अब वीआइपी और माननीयों की सेहत पर अब रहेगी पैनी नजर, पढ़िए पूरी खबर
वीआइपी ड्यूटी में तैनात चिकित्सक और स्टाफ अब महज खानापूर्ति नहीं कर पाएंगे। उन्हें वीआइपी के साथ ही माननीयों की सेहत पर बारीक निगाह रखनी होगी।
देहरादून, जेएनएन। वीआइपी ड्यूटी में तैनात चिकित्सक और स्टाफ अब महज खानापूर्ति नहीं कर पाएंगे। उन्हें वीआइपी के साथ ही माननीयों की सेहत पर बारीक निगाह रखनी होगी। यही नहीं किसी भी तरह की बीमारी का अंदेशा होने पर उसकी रिपोर्ट तैयार कर जिम्मेदार अधिकारी को उसकी रिपोर्ट सौंपी जाएगी। जिससे बीमारी की तह तक पहुंचकर संबंधित व्यक्ति का समय रहते उपचार शुरू किया जा सके। हालांकि सरकार और शासन स्तर से इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है, पर कोरोनेशन अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला ने इस ओर पहल की है। इस बावत उन्होंने अस्पताल में तैनात चिकित्सकों और अन्य स्टाफ को निर्देश जारी किए हैं।
डॉ. रमोला ने कहा है कि हर अंतराल बाद डाक्टरों को वीआइपी ड्यूटी में तैनात किया जाता है। राज्यपाल, मुख्यमंत्री या फिर अन्य माननीय व बाहर से आने वाले वीआइपी। इनका चेकअप करने की जिम्मेदारी भी चिकित्सकों की होती है। विस सत्र के दौरान भी चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई जाती है। कहा कि वीआइपी ड्यूटी में तैनात रहने वाले चिकित्सकों को सिर्फ खानापूर्ति नहीं करनी चाहिए।
माननीयों के सेहत पर पूरी निगाह रखी जाए। अगर किसी भी तरह की बीमारी का अंदेशा होता है इसकी रिपोर्ट पूरी संजीदगी से तैयार की जानी चाहिए। चिकित्सक रिपोर्ट तैयार कर सीधे चिकित्सा अधीक्षक को दें। ताकि समय रहते हुए इन लक्षणों की पहचान की और अन्य जरूरी जांच की जा सके और व्यक्ति को उचित उपचार का परामर्श दिया जा सके। रिपोर्ट तैयार होने पर मरीज का फालोअप करने में भी आसानी होगी। कहा कि ड्यूटी में तैनात रहने वाले चिकित्सक व अन्य स्टाफ इस आदेश को गंभीरता से लें।
दरअसल, दून मेडिकल कॉलेज का टीचिंग अस्पताल बनने से पहले वीआइपी ड्यूटी और अन्य कार्यों के निवर्हन की जिम्मेदारी दून अस्पताल प्रशासन के पास थी। लेकिन मेडिकल कॉलेज बनने के बाद इस तरह की ड्यूटी अन्यत्र लगाई जाती है। कोरोनेशन से काफी संख्या में चिकित्सकों की ड्यूटी लगती है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन भी हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहा है।
डॉक्टर ने की काम में कोताही, तो सेवा होगी समाप्त
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के डॉक्टरों को समय का पाबंद बनाने, मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार और काम में गंभीरता लाने के लिए प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने चेतावनी जारी की है। उन्होंने साफ कर दिया है कि अब किसी भी तरह की लापरवाही पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। यहां तक कि लगातार तीसरी बार शिकायत मिलने पर सेवा तक समाप्त की जा सकती है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि प्राचार्य के इस कड़े रुख के बाद अस्पताल का ढर्रा सुधरेगा और चिकित्सा कर्मी अधिक पेशेवर नजर आएंगे।
बीते शनिवार को अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने ओपीडी का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान अलग-अलग विभाग की ओपीडी से अधिकाश चिकित्सक नदारद मिले। ये हाल तब था जबकि इनकी ओपीडी के बाहर मरीजों की लंबी कतार लगी हुई थी।
