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अब पहाड़ पर चढ़ सकेंगे उद्योग: प्रकाश पंत

दैनिक जागरण ने राज्य के वित्त, आबकारी, पेयजल, विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश।

By Edited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 03:03 AM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 09:34 AM (IST)
अब पहाड़ पर चढ़ सकेंगे उद्योग: प्रकाश पंत
अब पहाड़ पर चढ़ सकेंगे उद्योग: प्रकाश पंत

देहरादून, [राज्‍य ब्‍यूरो]: राज्य सरकार इन्वेस्टर्स समिट के जरिये उद्योगों को आकर्षित करने की मुहिम में जुटी है, इंडस्ट्रियल सेक्टर का राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में बड़ा योगदान है, ऐसे में राज्य सरकार नई उद्योग नीति के जरिए राज्य के आर्थिक ढांचे में आमूलचूल बदलाव लाने का प्रयास कर रही है।

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वहीं राज्य सरकार के सामने 14वें वित्त आयोग से केंद्रीय मदद में कटौती के झटके के बाद 15वें वित्त आयोग से अधिक इमदाद हासिल करने की चुनौती है। गैरसैंण में विधानसभा सत्र हो या नगर निकायों का सीमा विस्तार, वित्तीय नजरिये से इस मामले में राज्य सरकार की रणनीति को लेकर 'दैनिक जागरण' ने राज्य के वित्त, आबकारी, पेयजल, विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

  •  केंद्रीय मदद में कमी के बावजूद राज्य की आर्थिकी को मजबूत करने की कार्ययोजना क्या है
  • राज्य के अवस्थापना ढांचे में उद्यमिता को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन्वेस्टर्स समिट इसमें बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। भविष्य में लघु व मध्यम उद्योगों का मजबूत आधार उत्तराखंड की आर्थिकी की मजबूती में अहम भूमिका निभाएगा। पर्यटन और सौर ऊर्जा को उद्योग का दर्जा दिया गया है तो ग्रोथ सेंटर के तौर पर विकसित किए जा रहे 670 न्याय पंचायत भविष्य में छोटी और मजबूत आर्थिक इकाइयों की भूमिका निभाने जा रहे हैं। इसमें केंद्र सरकार की मदद की बड़ी भूमिका है। ऑल वेदर रोड से दून से चमोली व उत्तरकाशी और ऊधमसिंहनगर से चंपावत व पिथौरागढ़ तक सड़क कनेक्टिविटी मिल रही है। सौ फीसद केंद्रपोषित भारतमाला प्रोजेक्ट में राज्य के सभी जिलों खासतौर पर सीमांत व पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों का जिसतरह जाल बिछने जा रहा है, वह अतिरिक्त केंद्रीय सहायता और विशेष आयोजनागत सहायता के रूप में मिलने वाली मदद से भी बढ़कर है। बेहतर कनेक्टिविटी का नतीजा निकट भविष्य में पर्वतीय क्षेत्रों में दूरदराज तक उद्योगों के पहुंचने के रूप में सामने आने जा रहा है। 250 करोड़ से ज्यादा निवेश करने वाले उद्योगों को एसजीएसटी में आयकर की कटौती के बाद 50 फीसद रिफंड किया जाएगा। लघु व छोटे उद्योगों को 30 फीसद रिफंड किया जाएगा। वहीं ट्रांसपोर्ट सब्सिडी के रूप में ए व बी केटेगरी में उद्योगों को सात लाख व पांच लाख तक राहत मिलेगी। 
  • 14वें वित्त आयोग ने उत्तराखंड को मिलने वाली केंद्रीय मदद में कटौती कर दी, अब 15वें वित्त आयोग को लेकर सरकार की क्या तैयारी है
  • 15वें वित्त आयोग के सामने तीन मुद्दों को प्रमुखता से रखने की तैयारी है। केंद्रीय मदद में आई कमी, जीएसटी लागू होने से एसजीएसटी में कम ग्रोथ और कार्बन क्रेडिट पर आयोग के समक्ष विस्तार से पक्ष रखा जाएगा। उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में केंद्रीय करों के अंश से लेकर अतिरिक्त मदद की जरूरत है।
  • गैरसैंण में विधानसभा सत्र के पीछे मकसद राजनीतिक ज्यादा नजर आता है
  • उत्तराखंड को सामाजिक और सामरिक दृष्टि से भी समझने की जरूरत है। गैरसैंण के पीछे विकेंद्रित विकास की अवधारणा है। पर्वतीय क्षेत्र में विकास की संभावनाओं को बढ़ाकर ही पलायन की समस्या से निपटा जा सकता है। गैरसैंण में विधानसभा भवन निर्माण के लिए पिछली सरकार ने जिस प्रक्रिया को अपनाया, उसमें खामियां रहीं और दूरगामी लाभ पर तात्कालिक लाभ को तरजीह दी गई। इसका परिणाम 2017 का जनादेश है।
  • शहरी निकायों के विस्तार की क्या जरूरत देखी गई, कांग्रेस ने सरकार के इस कदम को विरोध का मुद्दा बना दिया
  • शहरी निकायों का विस्तार वक्त की आवश्यकता है। इस वक्त प्रदेश में 859 ग्राम पंचायतें अद्र्धशहरों में तब्दील हो चुकी हैं, उनमें मूलभूत आवश्यकताएं की जरूरत शहरों के मुताबिक है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र होने की वजह से पेयजल, विद्युत आपूर्ति, चौड़ी सड़कों समेत बुनियादी सुविधाओं का विकास मानकों के अनुरूप नहीं हो पा रहा है। ऐसे में अद्र्ध शहरी क्षेत्रों की बड़ी आबादी को बुनियादी सुविधाओं के लिए वर्षों इंतजार करना पड़ रहा है। इस वजह से नए निकायों का गठन और मौजूदा निकायों के सीमा विस्तार का निर्णय लिया। सरकार ने निकायों और पंचायतों को धन देने में कोताही नहीं बरती। कांग्रेस के विरोध में कोई दम नहीं है। 
  • प्रचंड बहुमत की सरकार में सत्तारूढ़ दल के विधायकों में असंतोष दिख रहा है, दायित्व वितरण में देरी हो रही है 
  • विधायकों में असंतोष जैसी कोई बात नहीं है, हर विधानसभा क्षेत्र को 10-10 करोड़ मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए हैं, साथ में विधायक निधि में एक करोड़ का इजाफा किया गया है। मुख्यमंत्री से विधायकों की निरंतर मुलाकातें होती रहती हैं। दायित्व वितरण पर शीर्ष नेतृत्व की ओर से विचार किया जा रहा है। 

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