केंद्र की इस पहल से उत्तराखंड में पहाड़ भी चढेंगे डाक्टर
केंद्र सरकार की पहल ने डाक्टरों की कमी से जूझ रहे उत्तराखंड की उम्मीदें भी बढ़ा दी हैं। गांवों में तैनात डाक्टरों को शहरों की तुलना में दोगुना वेतन व निजी प्रेक्टिस में छूट की प्रस्तावित व्यवस्था से पहाड़ों में चिकित्सकों की कमी पूरी हो सकती है।
देहरादून (राज्य ब्यूरो)। स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए केंद्र सरकार की पहल ने डाक्टरों की कमी से जूझ रहे उत्तराखंड की उम्मीदें भी बढ़ा दी हैं। खासतौर पर गांवों में तैनात डाक्टरों के लिए शहरों की तुलना में दोगुना वेतन व निजी प्रेक्टिस में छूट की प्रस्तावित व्यवस्था राज्य के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के लिए भी खासी फायदेमंद साबित हो सकती है। डाक्टरों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने का भी राज्य को फायदा मिलना तय है। अलबत्ता, इन प्रस्तावों पर केंद्र की अंतिम मुहर लगने के बाद ही राज्य सरकार उन्हें उत्तराखंड में लागू करने पर विचार करेगी।
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राज्य गठन के 15 वर्ष बाद भी उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ सकी हैं। डाक्टरों की भारी कमी ही इसकी मुख्य वजह है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों के कुल 2422 पद स्वीकृत हैं। इनमें से वर्तमान में लगभग 1167 डाक्टर तैनात हैं, जबकि करीब 1255 पद खाली पड़े हैं।
पिछले 15 वर्ष में राज्य सरकार ने इस समस्या के निदान के लिए कई तरह के प्रयोग किए, मगर इसमें अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इसका सर्वाधिक खामियाजा दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को ही भुगतना पड़ रहा है।
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राज्य सरकार पर्वतीय इलाकों में डाक्टरों को 20 फीसद नॉनप्रेक्टिस भत्ता भी दे रही है, मगर समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। ऐसे में केंद्र की नई पहल ने उत्तराखंड की भी उम्मीदें बढ़ा दी हैं। केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में डाक्टरों को शहरों के मुकाबले में दोगुना वेतन देने व निजी प्रेक्टिस की छूट देने पर विचार कर रही है, जबकि डाक्टरों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने का निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल कर चुका है।
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ऐसे में यदि केंद्र सरकार इन प्रस्तावों पर मुहर लगाती है, तो भौगोलिक विषमता वाले पहाड़ी राज्य को भी इसका लाभ मिलने की उम्मीद है। हालांकि, इसके लिए राज्य सरकार को भी केंद्र की उक्त व्यवस्थाओं को प्रदेश में लागू करने का फैसला लेना होगा। स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि केंद्र सरकार के स्तर पर जब उक्त व्यवस्थाओं पर अंतिम निर्णय लेकर लागू किया जाएगा, तब राज्य सरकार भी उनकी समीक्षा करने के बाद इस संबंध में कोई निर्णय लेने की स्थिति में होगी।
बहरहाल, मौजूदा स्थिति में सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने व ग्रामीण क्षेत्रों में डाक्टरों को निजी प्रेक्टिस की छूट देने में कोई समस्या नहीं है, मगर दोगुना वेतन देने से पडऩे वाले अतिरिक्त वित्तीय भार के बिंदु का परीक्षण करना होगा।
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