डॉक्टरों के सुबह नौ बजे तक भी ओपीडी में नहीं बैठने पर नाराजगी जताते हुए चिकित्साधीक्षक ने मामले की रिपोर्ट प्राचार्य को भेज दी थी। जिस पर प्राचार्य ने सभी विभागाध्यक्षों को तलब किया। मंगलवार को देहराखास स्थित कॉलेज परिसर में इस संदर्भ में बैठक आयोजित की गई। जिसमें प्राचार्य ने तमाम तरह की अव्यवस्थाओं पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इससे अस्पताल की साख बिना वजह खराब हो रही है।
स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं। पर छोटी-छोटी खामियों के कारण यह अच्छाईयां भी छिप जा रही हैं। उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टर काम को लेकर संजीदगी बरतें। खासकर विभागाध्यक्ष अपनी जिम्मेदारी का सही ढंग से निर्वहन करें। आइंदा किसी भी तरह की शिकायत मिलती है तो सेवा समाप्त तक की जा सकती है।
डॉक्टर समझें मरीज की परेशानी
प्राचार्य ने डॉक्टरों को नैतिकता का भी पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति परेशानी में ही अस्पताल आता है। सरकारी अस्पताल में आने वाला मरीज आर्थिक रूप से तो कमजोर होता ही है, बीमारी के कारण मानसिक दबाव में भी रहता है। ऐसे में उससे अच्छा व्यवहार करें। मरीज चाहते हैं कि डॉक्टर उसकी बात को ध्यान से सुनें, पूरी जानकारी ठीक से दें और जाच व चिकित्सा के तरीके के बारे में भलीभाति मरीज को समझाएं। ओपीडी में मरीज देखते व वार्ड में भर्ती किसी मरीज के इलाज के वक्त इन बातों का ख्याल रखें।
मशीनों का मर्ज होगा दूर
अस्पताल में बार-बार खराब होती मशीनों का मसला भी बैठक में उठा। जिस पर प्राचार्य ने कहा कि इस ओर भी कार्रवाई की जा रही है। बजट के अनुसार चरणबद्ध ढंग से पुरानी मशीनें बदली जाएंगी। सीटी स्कैन, एक्स रे सहित कुछ मशीनों के टेंडर प्रक्रिया चल रही है। गुड वर्क बताएं, खामियां भी प्राचार्य ने चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा को निर्देशित किया कि वह प्रतिदिन का फीडबैक उन्हें दें। विभागाध्यक्षों से दिनभर की रिपोर्ट लें। विभागाध्यक्ष अपने तमाम गुड वर्क उन्हें बताएंगे। इसके अलावा तमाम खामियों की जानकारी भी उन्हें समय पर दी जाएगी।
हेपेटाइटिस-सी की जांच को और बढ़ा इंतजार
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हेपेटाइटिस-सी की जांच शुरु होने में अभी और वक्त लगेगा। अस्पताल प्रबंधन ने माइक्रोबायलॉजी विभाग की डिमांड के बाद जो सामान मंगाया था, वह कंपनी की ओर से गलत भेज दिया गया है। जिसपर अस्पताल प्रशासन ने सामान वापस भेजने का निर्णय लिया है।
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि अस्पताल प्रशासन की ओर से एचसीवी ट्राइडॉट कार्ड टेस्ट की किट मंगाई थी, जिसकी जगह कंपनी ने रेपिड टेस्ट की किट भेजी है। इसको वापस करा जाएगा। ऐसे में फिलहाल दून अस्पताल में हेपेटाइटिस सी की जांच अभी नहीं हो पाएगी। बहरहाल 6 माह से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद दून हॉस्पिटल में एचबीएसएजी रेपिड टेस्ट शुरू हो पाएंगे।
अब से दून अस्पताल में ऑपरेशन से पहले होने वाली प्रमुख जांच शुरू होने जा रही है, माइक्रोबायलोजी विभाग ने 10 जांच की किट की डिमांड भेजी थी, जिसमें से दो ही जांच की किट उपलब्ध हो पाई। लेकिन कॉलेज प्रशासन और कंपनी के बीच समन्वय की कमी से एचसीवी की रेपिड टेस्ट की किट आई है, जो माइक्रोबायलोजी विभाग के काम की नहीं है। ऐसे में सिर्फ एचबीएसएजी रेपिड ही शुरू हो पाएगा। इस गलती का खामियाजा आम लोगों का भुगतना पड़ रहा है। लोगों को प्राइवेट लैब का रुख करना पड़ रहा है। एचसीपी की जांच अस्पताल में 100 रुपए में होती है, जबकि प्राइवेट लैब में 900 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
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