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई ने बताया कि इसी क्रम में छात्राओं की बसों में महिला सहायक होना जरूरी है। विभाग लगातार स्कूली वाहनों पर नजर रख रहा है और मानक पूरे न करने पर स्कूली वाहनों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
परिवहन व्यवस्था में सुधार पर न्यायालय के आदेशों को अनुपालन कराने को लेकर आरटीओ ने सभी ट्रांसपोर्टरों की बैठक में यह निर्देश दिए। मंगलवार शाम आरटीओ कार्यालय में हुई बैठक में आरटीओ पठोई ने कहा कि अदालत ने सभी नए एवं पुराने व्यावसायिक वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने की अनिवार्यता कर दी है। इसलिए भविष्य में उन्हीं वाहनों की फिटनेस होगी, जिनमें डिवाइस लगी होगी। चालक-परिचालकों का वर्दी पहनना अनिवार्य किया गया है। इसलिए सभी चालक-परिचालक वर्दी का उपयोग करें। यात्रियों से बदसलूकी न की जाए। स्कूली वाहनों में कैमरा लगाने का निर्देश भी दिया गया। वाहनों में जीपीएस लगाने के निर्देश भी दिए गए।
बैठक में एआरटीओ प्रशासन अरविंद पांडे के साथ ही एआरटीओ मुख्यालय रश्मि पंत समेत नगर बस यूनियन, ऑटो यूनियन, विक्रम यूनियन, टैक्सी कैब यूनियन, ठेका वाहन यूनियन व टाटा मैजिक यूनियन आदि के पदाधिकारी भी बैठक में मौजूद रहे।
मुख्य सचिव को भेजा पत्र
प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं से हो रही जनहानि को रोकने और उच्च न्यायालय के दिए आदेशों का अनुपालन कराने के लिए उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी ने मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। पत्र में बताया गया कि ज्यादातर हादसे ओवरलोडिंग की वजह से हो रहे। कहा कि आर्थिक घाटे की वजह से रोडवेज सभी क्षेत्रों में परिवहन सेवाएं नहीं दे पा रही है। यूपी से परिवहन निगम को मिलने वाले 700 करोड़ रुपये अभी तक नहीं मिले हैं, इसी वजह से निगम को आर्थिक घाटा उठाना पड़ रहा। यदि सरकार मदद करे तो रोडवेज को इस घाटे से मुक्ति मिल सकती है।
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